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RSS Ban: कर्नाटक में आरएसएस पर बैन लगाने की मांग, जानें कब-कब हो चुकी ऐसी कोशिश?

RSS Ban: कर्नाटक में आरएसएस पर एक बार फिर से बैन लगाने की मांग चल रही है. आइए जानते हैं पहले ऐसा कब हो चुका है और क्या थी वजह.

RSS Ban: कर्नाटक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लेकर बहस तेज हो गई है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने आरएसएस के कार्यक्रम को लेकर यह निर्देश दिया है कि सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों, सार्वजनिक मैदानों या फिर बाकी सरकारी संपत्तियों में आरएसएस की शाखाएं नहीं लगाई जानी चाहिए. इस निर्देश को सूचना प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी, ग्रामीण विकास और पंचायत राज मंत्री प्रियांक खड़गे के अनुरोध पर दिया गया है. खड़गे द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र में आरएसएस ने सार्वजनिक संस्थानों का इस्तेमाल शाखाएं आयोजित करने, कथित तौर पर विभाजनकारी विचारधाराओं को बढ़ावा देने और बच्चों व युवाओं में संविधान विरोधी भावनाएं भड़काने पर चिंता जताई है. इसी बीच आइए जानते हैं कि इससे पहले आरएसएस पर बैन लगाने की कोशिश कब हो चुकी है.

महात्मा गांधी की हत्या के बाद 

आरएसएस पर पहला बड़ा प्रतिबंध 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या के बाद लगाया गया था. उस समय के गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने 4 फरवरी 1948 को यह बैन लगाया था. उनका आरोप था कि आरएसएस सांप्रदायिक तनाव को भड़का रहा है. 1949 में इस प्रतिबंध को हटा दिया गया था.

आपातकाल के दौरान 

1975 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देशव्यापी आपातकाल की घोषणा की थी. इसी के साथ नागरिक स्वतंत्रता को निलंबित कर दिया गया था और साथ ही राजनीतिक विरोध पर नकेल कस दी गई थी. इस अवधि के दौरान आरएसएस पर फिर से प्रतिबंध लगा दिया गया था क्योंकि इसे सरकार के अधिकार के लिए खतरा माना जा रहा था. इस दौरान कई आरएसएस कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया जिसने भारतीय राजनीति में संगठन की विवादास्पद भूमिका को दिखाया.

बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद 

6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे संगठनों के साथ-साथ आरएसएस पर भी प्रतिबंध लगा दिया था. बाद में उच्च न्यायालय द्वारा इस प्रतिबंध को हटा दिया गया.

प्रियांक खड़गे का सीएम को पत्र

प्रियांक ने सीएम को पत्र लिखते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नाम का एक संगठन सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों और सार्वजनिक सरकारी मैदाने का इस्तेमाल शाखाओं को लगाने और बच्चों और युवाओं के मन में देश की एकता के प्रति नकारात्मक सोच को भरने और संविधान के आदर्शों के खिलाफ नारे लगाने के लिए कर रहा है. इसी के साथ उन्होंने सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूल, मैदान और पार्क में आयोजित की जाने वाली आरएसएस की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया.

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स्पर्श गोयल को कंटेंट राइटिंग और स्क्रीनराइटिंग में चार साल का अनुभव है.  इन्होंने अपने करियर की शुरुआत नमस्कार भारत से की थी, जहां पर लिखने की बारीकियां सीखते हुए पत्रकारिता और लेखन की दुनिया में कदम रखा. इसके बाद ये डीएनपी न्यूज नेटवर्क, गाजियाबाद से जुड़े और यहां करीब दो साल तक काम किया.  इस दौरान इन्होंने न्यूज राइटिंग और स्क्रीनराइटिंग दोनों में अपनी पकड़ मजबूत की.

अब स्पर्श एबीपी के साथ अपनी लेखनी को निखार रहे हैं. इनकी खास रुचि जनरल नॉलेज (GK) बीट में है, जहां ये रोज़ नए विषयों पर रिसर्च करके अपने पाठकों को सरल, रोचक और तथ्यपूर्ण ढंग से जानकारी देते हैं.  

लेखन के अलावा स्पर्श को किताबें पढ़ना और सिनेमा देखना बेहद पसंद है.  स्क्रीनराइटिंग के अनुभव की वजह से ये कहानियों को दिलचस्प अंदाज़ में पेश करने में भी माहिर हैं.  खाली समय में वे नए विषयों पर रिसर्च करना और सोशल मीडिया पर अपडेट रहना पसंद करते हैं.

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