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Slum Free City Of India: भारत का यह शहर‌ हुआ झुग्गी झोपड़ियों से मुक्त, जानें कैसे मिली यह बड़ी सफलता?

Slum Free City Of India: आज हम आपको बताने जा रहे हैं भारत के एक ऐसे शहर के बारे में जो अब देश का पहला झुग्गी मुक्त शहर बन चुका है. आइए जानते हैं.

Slum Free City Of India: भारत ने शहरी विकास में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. चंडीगढ़ देश का पहला आधिकारिक तौर पर झुग्गी मुक्त शहर बन चुका है. चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा शाहपुर कॉलोनी सहित कई अवैध बस्तियों को हटाकर लगभग 520 एकड़ जमीन को अधिकार में ले लिया गया है. आइए जानते हैं कि कैसे भारत के पहले झुग्गी मुक्त शहर ने यह बड़ी उपलब्धि हासिल की.

एक दशक लंबा बदलाव अभियान 

चंडीगढ़ का झुग्गी मुक्त शहर बनना रातों-रात संभव नहीं हुआ. नगर प्रशासन ने यह अभियान 12 सालों से चलाया हुआ था. रणनीतिक योजना, अवैध बस्तियों का विध्वंस और प्रभावित परिवारों के लिए सही आवास और पुनर्वास कार्यक्रमों का कार्यान्वयन ही इस अभियान को सफल बना पाया है. इस पहल के बाद एक बड़ी जमीन तो खाली हुई ही है साथ ही शहर को एक नई पहचान और दिशा भी मिली है. 

अवैध बस्तियों को हटाया गया 

पिछले कुछ सालों में चंडीगढ़ प्रशासन ने पूरे शहर से व्यवस्थित रूप से झुग्गियों को हटाया है. 2014 में कल्याण कॉलोनी से 89 एकड़ जमीन वापस ली गई. इसके बाद अंबेडकर कॉलोनी और कॉलोनी नंबर 4 से 65 एकड़ जमीन वापस ली गई. आखिर में शाहपुर, संजय और आदर्श कॉलोनियों को साफ किया गया ताकि झुग्गी मुक्त शहर का सपना पूरा हो पाए. 

ली कॉर्बूसियर का सपना साकार 

मशहूर वास्तुकार ली कॉर्बूसियर ने 1950 के दशक में चंडीगढ़ को डिजाइन किया था. उन्होंने मूल रूप से एक सुनियोजित, आधुनिक झुग्गी झोपड़ियों से मुक्त शहर के रूप में कल्पना की थी. अब बस्तियों को हटाने के बाद इस सपने को पूरा किया गया है.

बेहतर जीवन स्तर 

नगर प्रशासन ने यह पक्का किया है कि बस्तियों को हटाने से निवासियों को सहायता के बिना ना रहना पड़े.  पुनर्वास कार्यक्रमों ने प्रभावित परिवारों को आवास, बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा और रोजगार के अवसर दिए हैं. चंडीगढ़ की उपलब्धि सिर्फ एक स्थानीय जीत नहीं है बल्कि यह पूरे देश के लिए एक गर्व की बात है. साथ ही यह एक प्रेरणादायक उदाहरण भी है. अपनी झुग्गी झोपड़ी मुक्त स्थिति की वजह से अब चंडीगढ़ एक आधुनिक शहरी शासन का प्रतीक बन गया है. यह बड़ी उपलब्धि भारत के बाकी शहरों के लिए भी ऐसी सफलता प्राप्त करने की प्रेरणा बन चुकी है. ऐसी पहलों के बाद आने वाली पीढ़ी के लिए व्यवस्थित, रहने योग्य और टिकाऊ शहरी वातावरण बन पाएगा.

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स्पर्श गोयल को कंटेंट राइटिंग और स्क्रीनराइटिंग में चार साल का अनुभव है.  इन्होंने अपने करियर की शुरुआत नमस्कार भारत से की थी, जहां पर लिखने की बारीकियां सीखते हुए पत्रकारिता और लेखन की दुनिया में कदम रखा. इसके बाद ये डीएनपी न्यूज नेटवर्क, गाजियाबाद से जुड़े और यहां करीब दो साल तक काम किया.  इस दौरान इन्होंने न्यूज राइटिंग और स्क्रीनराइटिंग दोनों में अपनी पकड़ मजबूत की.

अब स्पर्श एबीपी के साथ अपनी लेखनी को निखार रहे हैं. इनकी खास रुचि जनरल नॉलेज (GK) बीट में है, जहां ये रोज़ नए विषयों पर रिसर्च करके अपने पाठकों को सरल, रोचक और तथ्यपूर्ण ढंग से जानकारी देते हैं.  

लेखन के अलावा स्पर्श को किताबें पढ़ना और सिनेमा देखना बेहद पसंद है.  स्क्रीनराइटिंग के अनुभव की वजह से ये कहानियों को दिलचस्प अंदाज़ में पेश करने में भी माहिर हैं.  खाली समय में वे नए विषयों पर रिसर्च करना और सोशल मीडिया पर अपडेट रहना पसंद करते हैं.

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