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कैसे बनते हैं नए अखाड़े, महाकुंभ के बीच जान लीजिए कहां करना होता है आवेदन

महाकुंभ में देशभर के साधु-संत और सभी 13 अखाड़े पहुंचे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुंभ में जिस अखाड़े की बार-बार चर्चा होती है, क्या कोई भी बना सकता है अखाड़ा. जानिए इसको लेकर क्या है नियम.

महाकुंभ में श्रर्धालुओं की भीड़ लगातार बढ़ रही है. देशभर के सेलेब्रिटी से लेकर आम नागरिक भी प्रयागराज पहुंचकर आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. वहां पहुंचने वाले भक्त साधु-संतों से मिलकर उनका आशीर्वाद भी प्राप्त कर रहे हैं. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि देश में नए अखाड़े कैसे बनते हैं. आज हम आपको उसके बारे में बताएंगे.

महाकुंभ में अखाड़े

महाकुंभ में आस्था के प्रतीक माने जाने वाले अखाड़े बेहद महत्वपूर्ण माने जाते है. बता दें कि साधु-संतों के समूहों को ही अखाड़ा कहा जाता है. अखाड़े भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का हिस्सा रहे हैं, जिनकी उत्पत्ति का इतिहास भी काफी पुराना है. लेकिन आज सबसे पहले हम आपको ये बताएंगे कि अखाड़े क्या होते हैं और देश में कुल अभी कितने अखाड़े हैं. 

क्या होता है अखाड़ा?

बता दें कि अखाड़ा साधुओं का वह दह है, जो शास्त्र के साथ शस्त्र विद्या में भी पारंगत होते हैं. शाही सवारी, हाथी-घोड़े की सजावट, घंटा-नाद, नागा-अखाड़ों के करतब और तलवार और बंदूक का खुले आम प्रदर्शन यह अखाड़ों की पहचान है. भारत में अखाड़ों का इतिहास सैंकड़ों साल पुराना है. वहीं इसको लेकर संतों का मानना है कि जो शास्त्र से नहीं मानते हैं, उन्हें शस्त्र से मनाने के लिए अखाड़ों का जन्म हुआ है. 

किसने की थी अखाड़ों की शुरुआत ?

अब आपके मन में ये सवाल आ रहा होगा कि आखिर अखाड़ों की शुरूआत किसने की थी. शास्त्रों के मुताबित आदि शंकराचार्य ने सदियों पहले बौद्ध धर्म के बढ़ते प्रसार को रोकने और मुगलों के आक्रमण से हिंदू संस्कृति को बचाने के लिए अखाड़ों की स्थापना की थी. 8वीं सदी में आदि शंकराचार्य ने शैव, वैष्णव और उदासीन पंथ के संन्यासियों के मान्यता प्राप्त कुल 13 अखाड़े बनाए थे. जिसमें साधुओं को योग, अध्यात्म के साथ शस्त्रों की भी शिक्षा दी जाती है.

कैसे बन सकता है नया अखाड़ा? 

बता दें कि ऐसा कहीं तथ्य नहीं मिलता है कि जरूरत पड़ने पर नया अखाड़ा नहीं बनाया जा सकता है. लेकिन अखाड़ों की अपनी एक व्यवस्था होती है, इसलिए कोई भी साधु अखाड़ा नहीं बना सकता है. सभी 13 अखाड़ों का संचालन अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष करते हैं. इसलिए नए अखाड़े की शुरूआत के लिए उनकी सहमति और धर्म की रक्षा के लिए उसकी जरूरत दिखना बहुत जरूरी है. वहीं अलग-अलग अखाड़ों की अगुवाई करने वालों को महामंडलेश्वर कहा जाता है.

शैव संन्यासी संप्रदाय के 7 अखाड़े

• पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी- दारागंज प्रयाग (उत्तर प्रदेश)
• पंच अटल अखाड़ा- चौक हनुमान, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
• पंचायती अखाड़ा निरंजनी- दारागंज, प्रयाग (उत्तर प्रदेश)
• तपोनिधि आनंद अखाड़ा पंचायती - त्रंब्यकेश्वर, नासिक (महाराष्ट्र)
• पंचदशनाम जूना अखाड़ा- बाबा हनुमान घाट, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
• पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा- दशाश्वमेघ घाट, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
• पंचदशनाम पंच अग्नि अखाड़ा- गिरीनगर, भवनाथ, जूनागढ़ (गुजरात)

बैरागी वैष्णव संप्रदाय के 3 अखाड़े

• दिगम्बर अणि अखाड़ा- शामलाजी खाकचौक मंदिर, सांभर कांथा (गुजरात)
• निर्वानी अणि अखाड़ा- हनुमान गादी, अयोध्या (उत्तर प्रदेश)
• पंच निर्मोही अणि अखाड़ा- धीर समीर मंदिर बंसीवट, वृंदावन, मथुरा (उत्तर प्रदेश)

उदासीन संप्रदाय के 3 अखाड़े

• पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा- कृष्णनगर, कीटगंज, प्रयाग (उत्तर प्रदेश)
• पंचायती अखाड़ा नया उदासीन- कनखल, हरिद्वार (उत्तराखंड)
• निर्मल पंचायती अखाड़ा- कनखल, हरिद्वार (उत्तराखंड)

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