ऑटो सेक्टर में बढ़ रही है महिलाओं की भागीदारी, कर रही हैं भारी-भरकम प्लांट्स, कारखानों में काम

नई दिल्ली: पैसेंजर व्हीकल कारखानों में असेंबलिंग लाइन यानि मैन्यूफैक्चरिंग कार्य के कई खातों के काम को भारी मान कर महिलाओं को उनके लिए उपयुक्त नहीं समझा जाता था. लेकिन पुरुषों की जागीर समझे जाने वाले इस क्षेत्र में बदलते समय के साथ महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ती जा रही हैं.
देश की अधिकतर ऑटो कंपनियों के कारखानों में शॉप फ्लोर पर महिलाओं की मौजूदगी बढ़ी है और कंपनियां इस काम के लिए उनकी नियुक्ति को प्रोत्साहन दे रही हैं. ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ कार-स्कूटर कंपनियों के कारखानों में ही वह शॉप फ्लोर पर मौजूद हों बल्कि ट्रक-ट्रैक्टर का प्रोड्क्शन करने वाली टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा और आयशर मोटर्स जैसी कंपनियों के कारखानों में भी शॉप फ्लोर पर महिलाओं की उपस्थिति बढ़ी है.
टाटा मोटर्स ने महिलाओं के लिए ‘वीमेन इन ब्लू’ अभियान चलाया इसके अलावा हीरो मोटोकॉर्प और बजाज ऑटो जैसी कंपनियां भी अपने यहां महिलाओं को काम देने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं. चार साल पहले टाटा मोटर्स ने ‘वीमेन इन ब्लू’ अभियान के तहत सिर्फ पांच महिलाओं के बैच के साथ लड़कियों को कारखानों के कामकाज में प्रवेश और ट्रेनिंग देना शुरू किया था. इसमें आर्थिक तौर पर कमजोर तबके की लड़कियों को प्राथमिकता दी गई.
लेकिन 31 जुलाई 2018 तक कंपनी के कई प्लांट्स में शॉप फ्लोर पर काम करने वाली महिलाओं की संख्या 1812 है जो उनके कुल शॉप फ्लोर कार्यबल का चार फीसदी है. दरअसल, कारखानों में शारीरिक मेहनत वाले कामकाज को ‘ब्लू कॉलर जॉब’ कहा जाता है. इसलिए इस ब्रिगेड का नाम ‘वीमेन इन ब्लू’ रखा गया.
महिंद्रा एंड महिंद्रा के वाहन कारोबार में 380 से ज्यादा महिलाएं काम कर रही हैं इसी प्रकार महिंद्रा एंड महिंद्रा के ऑटो बिजनेस ने साल 2016 में 23 महिलाओं को इस तरह के काम के लिए नियुक्त किया जिनकी संख्या अब 380 से ज्यादा पुहंच गई है. कंपनी की ही कृषि उपकरण बनाने वाली सब्सिडियरी कंपनी स्वराज में शॉप फ्लोर पर काम करने वाली महिलाओं की संख्या 250 से अधिक है. आयशर मोटर्स की टू-व्हीलर ऑटो यूनिट रॉयल एनफील्ड में पूरी इंजन असेंबलिंग लाइन को करीब 140 महिला कर्मी ही संभालती हैं.
देश की शीर्ष टू-व्हीलर ऑटो कंपनी हीरो मोटोकॉर्प ने भी शॉप फ्लोर पर महिलाओं की मौजूदगी बढ़ाने के लिए ‘प्रोजेक्ट तेजस्विनी’ की शुरूआत की थी. आज कंपनी के कई प्लांट्स में 160 महिलाएं असेंबलिंग लाइन पर काम कर रही है.
बजाज ऑटो ने भी ‘वीमेन ओनली’ असेंबलिंग लाइन की शुरूआत की प्रतिद्वंदी कंपनी बजाज ऑटो ने भी अपने चाकन और पंतनगर प्लांट्स में ‘वीमेन ओनली’ असेंबलिंग लाइन की शुरूआत की है. पिछले चार साल में इनकी संख्या लगभग दोगुनी बढ़ गई है. साल 2013-14 में इनकी संख्या 148 थी जो 2017-18 में 355 हो गई.
इस बारे में टाटा मोटर्स के मुख्य एचआर ऑफिसर गजेंद्र चंदेल ने मीडिया को एक ईमेल में भेजे अपने जवाब में कहा, ‘‘टाटा मोटर्स में हमारा दृढ़ विश्वास है कि जो महिलाओं के लिए अच्छा है वह समाज के लिए भी अच्छा है और जो समाज के लिए अच्छा है वह कारोबार के लिए भी अच्छा है.’’
इसी तरह के विचार महिंद्रा एंड महिंद्रा के मुख्य एचआर ऑफिसर राजेश्वर त्रिपाठी ने रखे. उन्होंने कहा कि महिंद्रा में शॉप फ्लोर पर उन्होंने महिलाओं के रोजगार अवसर को बढ़ाने पर कंपनी ने कई पहल की हैं. 2016 में यह यात्रा 23 महिलाकर्मियों से शुरू हुई थी और वर्तमान में इनकी संख्या 630 से अधिक हो गई है.
Source: IOCL





















