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Explained: एचआईवी और कैंसर दोनों से जीती जंग, यूएस के मरीज की कहानी ने जगाई बड़ी उम्मीद

HIV Positive And Cancer: कैंसर और एचआईवी दोनों बीमारियों से जूझ रहा अमेरिका (America) का एक शख्स इनसे निजात पाने में कामयाब हो गया है. यूएस में एक जटिल मेडिकल प्रोसीजर के बाद ये संभव हो पाया है.

HIV Positive Man Also Battling Cancer Cured: कभी आपने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एचआईवी एड्स (HIV-AIDS) ही नहीं, बल्कि कैंसर (Cancer) से जूझ रहा कोई मरीज इन दोनों बीमारियों से पार पाने में कामयाब हो सका है, लेकिन हम आपको बता रहे हैं कि अमेरिका में यह सच हो गया है. इस 66 साल के मरीज से सेहतमंद हुए शख्स को सिटी ऑफ होप (City Of Hope) नाम दिया गया है. कैलिफ़ोर्निया (Californian) में इस मरीज का इलाज चल रहा था. वहां इस मरीज के सेहतमंद होने का एलान किया गया. गौरतलब है कि शुक्रवार को मॉन्ट्रियल (Montreal) कनाडा (Canada) में अंतरराष्ट्रीय एड्स सम्मेलन (International AIDS Conference) शुरू हो रहा है, ऐसे में सिटी ऑफ होप वास्तव में दुनिया भर के एड्स और कैंसर के मरीजों के लिए एक होप है.

एड्स के मरीजों के लिए एक आशा

एड्स (AIDS) शोधकर्ताओं ने बुधवार को घोषणा की कि एक व्यक्ति एचआईवी से ठीक हो गया है. इसके साथ ही शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि पहले ही कैंसर से जूझ रहे एड्स के मरीजों के लिए इलाज की ये खतरनाक प्रक्रिया है. हालांकि शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि दुनिया भर में एड्स के वायरस के साथ रहने वाले लाखों लोगों के लिए ये थोड़ी सी ही सही राहत की बात तो है. सिटी ऑफ होप नाम के 66 साल के मरीज का इलाज कैलिफ़ोर्निया (Californian) केंद्र में चल रहा था. यह मरीज एड्स के साथ ही कैंसर की बीमारी से भी जूझ रहा था. वह इस साल ठीक होने वाले दूसरे मरीज हैं. गौरतलब है कि शोधकर्ताओं ने फरवरी में एक अमेरिकी महिला के भी एड्स बीमारी से निजात (Remission) पाने का एलान किया था. इस महिला को सेंटर ने न्यूयॉर्क की मरीज (New York) नाम दिया था. सिटी ऑफ़ होप के मरीज़ से पहले उनके जैसे ही बर्लिन (Berlin) और लंदन (London) के मरीज़ों को भी एड्स की बीमारी से स्थाई राहत मिली थी. यह राहत उन्हें कैंसर के इलाज के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट (Bone Marrow Transplant) के बाद हासिल हो पाई थी.

पांच लोगों को मिला बीमारी से छुटकारा

एक अन्य व्यक्ति डसेलडोर्फ (Duesseldorf) मरीज के बारे में भी कहा गया है कि वह पहले से इस बीमारी से उबर चुका है. इस तरह से देखा जाए तो कुल पांच लोगों को एड्स और कैंसर की बीमारियों से छुटकारा मिल चुका है. सिटी ऑफ होप कैलिफोर्निया की एक संक्रामक रोग विशेषज्ञ (Infectious Disease Specialist ) जैना डिक्टर (Jana Dickter) ने एएफपी को बताया कि बीमारी से हालिया उबरा शख्स 'सिटी ऑफ होप' सबसे उम्रदराज मरीज था, इसलिए इस मरीज के बीमारी से पार पाने की सफलता एचआईवी पीड़ितों के लिए आशाजनक हो सकती है, जिन्हें कैंसर भी है. गौरतलब है कि डिक्टर इस तरह के रोगियों के लिए हो रहे शोध की लीड राइटर हैं. उनके नाम का एलान मॉन्ट्रियल में एक प्री-कांफ्रेस में किया गया था, हालांकि अभी इस क्षेत्र में काम कर रहे अन्य शोधकर्ताओं ने उनके काम की समीक्षा नहीं की है.

मेरे पास कृतज्ञता जताने के लिए शब्द नहीं

मरीज सिटी ऑफ होप ने कहा, "जब मुझे 1988 में एचआईवी का पता चला था तो कई अन्य लोगों की तरह, मुझे लगा कि यह मौत की सजा है."  यह मरीज अपनी पहचान जाहिर नहीं करना चाहता था, इसलिए इस उम्रदराज शख्स को सिटी ऑफ होप नाम दिया गया. बीमारी से उबर चुके इस शख्स ने बताया, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं उस दिन को देखने के लिए जिंदा रह पाऊंगा, जब मुझे एचआईवी नहीं होगा. मैं अभिभूत हूं, कृतज्ञता के लिए मेरे पास शब्द कम पड़ रहे हैं.

