Election Result 2023: 'लम्बी है ग़म की शाम मगर...', सत्ता को डिफेंड करने में 2014 के बाद से फेल हो रही कांग्रेस, साल दर साल इस तरह कमजोर हो रहा ‘हाथ’
Election 2023: कांग्रेस के लिए सबसे चिंताजनक स्थिति ये है कि उसके कब्जे से वे राज्य भी चले जा रहे हैं जहां उसने अच्छा काम किया और उसकी सरकार भी अच्छी रही. राजस्थान और छत्तीसगढ़ इसी बात का प्रतीक हैं.
Assembly Election Result 2023 and Congress: “दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है, लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है.” फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की यह शायरी कमोबेश कांग्रेस पर फिट बैठती है. उसके ग़म की शाम खत्म होने का नाम नहीं ले रही. कांग्रेस जो 2014 के बाद से लगातार चुनावों में जीत की कोशिश में लगी है, लेकिन उसे एक जगह कामयाबी मिलती है दो जगह निराशा. हाल में पांच राज्यों में जिस तरह के चुनाव नतीजे आए हैं, उससे तो यही लगता है.
राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस अपनी सरकार नहीं बचा पाई, जबकि मध्य प्रदेश और मिजोरम में उसे करारी हार मिली है. हालांकि कांग्रेस तेलंगाना में जीत दर्ज करने में कामयाब रही है, लेकिन बड़ा सवाल यही है कि बीजेपी के सामने कांग्रेस कमजोर पड़ रही है या वह अपने प्लान को सही से अंजाम नहीं दे पा रही है. अगर 2014 के बाद से चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन को देखें ते यो काफी हैरान करने वाले हैं.
2022 में सबसे खराब प्रदर्शन
मार्च 2022 में उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे. इन पांचों राज्यों में ही कांग्रेस को करारी हार मिली थी. इन राज्यों की 680 सीटों में से कांग्रेस सिर्फ 56 पर विजेता रही. इस चुनाव में कांग्रेस ने अपने सबसे मजबूत गढ़ पंजाब को भी गंवा दिया. उसे आम आदमी पार्टी ने सत्ता से बेदखल किया. कांग्रेस के लिए इन पांच राज्यों के नतीजे अब तक का सबसे बुरा अनुभव इसलिए था, क्योंकि पार्टी ने इन राज्यों की 690 सीटों में से 680 पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन उसके 82% उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा.
2014 से शुरू हुआ पतन
कांग्रेस के पतन की शुरुआत 2014 के लोकसभा चुनाव से हुई. तब कांग्रेस को सिर्फ 44 सीटों पर ही जीत मिली. 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से लेकर अब तक करीब 10 साल में 57 विधानसभा चुनाव हुए हैं. हैरानी की बात ये है कि कांग्रेस को इनमें से सिर्फ 14 राज्यों में ही जीत मिली है.
इस तरह साल दर साल गिरता गया ग्राफ
2014 में प्रदर्शन
बता दें कि 2014 में आठ राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए. इनमें महाराष्ट्र, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, जम्मू कश्मीर, झारखंड और सिक्किम शामिल थे. इनमें से सिर्फ अरुणाचल में कांग्रेस ने 60 में से 42 सीटें जीत कर सरकार बनाई, लेकिन जुलाई 2016 में मुख्यमंत्री पेमा खांडू समेत 33 विधायक बीजेपी में चले गए और इस तरह यहां बीजेपी की सरकार बन गई.
2015 का हाल
2015 में दिल्ली और बिहार में विधानसभा चुनाव हुए. दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को जीरो पर ला दिया. कांग्रेस 70 में से एक भी सीट नहीं जीत पाई. उसके कई धुरंधर हार गए. वहीं, बिहार में कांग्रेस ने आरजेडी और जेडीयू के साथ गठबंधन कर 41 सीटों पर चुनाव लड़ा. पार्टी ने 27 सीटों पर जीत भी दर्ज की. इसके बाद यहां महागठबंधन की सरकार 2 साल चली और फिर जुलाई 2017 में नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ गठबंधन कर लिया.
2016 की स्थिति
2016 में पश्चिम बंगाल, असम, केरल, पुडुचेरी और तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव हुए. एक बार फिर कांग्रेस को निराशा हाथ लगी. असम और केरल में वह अपनी मौजूदा सरकार को बचा नहीं पाई. बस पुडुचेरी में ही कांग्रेस जीत दर्ज कर पाई.
2017 में वही हाल
2017 में गुजरात, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में विधानसभा चुनाव हुए. यहां भी वही सिलसिला जारी रहा और पार्टी ने अपने हाथ से हिमाचल प्रदेश और मणिपुर की सत्ता गंवा दी. गोवा में उसे सबसे ज्यादा सीट तो मिली थी, लेकिन वह सरकार नहीं बना पाई. कांग्रेस के लिए सिर्फ पंजाब से अच्छी खबर रही और वहां पार्टी ने सरकार बनाई.
2018 में फिर वही कहानी
इस साल मार्च में त्रिपुरा, नागालैंड, मिजोरम और मेघालय में विधानसभा चुनाव कराए गए. चार राज्यों में से एक में भी कांग्रेस जीत नहीं पाई. इसके बाद मई में कर्नाटक में विधानसभा चुनाव हुए. यहां कांग्रेस ने जनता दल (सेक्युलर) के साथ मिलकर सरकार तो बनाई, लेकिन यहां भी बागियों की वजह से सरकार गिर गई और बीजेपी ने सरकार बना ली. अब दिसंबर में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव हुए. हालांकि ये चुनाव कांग्रेस के लिए अच्छे रहे. तेलंगाना में जहां बीआरएस की सरकार बनी तो बाकी में कांग्रेस ने जीत दर्ज की. हालांकि मध्य प्रदेश में 13 महीने बाद ही ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत की वजह से कांग्रेस की सरकार गिर गई.
2019 में सिर्फ 2 राज्यों में सरकार
2019 में लोकसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में कांग्रेस को 52 सीटों पर जीत मिली. लोकसभा चुनाव के बाद आंध्र प्रदेश, अरुणाचल, हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र, ओडिशा और सिक्किम में विधानसभा चुनाव का आयोजन हुआ. इनमें भी सिर्फ झारखंड और महाराष्ट्र में कांग्रेस गठबंधन की सरकार बना पाई.
2020 में फिर दिल्ली में साफ
एक बार फिर बिहार औऱ दिल्ली के चुनाव की घोषणा एक साथ की गई. दिल्ली में फिर से आप ने कांग्रेस को खत्म कर दिया और पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई. बिहार में कांग्रेस ने आरजेडी के साथ गठबंधन किया, लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ा.
2021 में भी गंवाए चार राज्य
इस साल तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, असम, केरल और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव हुए. इनमें से चार राज्यों में कांग्रेस हार गई. पुडुचेरी में कांग्रेस अपनी सत्ता भी नहीं बचा पाई. तमिलनाडु में द्रमुक समेत अन्य दलों से गठबंधन के बाद उसकी सरकार है.
2022 में पंजाब भी चला गया
इस साल मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में चुनाव हुए. इनमें से मध्य प्रदेश में ही कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब रही, बाकी हर जगह पार्टी हार गई. पंजाब में उसके हाथ से सत्ता चली गई.
2023 भी रहा है बुरा
इस साल सबसे पहले कर्नाटक में चुनाव हुए, जहां कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. इसके बाद नवंबर में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में चुनाव हुए, लेकिन पार्टी सिर्फ तेलंगाना में ही जीत दर्ज कर सकी. उसके हाथ से छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सरकार भी चली गई.
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