खुशखबरी! बिहार में मेडिकल पढ़ाई के लिए 430 अतिरिक्त सीटें, दो नए कॉलेजों को मिली मंजूरी
एनएमसी ने राज्य में मेडिकल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 430 अतिरिक्त एमबीबीएस सीटों की मंजूरी दी है. इसके साथ ही दो नए मेडिकल कॉलेजों को भी हरी झंडी मिली है, जिससे छात्रों को ज्यादा मौके मिलेंगे.

नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने बिहार में मेडिकल शिक्षा की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए राज्य को 430 अतिरिक्त एमबीबीएस सीटों की सौगात दी है. इस फैसले से हजारों विद्यार्थियों के लिए डॉक्टर बनने का रास्ता आसान होगा और उन्हें ज्यादा अवसर मिलेंगे.
स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार एनएमसी ने इन सीटों के आवंटन की सूचना राज्य सरकार को भेज दी है. हालांकि, इस बार सरकारी कॉलेजों में केवल इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान यानी आईजीआईएमएस को ही अतिरिक्त सीटें दी गई हैं. पटना स्थित इस संस्थान को 30 नई सीटें मिली हैं. अब यहां पहले की 120 सीटों की बजाय कुल 150 छात्रों को दाखिला मिलेगा.
निजी मेडिकल कॉलेजों में भी सीटों का विस्तार हुआ है. नेताजी सुभाष मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल को 50 नई सीटों की मंजूरी दी गई है, जिससे वहां कुल सीटें बढ़कर 150 हो गई हैं. मधुबनी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल को 100 अतिरिक्त सीटें मिली हैं, जबकि हिमालय मेडिकल कॉलेज को 50 सीटों की वृद्धि का लाभ मिला है. इन संस्थानों में बढ़ी हुई सीटें न केवल स्थानीय छात्रों को मदद करेंगी बल्कि राज्य के बाहर से भी ज्यादा विद्यार्थी यहां दाखिला ले सकेंगे.
इतना ही नहीं एनएमसी ने राज्य में दो नए मेडिकल कॉलेज और अस्पताल खोलने की भी अनुमति दी है. पहला कॉलेज खगड़िया जिले के परमानंदपुर में श्यामलाल चंद्रशेखर मेडिकल कॉलेज एंड शहीद प्रभुनारायण मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल के रूप में शुरू होगा, जहां 100 एमबीबीएस सीटों पर नामांकन की अनुमति मिली है. दूसरा कॉलेज गया जिले के महाबोधिनगर, गोपालपुर शेरघाटी में महाबोधि मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के रूप में शुरू होगा और यहां भी 100 सीटों पर एडमिशन होगा.
इतनी बढ़ेंगी सीटें
नए फैसले के बाद राज्य में सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की कुल 1420 सीटें हो जाएंगी. वहीं निजी मेडिकल कॉलेजों में सीटें बढ़कर 1750 हो गई हैं. इस तरह कुल मिलाकर 3170 सीटों पर नामांकन संभव होगा. एनएमसी का यह निर्णय उन छात्रों के लिए बड़ी राहत है जो हर साल मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट (NEET) में बैठते हैं लेकिन सीमित सीटों की वजह से डॉक्टर बनने का सपना अधूरा रह जाता है. सीटें बढ़ने से अब ज्यादा छात्रों को इस पेशे में आने का मौका मिलेगा.
स्वास्थ्य सेवाओं पर भी सकारात्मक असर
एक्सपर्ट्स का मानना है कि अतिरिक्त सीटों और नए कॉलेजों की शुरुआत से राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा. भविष्य में यहां से बड़ी संख्या में डॉक्टर निकलेंगे जो ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में भी स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने में मदद करेंगे.
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Source: IOCL





















