कहां और कैसे हुआ था साबुन का आविष्कार? 19वीं सदी में साबुन पर क्यों लगने लगा था लग्जरी टैक्स
Soap Invention: साबुन हर घर की बुनियादी जरूरत है. कपड़े-बर्तन-शरीर सब की सफाई के लिए साबुन का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर साबुन का आविष्कार कैसे हुआ और साबुन कहां से आया...

Soap Invention: साबुन का इस्तेमाल हम लोग सालों से करते आए हैं, सफाई से लेकर स्नान तक... आज की तारीख में मार्केट में हर तरह से सस्ते-महंगे साबुन अपनी खुश्बू और खूबी के साथ बिक रहे हैं. लेकिन क्या आपने ये जाना कि साबुन आया कहां से, किसने किया इसका आविष्कार या सबसे पहले इसके प्रमाण कब मिले...आइए जानते हैं.
क्या कहता है इतिहास
इतिहासकार बताते हैं कि आज से लगभग 5 हजार साल पहले बेबीलोन सभ्यता के लोग साबुन का इस्तेमाल करते थे. बेबीलोन का पुराना नाम बाबिल था. जोकि मौजूदा दौर में बगदाद के पास है. खुदाई के दौरान यहां साबुन मिले थे. हालांकि साबुन कैसा बना इस बात को लेकर कोई स्पष्ट प्रमाण सामने नहीं आ पाया है मगर खुदाई में मिले साबुन से इतना जरूर है कि उस समय तक साबुन का आविष्कार हो गया था.
आर्कियोलॉजिस्ट को इस बात के प्रूफ मिले हैं कि प्राचीन बेबीलोन के लोग 2800 ईसा पूर्व साबुन बनाना जानते थे. क्योंकि उस वक्त के मिट्टी के सिलेंडरों में साबुन जैसी सामग्री मिली है. बता दें कि इन पर लिखा था कि हम 'राख के साथ उबली हुई चर्बी' (साबुन बनाने की एक विधि) का उपयोग सफाई के लिए करते हैं.
पुराने अभिलेखों से ये जाहिर है कि एनसिएंट मिस्र के लोग रोजाना नहाया करते थे. वहीं लगभग 1500 BC के एक चिकित्सा दस्तावेज 'एबर्स पेपिरस' में जानवरों और वेजिटेबल ऑयल को एल्कलाइन साल्ट के साथ मिलाकर साबुन जैसी सामग्री बनाने का वर्णन किया गया है. जिसका इस्तेमाल त्वचा रोगों से लड़ने और नहाते वक्त शरीर की सफाई में किया जाता था.
साबुन को 'सोप' कैसे कहने लगे
कपड़े के तेल और दाग मिटाने के लिए टे और राख से मिलाकर साबुन बनाया जाता था. कहते हैं तकरीबन 4 हजार साल पहले जब रोमन महिलाएं टाइबर नदी के किनारे बैठकर कपड़े धो रहीं थीं तभी नदी के ऊपरी सिरे से बलि चढ़ाए गए कुछ जानवरों का फैट बहकर आ गया था. जो नदी के किनारे मिट्टी में जम गया था. इसके बाद जब यह कपड़ों में लगा तो अनोखी चमक आ गई थी. जानकारी के मुताबिक फैट माउंट सापो से बहकर आया था, इसलिए इस मिट्टी को ‘सोप’ नाम दिया गया था. यहीं से साबुन का नाम आया था.
साबुन पर लग्जरी टैक्स
वर्ल्ड वॉर के समय में जब एनिमल और वेजिटेबल फैट से बनने वाले साबुनों की कमी पड़ी तो कंपनियों ने कच्चे माल के तौर पर सिंथेटिक मैटीरियल का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. 19वीं सदी में साबुन की गिनती लग्जरी आइटम्स में होने लगी थी. तब दुनिया के कई देशों में साबुन पर भारी भरकम टैक्स लगाया जाता था.
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