कट्टरपंथियों, बॉलीवुड को गंदा करने की कोशिश मत करो: जावेद अख्तर
अख्तर की यह टिप्पणी उस बहस के तेज होने के बीच आई है, जिसमें सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने बॉलीवुड स्टार आमिर खान द्वारा प्रस्तावित 'महाभारत' के फिल्मी रूपांतरण में भगवान कृष्ण का किरदार निभाने पर सवाल उठाए हैं.

मुंबई: दिग्गज लेखक-गीतकार जावेद अख्तर ने कहा है कि भारतीय फिल्मोद्योग धर्मनिरपेक्षता का एक गढ़ है और यहां सांप्रदायिक पूर्वाग्रह या पक्षपात की कोई गुंजाइश नहीं है.
जावेद ने बुधवार को ट्वीट किया, "मैं साल 1965 में फिल्म उद्योग से जुड़ा था और मेरी तनख्वाह 50 रुपये महीना थी. मैंने इन 53 सालों में किसी क्षण भी हमारे उद्योग में किसी तरह के जातिवाद, पक्षपात का अनुभव नहीं किया. यह फिल्म उद्योग धर्मनिरपेक्षता का गढ़ है. कट्टरपंथियों, इसे प्रदूषित करने की कोशिश मत करो."
I had joined film industry in 1965 on a salary of 50 rupees per month. In these 53 years not for a second I have experienced or even seen any communal bias in our industry . This Film industry is the citadel of secularism . Bigots , don’t try to pollute it .
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) March 28, 2018
अख्तर की यह टिप्पणी उस बहस के तेज होने के बीच आई है, जिसमें सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने बॉलीवुड स्टार आमिर खान द्वारा प्रस्तावित 'महाभारत' के फिल्मी रूपांतरण में भगवान कृष्ण का किरदार निभाने पर सवाल उठाए हैं.
जब एक ट्विटर उपयोगकर्ता ने उनके 50 रुपये महीने के वेतन और धर्मनिरपेक्षता की टिप्पणी पर सवाल उठाया तो उन्होंने कहा, "मैं यह बताना चाहता हूं कि जब मैं आर्थिक और सामाजिक रूप से बहुत कमजोर स्थिति में था, तब भी मैंने कम से कम किसी भी सांप्रदायिक आधार पर किसी तरह का भेदभाव महसूस नहीं किया."
This is to establish that even when I was economically in a very humble and socially in a very vulnerable position then too I didn’t feel any discrimination at least on any communal grounds .
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) March 28, 2018
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