क्या मुगलों के समय भी होता था टैक्स रिफॉर्म, किस बादशाह ने दी थी प्रजा को सबसे ज्यादा छूट
मुगल काल में टैक्स प्रणाली काफी संगठित थी. अकबर ने टोडरमल की मदद से भूमि कर से किसानों को बड़ी राहत दी और जजिया कर हटाकर धार्मिक सहिष्णुता दिखाई. हालांकि औरंगजेब ने इसे दोबारा लागू किया.

केंद्र सरकार ने हाल ही में जीएसटी रिफॉर्म के जरिए आम और मिडिल क्लास परिवारों को बड़ी राहत देने का ऐलान किया है. सरकार का कहना है कि इन सुधारों से रोजमर्रा की जरूरतें जैसे रोटी, कपड़ा और मकान सस्ते होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि टैक्स सुधार कोई नया कदम नहीं है. इतिहास में भी अलग-अलग शासक समय-समय पर टैक्स व्यवस्था में बदलाव करते रहे हैं. खासकर मुगल काल में टैक्स की व्यवस्था काफी संगठित और सख्त थी, जिसे समय-समय पर शासकों ने बदला था.
अकबर ने किया था बड़ा सुधार
मुगल साम्राज्य में टैक्स का सबसे बड़ा स्रोत भूमि कर था. किसानों से आम तौर पर कुल उपज का एक तिहाई हिस्सा टैक्स के रूप में लिया जाता था. अकबर के शासनकाल में उनके वित्त मंत्री टोडरमल ने टैक्स प्रणालियों को और ज्यादा व्यवस्थित बनाया था, जिसे जब्ती प्रणाली कहा गया था. इसमें पहले जमीन का सर्वे होता था और फिर उपज के औसत मूल्य के आधार पर टैक्स तय किया जाता था. इस सुधार ने किसानों पर मनमानी वसूली का बोझ कम किया और इसे उस समय का सबसे बड़ा टैक्स रिफॉर्म माना गया था.
गैर मुसलमानों से वसूला जाता था जजिया कर
मुगल काल में गैर मुसलमानों से जजिया कर वसूला जाता था, लेकिन अकबर ने धार्मिक सहिष्णुता दिखाते हुए इसे खत्म कर दिया. यह कदम प्रजा को दी गई बड़ी राहत माना जाता है. हालांकि बाद में औरंगजेब ने इसे दोबारा लागू कर दिया. इसके चलते आम जनता पर एक्स्ट्रा बोझ बढ़ा और कर प्रणाली को लेकर असंतोष भी बढ़ा था.
मुगल काल में भी वसूला जाता था व्यापार और टोल टैक्स
मुगल काल में सिर्फ किसानों पर ही नहीं बल्कि व्यापारियों और यात्रियों पर भी टैक्स का बोझ था. एक जगह से दूसरी जगह माल ले जाने पर लगने वाले टैक्स को चुंगी कहा जाता था. शहरों में माल लाने पर अक्टू टैक्स वसूला जाता था. उस समय यात्रियों से सड़क या नदी पार करने पर टैक्स लिया जाता था, जिसे आज के टोल टैक्स जैसा कहा जा सकता है. यानी हर वर्ग उस समय भी पर किसी ने किसी रूप में टैक्स का असर था. वहीं इतिहासकारों के अनुसार अकबर को मुगल काल का सबसे बड़ा टैक्स सुधारक माना जाता है. क्योंकि अकबर ने न केवल भूमि कर को व्यवस्थित किया बल्कि जजिया कर को हटाकर आम जनता को राहत भी दी थी .
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Source: IOCL
























