IndiGo Flight Cancellation: एक एयरलाइन कितना बढ़ा सकती है प्लेन का किराया, एक टिकट पर कितनी हो सकती है बढ़ोत्तरी, क्या हैं नियम?
IndiGo Flight Cancellation: हाल ही में हुए इंडिगो संकट के दौरान फ्लाइट टिकट की कीमतों मैं काफी बढ़ोतरी देखने को मिली. आइए जानते हैं कि भारत में एक एयरलाइन कितना बड़ा सकती है प्लेन का किराया.

IndiGo Flight Cancellation: दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में केंद्र सरकार से इंडिगो की बड़े पैमाने पर फ्लाइट कैंसिल होने के दौरान टिकट की कीमतें ₹35000-₹39000 तक पहुंचने पर सवाल किया. कोर्ट का यह सवाल था कि इतनी ज्यादा बढ़ोतरी को क्यों नहीं रोका गया. इसी बीच आइए जानते हैं कि भारत में हवाई किराए को कैसे रेगुलेट किया जाता है और ज्यादा से ज्यादा कितनी बढ़ोतरी हो सकती है.
क्यों अनियंत्रित हो जाती हैं हवाई टिकट की कीमतें
दरअसल भारत एक मार्केट ड्रिवन एविएशन मॉडल को फॉलो करता है. इसमें फ्लाइट की कीमतें डिमांड और सप्लाई से तय होती हैं. एयरलाइंस डायनेमिक प्राइसिंग सिस्टम का इस्तेमाल करती हैं जो बची हुई सीटों की संख्या, यात्रा की तारीख और मौसमी कारकों की वजह से किराए में उतार-चढ़ाव करती हैं. सामान्य ऑपरेशंस के दौरान किराए पर कोई भी निश्चित सीमा नहीं होती और एयरलाइंस तब तक टैरिफ तय करने के लिए आजाद हैं जब तक वह अपने किराए श्रेणियों के तहत घोषित सीमा के अंदर रहते हैं.
सरकार कब करती है कीमतों को तय
वैसे तो सरकार आमतौर पर किराए को रेगुलेट करने से दूर रहती है लेकिन वह असाधारण स्थितियों के समय में कीमतों को तय कर सकती है. ऐसा बड़े पैमाने पर फ्लाइट कैंसिल होने, एयरलाइन बंद होने या फिर क्षमता में अचानक से गिरावट के दौरान किया जा सकता है. ऐसा मनमानी कीमत वसूली को रोकने के लिए किया जा सकता है. ऐसे मामलों में नागरिक उड्डयन मंत्रालय यात्रियों की सुरक्षा के लिए अस्थाई किराया सीमा लगाता है. हाल ही के संकट के दौरान सरकार ने इकोनॉमी क्लास टिकटों पर दूरी आधारित अधिकतम किराया सीमा लागू किया था. हालांकि इन सीमाओं में एयरपोर्ट शुल्क और टैक्स शामिल नहीं था.
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय हवाई किराए के तरीकों की निगरानी कैसे करता है
भले ही वह किराया तय नहीं करता है लेकिन नागरिक उड्डयन महानिदेशालय अपनी तारीफ मॉनिटरिंग यूनिट के जरिए एयरलाइन मूल्य निर्धारण की लगातार निगरानी करता है. यह यूनिट इस बात पर नजर रखती है कि एयरलाइंस पारदर्शी हो, अनुचित मूल्य तय ना करती हों और साथ ही सार्वजनिक रूप से घोषित किराया श्रेणियों का पालन करें. यदि कोई भी एयरलाइन अनुचित तरीके से कीमतों में हेर फेर करते हुए पाई जाती है तो नागरिक उड्डयन महानिदेशालय स्पष्टीकरण मांग सकता है.
संकट के दौरान किराए में इतनी तेजी से बढ़ोतरी क्यों होती है
दरअसल भारत में हवाई किराए में बढ़ोतरी तब हो जाती है जब डिमांड अचानक सप्लाई से ज्यादा हो जाती है. बड़े पैमाने पर कैंसिल होने की वजह से देश भर में उपलब्ध सीटें कम हो जाती हैं और यही वजह है कि एयरलाइंस बची हुई उड़ानों पर कीमतों को बढ़ा देती हैं. डायनेमिक प्राइसिंग एल्गोरिथम इन स्थितियों पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं और यही वजह है कि किसी बड़ी यात्रा में रुकावट आने के कुछ ही मिनट के अंदर टिकट की कीमतें काफी ज्यादा हो जाती हैं.
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