अब कितनी कम हो जाएगी EMI? होम लोन रेट में आएगी ऐतिहासिक गिरावट! जमकर होगी सेविंग्स
Home Loan: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के रेपो रेट घटाने से होम लोन रेट में भारी कमी आने की संभावना है. बताया जा रहा है कि यह 2008 में ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस से पहले के लेवल पर आ जाएगा.

Home Loan: RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी ने आज रेपो रेट को 25 बेसिस पॉइंट घटाकर 5.25 परसेंट कर दिया है, जिससे होम लोन के रेट में गजब की गिरावट आने की संभावना जताई जा रही है. बताया जा रहा है कि होम लोन रेट 2008 में ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस से पहले के लेवल पर आ जाएंगे.
पहले से ही कई बैंक जैसे कि यूनियन बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और इंडियन ओवरसीज बैंक, अभी 7.35 परसेंट पर होम लोन दे रहे हैं. रेपो रेट के कम होने से इंटरेस्ट रेट घटकर 7.1 परसेंट हो जाएगा. इस हिसाब से 15 साल के लिए 1 करोड़ रुपये के होम लोन पर रेट में 0.25 पॉइंट्स की कटौती होने से EMI लगभग 1,440 रुपये प्रति महीना कम हो जाएगा.
डिपॉजिट रेट में करनी होगी कटौती
बैंकर्स का कहना है कि नए बॉरोअर्स के लिए होम लोन की कीमत 7.1% करने के लिए लेंडर्स को डिपॉजिट रेट्स में भारी कटौती करनी होगी या बेंचमार्क रेट पर स्प्रेड को बदलना होगा. अगर ऐसा होता है, तो नए बॉरोअर्स को मौजूदा फ्लोटिंग-रेट बॉरोअर्स के मुकाबले ज्यादा इंटरेस्ट देना पड़ सकता है.
जब तक डिपॉजिट रेट्स कम नहीं होते, बैंकों के नेट इंटरेस्ट मार्जिन में कमी आएगी, वहीं नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों को कम फंडिंग कॉस्ट की वजह से तुरंत फायदा होगा. ''NBFC सेक्टर के लिए और खासकर, श्रीराम फाइनेंस जैसे लास्ट-माइल फाइनेंसर्स के लिए, यह पॉलिसी एक बड़ी मदद है. लगातार न्यूट्रल रुख, 1 लाख करोड़ रुपये के OMO खरीदने के अनाउंसमेंट के साथ, यह पक्का करता है कि लिक्विडिटी अच्छी बनी रहे.
एक्सपर्ट्स की क्या है राय?
गोल्डन ग्रोथ फंड के CEO अंकुर जालान का कहना है डिपॉजिटर्स के नजरिए से देखें तो रेपो रेट में 25bps की कटौती से फिक्स्ड डिपॉजिट और दूसरी ब्याज वाली सेविंग्स पर घटते रिटर्न को लेकर चिंता पैदा होगी. इसके अलावा, इससे आने वाले महीनों में बैंकों को डिपॉजिट रेट कम करने पर मजबूर होना पड़ सकता है, जिससे सेवर्स के लिए अच्छा रिटर्न कमाना मुश्किल हो जाएगा. हालांकि, कम रेट्स बड़े पैमाने पर इकोनॉमिक ग्रोथ को सपोर्ट कर सकते हैं, लेकिन अमीर इन्वेस्टर्स और फैमिली ऑफिस अक्सर रियल यील्ड बनाए रखने के लिए कैपिटल को रियल एस्टेट-फोकस्ड कैटेगरी II AIFs जैसे ज्याद रिटर्न वाले प्रोडक्ट्स की ओर रीडायरेक्ट करते हैं, जिससे इन फंड्स के लिए फंडरेजिंग मोमेंटम बेहतर होता है. कम ब्याज दर का माहौल डेवलपर्स के लिए कैपिटल की लागत को भी कम करता है और प्रोजेक्ट वायबिलिटी को मजबूत करता है, जिससे बदले में AIFs के लिए मौके बढ़ते हैं.
अग्रशील इंफ्राटेक की सीईओ प्रेक्षा सिंह ने कहा कि भारत का रियल एस्टेट बाज़ार पहले से ही वैश्विक निवेशकों और NRI समुदाय के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. अब ब्याज दरों में कमी से निवेश और भी लाभकारी होगा. स्थिर अर्थव्यवस्था, बढ़ती मांग और कम EMI मिलकर अगले कुछ तिमाहियों में भारत को निवेश की सर्वोत्तम डेस्टिनेशन बना देंगे.
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Source: IOCL























