4 बार दिया UPSC, तीन बार हुए पास, चौथी बार में बने IAS, पढ़िए ऐसे ही एक ऑफिसर की Success Story
दो बार UPSC पास कर बने IPS फिर चौथे अटेम्प्ट में 08वीं रैंक लाकर बने IAS. पढ़िए ऐसे ही एक IAS ऑफिसर की Success Story जिन्होंने आईआईटी बॉम्बे से पढ़ाई करने के दौरान ही बनाया था IAS बनने का सपना.

UPSC पास करने में लोगों को सालों गुजर जाते हैं. कई युवा एक बार भी पास नहीं कर पाते हैं तो कुछ ऐसे भी युवा हैं जो तीन-तीन बार UPSC क्लियर कर लेते हैं. हम आपके लिए एक खास सीरीज 'सक्सेस मंत्रा' लेकर आए हैं, जिसमें आज हम आपको बताएंगे गुजरात के निवासी कार्तिक जीवानी के बारे में. आईपीएस अधिकारी बनने के बाद भी आईएएस बनने का सपना पूरा करने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की. उनकी यह यात्रा आसान नहीं थी, लेकिन मेहनत और दृढ़ संकल्प ने उन्हें उनका लक्ष्य हासिल करने में मदद की.
आईआईटी बॉम्बे से की मेकेनिकल इंजीनियरिंग
गुजरात के एक स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कार्तिक जीवानी ने अपनी शिक्षा आठवीं कक्षा तक गुजराती माध्यम से की थी. इसके बाद, उन्होंने अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में प्रवेश लिया और 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद, उन्होंने जेईई मेन और एडवांस्ड परीक्षा दी और दोनों में सफलता प्राप्त की. इसके बाद, उन्होंने आईआईटी बॉम्बे में मेकेनिकल इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया.
दूसरे अटेम्प्ट में बने IPS
इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते हुए, जीवानी ने सिविल सेवा की तैयारी करने का फैसला किया और 2016 में यूपीएससी की परीक्षा के लिए तैयारी शुरू की. पहले प्रयास में, यानी 2017 में, वह असफल हो गए. लेकिन उन्होंने हार मानने के बजाय अगले दो सालों तक कड़ी मेहनत की. 2019 में उन्होंने दूसरा प्रयास किया और इस बार उन्होंने अखिल भारतीय स्तर पर 94वीं रैंक हासिल की. हालांकि, वह आईएएस के लिए सिर्फ दो रैंक से चूक गए, लेकिन वह आईपीएस अधिकारी के तौर पर चयनित हो गए.
चौथे अटेम्प्ट में बने IAS
आईपीएस की ट्रेनिंग शुरू करने के बाद भी, जीवानी ने अपनी आईएएस की तैयारी जारी रखी. उन्होंने 2019 में तीसरे प्रयास में 84वीं रैंक प्राप्त की, और इसके बाद 2020 में चौथे प्रयास में उन्होंने 8वीं रैंक हासिल की, जिससे वह आईएएस बन गए. उनके पिता के अनुसार, उन्होंने आईपीएस की ट्रेनिंग से 15 दिन की छुट्टी ली थी ताकि वह यूपीएससी की परीक्षा में शामिल हो सकें.
रोजाना 10 घंटे की पढ़ाई से पाई सफलता
जीवानी ने रोजाना 10 घंटे पढ़ाई की. उनकी अधिकतर पढ़ाई रात में होती थी. वह सिर्फ किताबों पर निर्भर नहीं थे, बल्कि उन्होंने ऑनलाइन उपलब्ध सामग्री का भी उपयोग किया और बहुत सारे नोट्स बनाए, जो उनकी तैयारी में सहायक साबित हुए. उनके इस संघर्ष और समर्पण से यह साबित होता है कि किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के लिए अगर सच्ची मेहनत और लगातार प्रयास किया जाए, तो कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है.
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