Mehram Nagar History: किसके नाम पर रखा गया था मेहरम नगर का नाम? जान लें इस गांव का इतिहास
Mehram Nagar History: दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास बसा 300 साल पुराना गांव मेहरम नगर चर्चा में है. आइए जानते हैं क्या है यहां का इतिहास और कैसे पड़ा इसका यह नाम.

Mehram Nagar History: दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास एक 300 साल पुराना गांव बसा हुआ है. इस गांव का नाम है मेहरम नगर गांव. यह गांव मुगल काल से यहां पर मौजूद है और कई पीढ़ियों से लोग यहां पर रह रहे हैं. लेकिन हाल ही में एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया जब राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड ने गांव वासियों को 30 सितंबर तक गांव को खाली करने के लिए नोटिस दिया. इसके बाद बस्ती में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया. आज हम जानेंगे कि क्या है इस गांव का इतिहास और कैसे पड़ा इसका यह नाम.
मेहरम नगर का इतिहास
इस गांव का नाम मेहरम खान के नाम पर रखा गया था जो शाहजहां के शासनकाल में मुगल हरम के प्रभारी थे. मेहरम नगर मूल रूप से मेहरम सराय के नाम से जाना जाता था. इसकी स्थापना 1639 ई में मुगल शहर से लगभग 22.4 किलोमीटर दूर आज के पालम के पास हुई थी.
शाही हरम की जिम्मेदारियों को संभाल रहे मेहरम खान ने 10 एकड़ का एक सराय परिसर बनवाया था जो यात्रियों और व्यापारियों के लिए एक केंद्र के रूप में काम करता था. इस सराय के आसपास की बस्ती धीरे-धीरे एक गांव में बदलती गई और अंत में इसका नाम मेहरम खान के ऊपर ही रख दिया गया.
वास्तुशिल्प विरासत
इस गांव में कई ऐसी ऐतिहासिक संरचनाएं हैं जिनमें गुंबददार चार दिवारी और एक मंडप भी शामिल है. इन संरचनाओं को दिल्ली गुरुग्राम एक्सप्रेसवे से आईजी टर्मिनल 1 की तरफ जाते समय आज भी देखा जा सकता है. हालांकि कुछ संरचनाएं आज खंडहर हो चुकी है लेकिन सराय, बाजार और प्रवेश द्वार मुगल वास्तुकला और शहरी नियोजन को आज भी दर्शाते हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण इन स्मारकों के संरक्षण पर खास ध्यान दे रहा है, ताकि मेहरम खान और गांव की मुगल विरासत को कोई ठेस न पहुंचे.
संरक्षण प्रयास
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण गांव के ऐतिहासिक संरचनाओं के रखरखाव में एक बड़ी भूमिका निभाता आ रहा है. इसमें कारवां सराय के अवशेषों का संरक्षण और मुगलकालीन बाजारों का दस्तावेजीकरण शामिल है. इस कदम का मुख्य उद्देश्य आधुनिक शहरी परिवेश के साथ-साथ गांव के इतिहास और विरासत को बनाए रखना है.
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Source: IOCL

























