Lok Sabha Elections 2024: मायावती ने क्यों गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ तोड़ा गठबंधन, BSP के अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने के पीछे क्या है रणनीति
Lok Sabha Elections 2024: मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में बीएसपी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का गठबंधन प्रभावी नहीं था. इसके बाद मायावती ने लोकसभा चुनाव अपने दम पर लड़ने का फैसला किया है.
Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए गठबंधन अपने साथ नई पार्टियों को जोड़ता जा रहा है. वहीं, विपक्षी दलों का पुराना गठबंधन टूट रहा है. अब मायावती ने भी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ अपना गठबंधन खत्म कर लिया है. विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियां साथ थीं, लेकिन यह गठबंधन कोई कमाल नहीं दिखा पाया. मायावती ने आरोप लगाया है कि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी अपने आदिवासी वोटरों को मायावती के उम्मीदवारों के समर्थन में नहीं ला पाई. इसके बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है. इससे पहले बहुजन समाज पार्टी ने शिरोमणी अकाली दल के साथ पंजाब में अपना गठबंधन खत्म किया था.
नवंबर 2023 में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दौरान दोनों पार्टियां साथ थीं, लेकिन चुनाव में इन्हें इसका कोई फायदा नहीं मिला. 1991 में गोंड लोगों का प्रतिनिधित्व करने के लिए और एक अलग गोंडवाना राज्य की मांग के लिए बनी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने बीएसपी के आरोपों का विरोध किया है.
नया वोट बैंक बनाने के लिए बना था गठबंधन
पिछले साल विधानसभा चुनाव से पहले बीएसपी और गीगीपी ने गठबंन किया था. इसका उद्देश्य दलित वोटरों और आदिवासी वोटरों को साथ लाकर नया वोट बैंक बनाने का था. ऐसा होने पर लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश में भी ये दोनों पार्टियां अच्छा प्रदर्शन कर सकती थीं, लेकिन मायावती का यह प्रयोग फेल रहा. बहुजन समाजवादी पार्टी के मध्य प्रदेश के अध्यक्ष रमाकांत पिप्पल ने कहा कि इस गठबंधन से उनकी पार्टी को कोई फायदा नहीं हुआ. दोनों राज्यों में बीएसपी कोई सीट नहीं जीत पाई और पार्टी का वोट शेयर भी कम हुआ.
उन्होंने आगे कहा "गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने गठबंधन के नियमों का भी पालन नहीं किया और जबेरा सीट में अपना उम्मीदवार उतारा, जहां बीएसपी चुनाव लड़ रही थी. हालांकि, बीएसपी के वोटर्स ने जीजीपी के उम्मीदवार का समर्थन किया. इस वजह से बीएसपी ने गठबंधन तोड़कर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया."
बीएसपी को चार सीट का नुकसान
2023 विधानसभा चुनाव में बीएसपी ने 230 सीटों में से 178 सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन पार्टी का वोट शेयर 5 फीसदी से गिरकर 3.4 फीसदी रह गया और कोई सीट भी नहीं मिली, जबकि 2018 में दो सीटें मिली थीं. वहीं, जीजीपी को भी पहले की तरह कोई सीट नहीं मिली. इसका वोट शेयर भी 1.8 फीसदी से गिरकर 0.9 फीसदी रह गया. वहीं, छत्तीसगढ़ में बीएसपी 53 सीट पर चुनाव लड़ी और उसका वोट शेयर 3.9 फीसदी से गिरकर 2 फीसदी रह गया. 37 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली जीजीपी का वोट शेयर भी 1.7 फीसदी से कम होकर 1.4 फीसदी रह गया.
मध्य प्रदेश में दलित और आदिवासी वोटर्स की संख्या काफी ज्यादा है. मध्य प्रदेश में दलित वोटर्स की संख्या 17 फीसदी और छत्तीसगढ़ में 15 फीसदी है. वहीं, आदिवासी वोटर्स की संख्या मध्य प्रदेश में 22 फीसदी और छत्तीसगढ़ में 32 फीसदी है.
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