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गर्मी में पावर कट से परेशान तो कौन-सा इनवर्टर लगवाएं, नॉर्मल इनवर्टर या सोलर इनवर्टर?
गर्मियों में पावर कट की दिक्कत काफी ज्यादा होती है. इस दौरान गर्मी से बचने के लिए घर में इन्वर्टर की जरूरत पड़ती है ताकि गर्मी से जान बचाई जा सके.
![गर्मी में पावर कट से परेशान तो कौन-सा इनवर्टर लगवाएं, नॉर्मल इनवर्टर या सोलर इनवर्टर? difference between a Solar Inverter and Normal Inverter read full article in hindi गर्मी में पावर कट से परेशान तो कौन-सा इनवर्टर लगवाएं, नॉर्मल इनवर्टर या सोलर इनवर्टर?](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/05/23/a0e059970ab525b4fe58aa8c1cef1e091716457245427593_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
गर्मियों में पावर कट की दिक्कत काफी ज्यादा झेलनी पड़ती है. खासकर उत्तरी भारत में अप्रैल से जून तक टाइम में भीषण गर्मी पड़ती है. इस दौरान लोग ज्याद से ज्यादा वक्त कूलर, पंखा और एसी में गुजारते हैं. लेकिन यह सभी चीज अच्छे से काम करे इसके लिए पावर सप्लाई की जरूरत पड़ती है.
नार्मल इन्वर्टर और सोलर इन्वर्टर में अंतर क्या है?
गर्मी में पावर कट हो जाए उस दौरान इन्वर्टर की जरूरत पड़ती है ताकि गर्मी से जान बचाई जा सके.ऐसी स्थिति में बहुत जरूरी है कि घर में इन्वर्टर या बैटरी जरूर रहे. आप भी इस गर्मी अपने घर में इन्वर्टर लगाने की सोच रहे हैं तो हम आपके लिए लाए हैं खास टिप्स. इसकी मदद से आप आराम से अपने मन के हिसाब से इन्वर्टर लगा सकते हैं. सबसे पहले जानेंगे कि नार्मल इन्वर्टर और सोलर इन्वर्टर में अंतर क्या है?
नार्मल इन्वर्टर और सोलर इन्वर्टर में अंतर:
नॉर्मल इन्वर्टर
नार्मल इन्वर्टर को Gried-Tied के नाम से भी जाना जाता है.
नॉर्मल वाले इन्वर्टर में डीसी टू एसी में चेंज के दौरान बिजली की जरूर पड़ती है.
नॉर्मल इन्वर्टर में बिजली सेव करने की क्षमता नहीं होती है.
नॉर्मल इन्वर्टर आप उन जगहों पर लगा सकते हैं जहां पावर कट ज्यादा नहीं होता है. या यूं कहें कि जहां कम समय के लिए होती है.
नॉर्मल इन्वर्टर बिजली या बैटरी से चलते हैं लेकिन सोलर इन्वर्टर सूरज की रोशनी से चलती है. सोलर इन्वर्टर चार्ज कंट्रोलर के साथ पूरी उर्जा प्रणाली के साथ चलती है. इसके साथ ही इन्वर्टर की बैटटी उसे 220 वोल्ट के करंट में बदल देता है. जिससे घर में पाई जाने वाली करंट चलती है.
हमारे घरों में आने वाली बिजली AC होता है यानि Alternating Current. इसका जनरेशन पावर प्लांट में होता है. इसे डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के जरिए घर तक पहुंचाया जाता है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 42 डिग्री तापमान में इंसान जीवित रह सकता है वहीं इससे ज्यादा तापमान इंसानी शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है. 'लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन' की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2050 तक गर्मी से होने वाली मौतों में 257 फीसदी तक वृद्धि हो जाएगी. विज्ञान कहता है कि इंसान का शरीर 35 से 37 डिग्री तापमान बिना किसी परेशानी के सह सकता है वहीं यही तापमान जब 40 डिग्री हो जाता है तो लोगों को परेशानी होने लगती है. इसे लेकर की गईं रिसर्चों की मानें तो इंसानों के लिए 50 डिग्री का अधिकतम तापपमान बर्दाश्त करना खासा मुश्किल हो जाता है.
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