देशभर में लेफ्ट पार्टियों की हालत पस्त, सिर्फ पांच सीटों पर सिमटे
लेफ्ट पार्टियों का गढ़ माने जाने वाले पश्चिम बंगाल में इनका खाता भी नहीं खुला. इस के लोकसभा चुनाव में लेफ्ट पार्टियां महज पांच सीटें ही जीतने में कामयाब हो पाई. तमिलनाडु में सीपीएम और सीपीआई ने दो-दो सीटें जीतीं वहीं केरल में सीपीएम एक सीट जीतने में कामयाब हो सकी.

Lok Sabha Election Results 2019: इस लोकसभा चुनाव में ‘मोदी लहर’ में लेफ्ट पार्टियों का भी सूपड़ा साफ हो गया. लेफ्ट पार्टियों के गढ़ माने जाने वाले पश्चिम बंगाल में कोई भी लेफ्ट पार्टी अपना खाता नहीं खोल पाई. इतना ही नहीं एक कैंडिडेट को छोड़कर बाकी सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. इस चुनाव में सीपीएम और सीपीआई को मिलाकर सिर्फ पांच कैंडिडेट ही चुनाव जीत पाए. इनमें चार तमिलनाडु और एक केरल से शामिल हैं. सीपीआई केरल की दो सीट जीतने में कामयाब हो पाई. वहीं सीपीएम ने एक सीट केरल और दो सीट तमिलनाडु में हासिल की. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में लेफ्ट पार्टियों ने 12 सीटें जीती थीं.
चुनाव आयोग की तरफ से घोषित नतीजों के मुताबिक पश्चिम बंगाल में सीपीएम के जाधवपुर से उम्मीदवार बिकास रंजन भट्टाचार्य ही जमानत बचाने लायक वोट हासिल करने में कामयाब रहे. वहीं सीपीआई के किसी उम्मीदवार की जमानत नहीं बच सकी. गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में प्रत्येक उम्मीदवार को जमानत राशि बचाने के लिये कुल पड़े मतों का कम से कम 16 प्रतिशत मत प्राप्त करना अनिवार्य है. निर्वाचन नियमों के तहत सामान्य वर्ग के उम्मीदवार के लिये जमानत राशि 25 हजार रुपये निर्धारित है. वहीं अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के लिये 12500 और अनुसूचित जनजाति उम्मीदवार के लिये पांच हजार रुपये निर्धारित है.
पश्चिम बंगाल में 2011 तक 34 साल सत्ता में रहे वाम दलों के लिये सीपीआई के वरिष्ठ नेता मोहम्मद सलीम की जमानत जब्त होना सबसे चौंकाने वाला रहा. रायगंज से सांसद रहे सलीम को महज 14.25 प्रतिशत वोट मिल सके. जमानत गंवाने वाले सीपीआई के अन्य प्रमुख उम्मीदवारों में दमदम से नेपालदेब भट्टाचार्य, मुर्शिदाबाद के मौजूदा सांसद बदरुद्दोजा खान और दक्षिणी कोलकाता से उम्मीदवार नंदिनी मुखर्जी शामिल हैं. पश्चिम बंगाल में लेफ्ट पार्टियों का पिछले छह दशक में यह सबसे खराब चुनावी प्रदर्शन है.
इसके अलावा बिहार में बेगूसराय सीट पर सीपीआई के कन्हैया कुमार मैदान में थे. देशभर में इस सीट की काफी चर्चा हुई लेकिन वे चुनाव जीतने में कामयाब नहीं हो पाए. बेगूसराय सीट पर कन्हैया कुमार दूसरे नंबर पर रहे. इसके अलावा बिहार की ही आरा सीट पर सीपीआई (एमएल) के कैंडिडेट राजू यादव मैदान में थे लेकिन उनका खाता नहीं खुला.
वोट शेयर
बंगाल में सीपीआई को एक फीसदी से भी कम 0.40% वोट मिले वहीं सीपीएम को 6.28 फीसदी वोट मिले. केरल की 20 लोकसभा सीटों में से सीपीएम एक सीट जीतने में कामयाब रही. यहां सीपीएम को 25.83 परसेंट वोट मिले. वहीं सीपीआई को 6.05 परसेंट वोट मिले. तमिलनाडु की 38 सीटों पर हुए चुनाव में सीपीआई को दो और सीपीएम को दो सीटों पर जीत मिली. तमिलनाडु में सीपीआई को 2.43 फीसदी और सीपीएम को 2.40 फिसदी वोट मिले. वहीं बिहार में सीपीआई को 0.69 फीसदी वोट मिले.
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Source: IOCL
















