एक स्पेस स्टेशन बनाने में कितना खर्चा आता है, हवा में कैसे लटका रहता है यह?
Costs To Build Space Station: एक स्पेस स्टेशन इतनी आसानी से नहीं बन जाता है. इसे बनाने में करोड़ों रुपये का खर्चा आता है और समय भी बहुत खर्च होता है. चलिए जानें कि आखिर यह हवा में कैसे लटकता है.

भारत अब अंतरिक्ष में अपना स्पेस स्टेशन बनाने की तैयारी कर रहा है. केंद्रीय विज्ञान प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने कुछ वक्त पहले एक समारोह में यह बताया था कि साल 2040 तक भारत चांद पर अपना अंतरिक्ष यात्री उतारने की कोशिश में है, वहीं 2035 तक भारत का अपना स्पेस स्टेशन तैयार हो जाएगा. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर एक स्पेस स्टेशन को बनाने में कितना वक्त और पैसा लगता है. साथ ही हम आपको यह भी बताएंगे कि क्या यह हवा में लटका रहता है या फिर धरती के चारों ओर चक्कर काटता है.
कैसे बनता है स्पेस स्टेशन?
अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन को अंतरिक्ष में नहीं बनाया जाता है, बल्कि इसके अलग-अलग हिस्से पृथ्वी पर बनाए जाते हैं. फिर इन हिस्सों को रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में ले जाकर अंतरिक्ष यात्री जोड़ते हैं. इसके लिए अंतरिक्ष यात्रियों को खास तैयारी करनी पड़ती है, क्योंकि यह बहुत जटिल प्रक्रिया होती है. इसके लिए स्पेशल स्पेस सूट की भी जरूरत होती है, क्योंकि स्पेस स्टेशन की ऑर्बिट धरती से करीब 250 मील दूर है. एक बार जब यह पूरी तरह से जुड़ जाता है, तब अंतरिक्ष यात्री इसका इस्तेमाल करते हैं.
इसे बनाने में कितना खर्च आता है?
स्पेस स्टेशन को बनाने के खर्चे की बात करें तो इसमें बहुत खर्चा आता है. अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन के निर्माण में अमेरिका, रूस, कनाडा, यूरोप और जापान ने मिलकर सहयोग किया है. खबरों की मानें तो इसको बनाने में करीब 150 बिलियन अमेरिकी डॉलर का खर्चा आया है. इसको बनाने में भी काफी वक्त लगता है. स्पेस डॉट कॉम की मानें तो ISS का निर्माण साल 1998 में शुरू हुआ था और साल 2011 में यह बनकर पूरा हुआ. इसी तरह से एक अंतरिक्ष स्टेशन को बनाने में कई साल लग सकते हैं. इस स्पेस स्टेशन का वजन करीब एक मिलियन पाउंड है, जो कि किसी फुटबॉल मैदान के बराबर है.
क्या हवा में लटका रहता है स्पेस स्टेशन?
वास्तव में स्पेस स्टेशन हवा में लटके नहीं रहते हैं, बल्कि ये धरती के चारों ओर चक्कर काटते रहते हैं. धरती के गुरुत्वाकर्षण बल से बचने के लिए ये स्पेस स्टेशन हाई विलोसिटी यानि उच्च वेग से आगे की ओर बढ़ते हैं. यही इसे धरती पर वापस गिरने से रोकता है. यह एक निरंतर गति और ग्रेविटी के बीच संतुलन है, जो कि इसे कक्षा में बनाए रखता है. अंतरिक्ष स्टेशन पृथ्वी की कक्षा में लगभग 27,600 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से घूमता है. यह पृथ्वी की कक्षा से करीब 400 किलोमीटर ऊपर की ओर है.
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