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जेएनयू छात्रसंघ चुनाव जीतने वाले को क्या-क्या सुविधाएं मिलेंगी, क्या इन्हें अलग से सैलरी भी देता है यूनिवर्सिटी प्रशासन

जेएनयू छात्रसंघ चुनावों के बाद फिर सवाल उठ रहा है कि जीतने वाले छात्र नेताओं को क्या सुविधाएं मिलती हैं और क्या उन्हें यूनिवर्सिटी से कोई सैलरी या मानदेय मिलता है? आइए जानें इससे जुड़ी पूरी जानकारी...

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का छात्रसंघ चुनाव हर साल सुर्खियों में रहता है इस चुनाव में जीत हासिल करना किसी सम्मान से कम नहीं होता क्योंकि जेएनयू छात्रसंघ को देशभर की यूनिवर्सिटी राजनीति की धड़कन माना जाता है लेकिन अक्सर छात्रों के मन में सवाल उठता है कि आखिर जेएनयू छात्रसंघ का चुनाव जीतने वालों को क्या-क्या सुविधाएं मिलती हैं? क्या उन्हें यूनिवर्सिटी प्रशासन सैलरी या कोई मानदेय देता है?

जेएनयू का छात्रसंघ अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारी छात्रों की आवाज को यूनिवर्सिटी प्रशासन तक पहुंचाने का काम करते हैं ये प्रतिनिधि हॉस्टल, फीस, सुरक्षा, और शैक्षणिक नीतियों जैसे मुद्दों पर छात्रों की ओर से सुझाव देते हैं यही नहीं जेएनयू का छात्रसंघ देश की छात्र राजनीति का एक प्रमुख मंच है, जहाँ से कई प्रसिद्ध चेहरे आगे चलकर राष्ट्रीय राजनीति में पहुंचे हैं.

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क्या जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष को सैलरी मिलती ?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रशासन की ओर से छात्रसंघ के निर्वाचित पदाधिकारियों को किसी प्रकार की व्यक्तिगत सैलरी या मासिक वेतन नहीं दिया जाता है यूनिवर्सिटी छात्रसंघ के कामकाज के लिए एक निश्चित फंड  निर्धारित करती है यह फंड छात्रों के कल्याण, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, और यूनिवर्सिटी से जुड़ी गतिविधियों में इस्तेमाल किया जाता है छात्रसंघ को प्रति वर्ष कई लाख रुपये का फंड आवंटित किया जाता है यह पैसा किसी एक व्यक्ति को नहीं बल्कि पूरी छात्रसंघ समिति के माध्यम से उपयोग में लाया जाता है समिति तय करती है कि किस काम पर कितना खर्च किया जाएगा और उसका लेखा-जोखा विश्वविद्यालय के पास जमा किया जाता है.

जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष को क्या-क्या सुविधा मिलती हैं
रिपोर्ट्स के अनुसार छात्रसंघ अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों को यूनिवर्सिटी परिसर में एक अलग ऑफिस दिया जाता है जहां से वे छात्रों की समस्याओं को सुनते और प्रशासन से तालमेल बैठाते हैं इसके अलावा उन्हें प्रशासनिक बैठकों में भाग लेने का अधिकार, विश्वविद्यालय के बड़े आयोजनों में प्रोटोकॉल मान्यता, और छात्रों से जुड़ी नीतिगत चर्चाओं में सहभागिता का अवसर मिलता है छात्रसंघ प्रतिनिधियों को स्टाफ सहयोग और आधिकारिक पहचान पत्र जैसी सुविधाएं भी दी जाती हैं, जिससे वे छात्रों और प्रशासन के बीच सेतु का काम कर सकें.

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रजनी उपाध्याय बीते करीब छह वर्षों से पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय हैं. उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाली रजनी ने आगरा विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है. बचपन से ही पढ़ने-लिखने में गहरी रुचि थी और यही रुचि उन्हें मीडिया की दुनिया तक ले आई.

अपने छह साल के पत्रकारिता सफर में रजनी ने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में काम किया. उन्होंने न्यूज, एंटरटेनमेंट और एजुकेशन जैसे प्रमुख वर्टिकल्स में अपनी पहचान बनाई. हर विषय में गहराई से उतरना और तथ्यों के साथ-साथ भावनाओं को भी समझना, उनकी पत्रकारिता की खासियत रही है. उनके लिए पत्रकारिता सिर्फ खबरें लिखना नहीं, बल्कि समाज की धड़कन को शब्दों में ढालने की एक कला है.

रजनी का मानना है कि एक अच्छी स्टोरी सिर्फ हेडलाइन नहीं बनाती, बल्कि पाठकों के दिलों को छूती है. वर्तमान में वे एबीपी लाइव में कार्यरत हैं, जहां वे एजुकेशन और एग्रीकल्चर जैसे अहम सेक्टर्स को कवर कर रही हैं.

दोनों ही क्षेत्र समाज की बुनियादी जरूरतों से जुड़े हैं और रजनी इन्हें बेहद संवेदनशीलता और जिम्मेदारी के साथ संभालती हैं. खाली समय में रजनी को संगीत सुनना और किताबें पढ़ना पसंद है. ये न केवल उन्हें मानसिक सुकून देते हैं, बल्कि उनकी रचनात्मकता को भी ऊर्जा प्रदान करते हैं.

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