UP Election 2022: आखिर अखिलेश यादव के परिवार की चिंता BJP को क्यों? जानें पूरा मामला
Akhilesh Yadav On Aparna Yadav: ये बात किसी से छिपी नहीं है कि अखिलेश यादव और उनके सौतेले भाई प्रतीक यादव के रिश्ते मधुर नहीं है.
Uttar Pradesh Election 2022: मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की छोटी बहू अपर्णा यादव (Aparna Yadav) बीजेपी (BJP) में जाने वाली हैं. हफ़्ते भर से इस तरह की ख़बरें दिल्ली से लेकर लखनऊ तक चर्चा में है. न तो बीजेपी के किसी नेता ने इस पर कुछ बोला और न ही अपर्णा ने अब तक कुछ कहा है. मुलायम सिंह की बहू अपर्णा ने न तो इस खबर का खंडन किया और न ही ऐसा कहा कि वे बीजेपी के संपर्क में हैं. दोनों तरफ से सन्नाटा है. लेकिन बात तो अखिलेश यादव तक भी जा पहुंची है. अब तक वे इस सवाल से बच रहे थे. लेकिन आज समाजवादी पार्टी ऑफिस में प्रेस कॉफ्रेंस के दौरान पत्रकारों ने उन्हें घेर ही लिया. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि हमारे परिवार की हमसे ज़्यादा चिंता तो बीजेपी वाले कर रहे हैं.
ये बात किसी से छिपी नहीं है कि अखिलेश यादव और उनके सौतेले भाई प्रतीक यादव के रिश्ते मधुर नहीं है. अब से पांच साल पहले मुलायम परिवार में मचे घमासान के दौरान भी दोनों अलग अलग ख़ेमे में थे. प्रतीक की पत्नी अपर्णा यादव भी राजनीति में हैं. वे इस बार भी चुनाव लड़ना चाहती हैं. लेकिन शायद अखिलेश उन्हें टिकट देने के मूड में नहीं हैं. पिछला चुनाव अपर्णा ने लखनऊ कैंट की सीट से लड़ा था. तब कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही रीता बहुगुणा जोशी ने उन्हें हरा दिया था. इस बार भी अपर्णा उसी सीट से क़िस्मत आज़माने को बेक़रार हैं. अब वे बीजेपी के रास्ते से चुनाव लड़ने की जुगाड़ में हैं. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से लेकर दया शंकर सिंह जैसे नेताओं से कई दौर की बातचीत हो चुकी है. उनका मामला पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व तक भी पहुंच चुका है. लेकिन बीजेपी भी उन्हें टिकट देने के मूड में नहीं है. रीता बहुगुणा जोशी के बाद में बीजेपी से सांसद चुने जाने के बाद कैंट में उप चुनाव हुआ और ये सीट बीजेपी के क़ब्ज़े में चली गई.
मुलायम सिंह यादव नहीं चाहते हैं कि उनकी छोटी बहू अपर्णा बीजेपी में चली जाए. इस बार के चुनाव में वे खुल कर अखिलेश यादव के साथ खड़े हैं. उनके प्रयास से ही पांच साल बाद परिवार एक हो रहा है. चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश यादव के रिश्तों की खाई कम हुई है. दोनों की पार्टियों का गठबंधन तक हो चुका है. अखिलेश तो चाचा शिवपाल के घर जाकर उनका आशीर्वाद तक ले चुके हैं. इसीलिए शिवपाल ने अपर्णा को सलाह दी है कि परिवार के साथ मिल कर राजनीति करें.
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