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साल 2019-20 में 9वीं और 10 वीं कक्षा में एक चौथाई ट्राइबल और हर 5वें आदिवासी छात्र ने स्कूल डॉप आउट किया

UDISE की रिपोर्ट के मुताबिक 2019-20 में 9वीं और 10 वीं कक्षा में लगभग एक चौथाई ट्राइबल और हर 5वें दलित ने स्कूल ड्रॉप आउट किया. वहीं 'सामान्य' श्रेणी के छात्रों में ये अनुपात 9 में से सिर्फ 1 है.

भारत में शिक्षा के क्षेत्र में आज भी दलित और आदिवासी समाज के लोग काफी पिछड़े हुए हैं. हाल ही में जारी यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (UDISE) की रिपोर्ट में भी कुछ ऐसा ही  खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक 2019-20 में नौवीं और दसवीं कक्षा में लगभग एक चौथाई ट्राइबल और हर पांचवे दलित ने किसी न किसी कारणवश स्कूल ड्रॉप आउट किया. वहीं 'सामान्य' श्रेणी के छात्रों में नौ में से सिर्फ एक ने स्कूल डॉपआउट किया.

असम राज्य में एक तिहाई से ज्यादा छात्रों ने इस स्तर पर पढ़ाई छोड़ दी. गौरतलब है कि देश में  असम और बिहार ही ऐसे दो राज्य थे जहां लड़कों से ज्यादा लड़कियों ने इस स्तर पर पढ़ाई छोड़ी.

कक्षा 9वीं और 10वीं के छात्रों ने सबसे ज्यादा ड्रॉपआउट किया

कक्षा 9वीं और 10वीं  में छात्रों के बीच डॉपआउट का सबसे ज्यादा अनुपात देखा गया. प्राइमरी लेवल पर आदिवासी छात्रों को छोड़कर स्कूल ड्रॉपआट का अनुपात बहुत कम देखा गया जोकि ज्यादातर 5% से नीचे रहा. वहीं हायर प्राइमरी लेवल पर भी बिहार (9%), झारखंड (8%) और गुजरात (5%) जैसे कुछ राज्यों और आदिवासी और दलित छात्रों को छोड़कर अधिकांश राज्यों में ड्रॉप आउट अनुपात 2% से कम था.

इन राज्यों में 9वीं और 10वीं के छात्रों की ड्रॉप आउट दर सबसे ज्यादा

कक्षा 9 और 10 में छात्रों के ड्रॉपआउट में हाईएस्ट अनुपात वाले राज्यों में असम (34.4%), एमपी (26.8%), गुजरात (24.1%) और ओडिशा (24%) थे. दिलचस्प बात यह है कि दिल्ली का ड्रॉपिंग आउट अनुपात ऑल इंडिया प्रोपोर्शन (16.1%) की तुलना में कक्षा IX और X (21.5%) में अधिक है, और ये बिहार या छत्तीसगढ़ से भी थोड़ा ज्यादा है.

वहीं आदिवासी आबादी वाले दो राज्यों, ओडिशा और एमपी में, माध्यमिक स्तर पर आदिवासी छात्रों का उच्चतम अनुपात क्रमशः 31.5% और 30.9% था. गुजरात और महाराष्ट्र में, जहां आदिवासी आबादी भी काफी है  वहां भी 26 फीसदी से ज्यादा आदिवासी छात्र नौवीं और दसवीं कक्षा में पढ़ाई छोड़ चुके हैं.

असम में सेकेंडरी लेवर पर स्कूल छोड़ने वाले स्टूडेंट्स की संख्या ज्यादा

सेकेंडरी लेवल पर स्कूल छोड़ने वाले छात्रों का अनुपात असम में सबसे अधिक है, लेकिन आदिवासी छात्रों में स्कूल छोड़ने की दर अन्य सभी श्रेणियों की तुलना में कम थी. यह अन्य पूर्वोत्तर राज्यों जैसे नागालैंड, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश में सच प्रतीत होता है. वहीं पंजाब, केरल, तमिलनाडु, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में माध्यमिक स्तर पर स्कूल छोड़ने वाले छात्रों का अनुपात सबसे कम है. लेकिन केरल में पांच आदिवासी छात्रों में से एक और तमिलनाडु में उनमें से एक तिहाई माध्यमिक स्तर पर छात्र ड्रॉपआउट कर गए.

इन राज्यों में सेकेंडरी लेवल पर अनुसूचित जाति के छात्रों ने किया ड्रॉपआट

बड़े राज्यों में, असम, ओडिशा और एमपी, उसके बाद झारखंड और बिहार में सेकेंडरी लेवल पर अनुसूचित जाति के छात्रों के ड्रॉपआउट का हाईएस्ट अनुपात था. सामान्य श्रेणी के छात्रों और बाकी छात्रों के बीच ओडिशा में सबसे अधिक अंतर दिखा. सामान्य वर्ग में माध्यमिक स्तर पर शून्य ड्रॉपआउट था, जबकि हर दूसरी श्रेणी के लिए यह लगभग एक तिहाई था. झारखंड में भी इसी तरह का अंतर था.

वहीं कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में सेकेंडरी लेवल पर जनरल कैटेगिरी के लेवल पर छात्रों के ड्रॉप आउट की दर अन्य श्रेणियों की तुलना में काफी ज्यादा थी.

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