क्या कहते हैं संक्रामक रोग विशेषज्ञ

संक्रामक रोग विशेषज्ञ जैना डिक्टर का कहना है कि इस मरीज ने उन्हें  1980 के दशक में एड्स महामारी के शुरुआती दिनों में अपने अनुभवों के बारे में बताया जिसमें उसे तोहमतों का सामना करना पड़ा था. उन्होंने बताया कि मरीज अपनी आंखों के सामने अपने कई दोस्तों और प्रियजनों को बेहद बीमार होते और आखिरकार बीमारी की वजह से दम तोड़ते देखा. संक्रामक रोग विशेषज्ञ जैना डिक्टर ने बताया कि इस मरीज में एक वक्त में एड्स पूरी तरह फैल चुका था, लेकिन उसे एड्स के मरीजों के पर शुरूआती परीक्षणों के तहत एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (Antiretroviral Therapy) दी गई. यही वो थैरेपी है जो आज वैश्विक स्तर पर 38 मिलियन एचआईवी ग्रस्त लोगों में से कईयों को वायरस के साथ जीने में मदद कर रही है. सिटी ऑफ होप मरीज को 31 साल से एचआईवी था, जो पिछले किसी भी मरीज की तुलना में इस बीमारी का सबसे अधिक लंबा वक्त था, लेकिन ये अच्छी बात है कि उनके शरीर को बीमारी ने पूरी तरह से छोड़ दिया है.

बोन मैरो ट्रांसप्लाट हो रहा कारगर

सिटी ऑफ होप मरीज में ल्यूकेमिया (Leukaemia) कैंसर का पता चलने के बाद साल 2019 में एक डोनर से स्टेम सेल मिला. यह डोनर उनके परिवार से नहीं था. इसके बाद मरीज में अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण (Bone Marrow Transplant) किया गया. यह एक दुर्लभ म्यूटेशन था, जिसमें सीसीआर5 (CCR5) जीन (Gene) गायब था. यह जीन सफेद रक्त कोशिकाओं की सतह पर एक प्रोटीन है,जो प्रतिरक्षा प्रणाली में शामिल होता है, इसलिए यह एड्स के मरीजों में एचआईवी वायरस के लिए जबरदस्त प्रतिरोध पैदा कर रहा था. मरीज ने  एंटीरेट्रोवाइरल लेना बंद करने के लिए मार्च 2021 में कोविड-19 (COVID-19) का टीका लगने तक इंतजार किया, और तब से ही वह एचआईवी और कैंसर दोनों से मुक्ति पा रहे हैं.

उम्रदराज एचआईवी मरीजों पर दिख रहा फायदा

संक्रामक रोग विशेषज्ञ जैना डिक्टर ने बताया कि कम-तीव्रता वाली कीमोथेरेपी (Chemotherapy) ने एचआईवी रोगी के लिए काम किया. माना जा रहा है कि कैंसर से पीड़ित उम्रदराज एचआईवी रोगियों को भी इस तरह के इलाज के लिए इजाजत मिल सकती है. उन्होंने कहा कि हालांकि यह गंभीर दुष्प्रभावों के साथ एक जटिल प्रक्रिया है और एचआईवी वाले अधिकांश लोगों के लिए उपयुक्त विकल्प नहीं है. कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (University Of California), सैन फ्रांसिस्को (San Francisco) में एक एचआईवी विशेषज्ञ स्टीवन डीक्स (Steven Deeks) ने एएफपी को बताया, "अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण में आप जो पहली चीज करते हैं, वह यह है कि आप अस्थायी रूप से अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को नष्ट कर देते हैं, अगर आपको कैंसर नहीं होता तो आप ऐसा कभी नहीं करते." 

ये होली ग्रेल जैसा है

एड्स ( AIDS) प्री कांफ्रेस में एचआईवी से पीड़ित 59 वर्षीय स्पेनिश महिला के बारे में शोध का भी एलान भी किया गया है. इस महिला में  एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी को रोकने के बावजूद 15 वर्षों तक एक न पता चलने वाले (Undetectable) वायरल लोड को बनाए रखा है. सम्मेलन आयोजित करने वाली इंटरनेशनल एड्स सोसाइटी के निर्वाचित अध्यक्ष शेरोन लेविन (Sharon Lewin) ने कहा कि यह सिटी ऑफ़ होप के रोगी के समान नहीं था, क्योंकि वायरस बहुत निम्न स्तर पर बना हुआ था. लेविन ने कहा, " यह इलाज एचआईवी अनुसंधान में होली ग्रेल (Holy Grail) जैसा है." गौरतलब है कि होली ग्रेल ईसा मसीह के अंतिम भोज के गए प्याले को कहा जाता है और इसे इस्तेमाल करने वाला इंसान अमर हो जाता है.उन्होंने कहा कि हमने पहले कुछ व्यक्तिगत इलाज के मामलों को देखा है और आज पेश किए गए दो केस एचआईवी से पीड़ित लोगों के लिए निरंतर आशा और वैज्ञानिक समुदाय के लिए प्रेरणा देते रहेंगे.उन्होंने एक व्यक्तिगत कोशिका में एचआईवी की पहचान करने की दिशा में एक वास्तविक रोमांचक विकास की तरफ इशारा किया है. उनका कहना है कि ये एक घास के ढेर में सुई खोजने जैसा है.

एड्स के इलाज के लिए रोडमैप

सम्मेलन में प्रस्तुत किए गए नए शोध के लेखक डीक्स ने कहा कि यह संक्रमित कोशिका के जीव विज्ञान में अभूतपूर्व सफलता है. शोधकर्ताओं ने पहचाना कि एचआईवी वाली कोशिका में कई विशेष विशेषताएं होती हैं.डीक्स ने कहा कि एचआईवी का वायरस सबसे बेहतर तरीके से फैल सकता है, इसे खत्म करना मुश्किल है. यह लचीला और पता लगाने में मुश्किल है. यही वजह है कि एचआईवी एक आजीवन संक्रमण है. लेकिन उन्होंने कहा कि सिटी ऑफ होप के मरीज जैसे मामलों ने अधिक व्यापक रूप से उपलब्ध इलाज की दिशा में संभावित रोडमैप की पेशकश की है. 

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