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APJ Abdul Kalam Birth Anniversary: काफी दिलचस्प है 'मिसाइल मैन' डॉ. अब्दुल कलाम का राष्ट्रपति बनने तक का सफर

Dr. Kalam Birth Anniversary: संयुक्त राष्ट्र संघ ने साल 2010 में डॉ. कलाम के शिक्षक के रूप में उनके योगदान को देखते हुए उनके जन्मदिन को 'अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस' के रूप में मनाने की शुरुआत की थी.

APJ Abdul Kalam Birth Anniversary: आज भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन कहे जाने वाले डॉ. एपीजे अब्दुल की जयंती है. 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक मध्यमवर्गीय मुस्लिम अंसार परिवार में उनका जन्म हुआ था. साल 2002 में वे भारत के 11वे राष्ट्रपति बने थे. अब्दुल कलाम का बचपन काफी मुफलिसी में बिता, उनके पिता नाविक थे और पढ़ाई-लिखाई से उनका कोई सरोकार भी नहीं था. वह मछुआरों को नाव किराए पर दिया करते थे. पांच भाई और पांच बहनों के परिवार को चलाने के लिए उनके पिता को काफी मेहनत और संघर्ष करना पड़ता था. इस माहौल के बीच पले अब्दुल कलाम को शुरू से ही पढ़ाई में काफी दिलचस्पी थी. परिवार की माली हालत खस्ता देखते हुए होशियार और तेज अब्दुल कलाम ने अपनी शिक्षा को जारी रखने के लिए अखबार बेचने का काम किया. वह महज आठ वर्ष की उम्र में ही सुबह 4 बजे उठ जाते थे और इसके बाद नित्यक्रम से निवृत होकर गणित की पढ़ाई करने चले जाते थे. ट्यूशन से आने के बाद अब्दुल कलाम नियम से रामेश्वरम रेलवे स्टेशन जाते और वहीं बस अड्डे पर अखबार बेचने लगते थे.

इस वाकये की वजह से एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी में आए

एपीजे अब्दुल कलाम बताते थे कि उनके एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी में आने का कारण उनके पांचवी कक्षा के अध्यापक थे. वह बताया करते थे कि एक दिन कक्षा में पढ़ाई के दौरान उनके शिक्षक ने विद्यार्थियों से प्रश्न पूछा कि पक्षी कैसे उड़ते हैं. कक्षा का कोई छात्र इस सवाल का जवाब नहीं दे पाया. अगले दिन उनके टीचर उन्हें समुद्र तट ले गए, जहां उड़ते हुए पक्षियों को दिखाकर उन्होंने सभी छात्रों को उनके उड़ने के कारण को समझाया और पक्षियों के शरीर की बनावट को भी समझाया. इन्हीं पक्षियों को देखकर कलाम ने तय किया कि वे भविष्य में विमान विज्ञान में जाएंगे. इसके बाद कलाम ने फिजिक्स की पढ़ाई कर मद्रास इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई की.

अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम देश की उन चुनिंदा शख्सियतों में शामिल हैं, जिनका पूरा जीवन युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादायी है. उनकी सीख युवाओं को लक्ष्य प्राप्ति में आज भी सहायता करती हैं. उन्होंने हमेशा बच्चों को सीख दी कि जीवन में किसी भी प्रकार की परिस्थिति क्यों न हो लेकिन जब आप अपने सपनों को हकीकत में तब्दील करने की ठान लेते हैं तो उन्हे पूरा करके ही दम लेते हैं. उनके यही विचार आज भी युवा पीढ़ी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं. गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने साल 2010 में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के शिक्षक के रूप में उनके योगदान की सराहना करते हुए उनके जन्मदिन को 'अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस' के रूप में मनाने की भी शुरुआत की थी.

इस वजह से डॉ कलाम को कहा जाता है 'मिसाइल मैन' 

काफी सरल स्वभाव के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जाने माने वैज्ञानिक और एक इंजीनियर के रूप में मशहूर थे. करीब चार दशकों तक उन्होंने मुख्य रूप से एक साइंटिस्ट और विज्ञान के व्यवस्थापक के रूप में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को संभाला था. उन्होंने भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयासों में भी शिरकत की थी. बैलिस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के विकास कार्यों के लिए भारत में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को 'मिसाइल मैन' की उपाधि से नवाजा गया.

डॉ. कलाम के अंडर में ही पहला स्वदेशी प्रक्षेपण यान SLV-3 बनाया गया

सन 1962 में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम इसरो पहुंचें. यहां प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहते हुए इनके अंडर में ही भारत का पहला स्वदेशी प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बना. 1980 के दौरान रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया गया. इसके साथ ही भारत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का मेंबर भी बन गया. डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने इसके बाद स्वदेशी गाइडेड मिसाइल को डिजाइन किया था. उन्होने भारतीय टेक्नॉलजी का इस्तेमाल कर अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइल बनाई. सन 1992 से 1999 तक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार भी रहे. इस समय वाजपेयी सरकार ने पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर टेस्ट भी किए थे और इसी के साथ भारत परमाणु हथियार बनाने वाले देशों में भी शामिल हो गया था. विजन 2020 भी कलाम की ही देन है. इसके अंतर्गत डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने भारत को विज्ञान के क्षेत्र में नित नई उन्नति तक 2020 तक अत्याधुनिक बनाने की खास सोच दी.

डॉ. कलाम ने भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार की भूमिका भी निभाई

डॉ. कलाम ने भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार की भी भूमिका निभाई. सन 1982 में वह डीआरडीओ रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के डायरेक्टर बने. उसी दौरान अन्ना यूनिवर्सिटी के जरिए उन्हे डॉक्टर की उपाधि से भी नवाजा गया. कलाम ने उस दौरान रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. वीएस अरुणाचलम के साथ इंटिग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम का प्रस्ताव भी तैयार किया. स्वदेशी मिसाइलों के विकास के लिए भी कलाम की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई थी. इसके पहले चरण के दौरान जमीन से जमीन पर मध्यम दूरी तक मार करने की क्षमता रखने वाली मिसाइलों के निर्माण पर जोर दिया गया था. वहीं दूसरे चरण में जमीन से हवा में मार करने की क्षमता रखने वाली मिसाइल, टैंक भेदी, और रिएंट्री एक्सपेरिमेंट लॉन्च व्हीकल(रेक्स) बनाने का प्रस्ताव रखा गया था. पृथ्वी, त्रिशूल, आकाश, नाग नाम की मिसाइल भी निर्मित की गई.

कई पुरस्कारों से किए गए सम्मानित
बता दें कि डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को 1981 में भारत सरकार के जरिए देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण और फिर इसके बाद 1990 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. 1997 में उन्हें भारत रत्न से नवाजा गया था. भारत के सर्वोच्च पद पर नियुक्ति से पहले भारत रत्न से सम्मानित होने वाले वे देश के तीसरे राष्ट्रपति थे. 27 जुलाई 2015 को इस महान शख्स ने दुनिया को सदा के लिए अलविदा कह दिया था लेकिन लोगों के दिलों में वो आज भी मौजूद हैं.

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