कितने साल से जंग लड़ रहा इजरायल, क्यों नहीं हो पा रहा इसका फैसला?
Israel Gaza War: इजरायल और फिलिस्तीन के बीच चला आ रहा विवाद आज दुनिया के सबसे पुराने संघर्षों में से एक है. सात दशक बीत जाने के बाद भी यह जंग थम नहीं पा रही है. आइए इसका कारण जानें.

7 अक्टूबर 2023 का दिन मिडिल ईस्ट के इतिहास में एक काले अध्याय की तरह दर्ज है. ठीक दो साल पहले इसी दिन फिलिस्तीनी संगठन हमास ने इजरायल पर अचानक हमला किया था. इस हमले में बड़ी संख्या में निर्दोष नागरिक मारे गए और कई लोगों को बंधक बना लिया गया. हमास की इस कार्रवाई ने न सिर्फ गाजा पट्टी में, बल्कि पूरे क्षेत्र में भय और तनाव का माहौल पैदा कर दिया.
इन सभी घटनाओं के चलते पूरा मिडिल ईस्ट दो साल तक लगातार अस्थिरता और भय के माहौल में रह रहा है. तेल की आपूर्ति, व्यापार और सीमा सुरक्षा पर भी गहरा असर देखने को मिल रहा है. लेकिन अब, दो साल बीतने के बाद धीरे-धीरे लड़ाई में बदलाव के संकेत मिलने लगे हैं. आइए जानें कि इजराइल कितने साल से जंग लड़ रहा है और अभी तक इसका फैसला आखिर क्यों नहीं हो पा रहा है.
कितने सालों से चल रहा संघर्ष
इजरायल और फिलिस्तीन के बीच चल रहा संघर्ष कोई आज या कल का नहीं, बल्कि लगभग 75 साल पुराना है. इसकी शुरुआत 1947 में हुई थी, जब ब्रिटिश शासन खत्म होने के बाद संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन को दो हिस्सों में बांटने का प्रस्ताव रखा, एक यहूदियों के लिए और एक अरबों के लिए. 1948 में जब इजरायल नाम का नया देश बना, तभी से अरब देशों और फिलिस्तीन के लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया था. इसके बाद जो टकराव शुरू हुआ, वह आज तक खत्म नहीं हो पाया.
कितनी बार हुए युद्ध
पहला अरब-इजरायल युद्ध 1948 में हुआ, जिसमें लाखों फिलिस्तीनी अपने घरों से बेघर हो गए. तब से अब तक कई बड़े युद्ध और झड़पें हो चुकी हैं, पहली 1967 में, फिर 1973 और इसके बाद 1982 के युद्धों ने इस विवाद को और गहरा कर दिया. इसके बाद 1987 और 2000 में फिलिस्तीनी विद्रोह, जिसे इंतिफादा कहा गया, ने इस संघर्ष को फिर से भड़का दिया.
क्यों नहीं खत्म हो पा रही जंग
- यह जंग खत्म क्यों नहीं हो पा रही है, इसके पीछे भी कई वजहें हैं. सबसे बड़ी वजह है जमीन और सीमाओं को लेकर विवाद. दरअसल गाजा पट्टी, वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम जैसे इलाके दोनों देशों के बीच विवाद का केंद्र हैं. फिलिस्तीन इन इलाकों को अपना हक बताता है, जबकि इजरायल इन्हें अपने नियंत्रण में रखे हुए है.
- दूसरा बड़ा कारण है धार्मिक और ऐतिहासिक पहचान. यहूदियों और मुसलमानों दोनों के लिए यरुशलम धार्मिक दृष्टि से बेहद पवित्र शहर है. इसी धार्मिक जुड़ाव ने इस विवाद को और संवेदनशील बना दिया है.
- तीसरा पहलू है राजनीतिक असहमति. दरअसल इजरायल खुद को एक सुरक्षित यहूदी राष्ट्र के रूप में देखता है, जबकि फिलिस्तीनी एक स्वतंत्र पैलेस्टाइन स्टेट की मांग कर रहे हैं. लेकिन दोनों पक्षों की राजनीतिक इच्छाएं और नेतृत्व एक दूसरे से पूरी तरह अलग हैं, इसलिए कोई ठोस समझौता नहीं हो पाता है.
- इसके अलावा इस संघर्ष में बाहरी ताकतों की भूमिका भी बड़ी अहम है. अमेरिका, इजरायल का मजबूत समर्थक है, जबकि कई अरब देश फिलिस्तीन का साथ देते हैं. इस वजह से हर अंतरराष्ट्रीय कोशिश अक्सर राजनीतिक हितों में उलझकर अधूरी रह जाती है.
75 साल बाद भी नहीं मिल रहा स्थाई हल
साल 2023 और 2024 में भी गाजा में हिंसा के हालात बने रहे. इस दौरान सैकड़ों निर्दोष लोग मारे गए और हजारों को घर छोड़ने पड़े. हर बार युद्धविराम की घोषणा होती है, लेकिन कुछ समय बाद फिर गोलाबारी शुरू हो जाती है. कुल मिलाकर यह संघर्ष सिर्फ जमीन का नहीं, बल्कि पहचान, धर्म और सत्ता से जुड़ा मुद्दा बन चुका है. 75 साल बीत जाने के बावजूद अब तक इसका स्थायी हल नहीं निकल सका है, क्योंकि दोनों पक्ष अपनी-अपनी धार्मिक सच्चाई और ऐतिहासिक अधिकार को छोड़ने को तैयार नहीं हैं.
यह भी पढ़ें: Tax Free Countries: दुनिया के किन देशों में नहीं देना पड़ता इनकम टैक्स? जान लें हर एक का नाम
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL

























