nVIDIA MCap: 3 ट्रिलियन से ज्यादा हुआ एमकैप, एप्पल से भी बड़ी कंपनी बन गई एनविडिया
Nvidia Share Jump: एनविडिया के शेयरों में पिछले कुछ महीनों में जबरदस्त तेजी आई है. इससे पहले मार्च में ही एनविडिया एमकैप के लिहाज से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी बनी थी...

अमेरिकी चिप मेकर एनविडिया के शेयरों में पिछले कई महीनों से जारी ऐतिहासिक रैली में लगातार नए रिकॉर्ड बन रहे हैं. बुधवार को एक बार फिर से उसके शेयरों में जबरदस्त तेजी देखी गई और उसके साथ ही कंपनी ने एक नया बेमिसाल रिकॉर्ड भी बना दिया. एनविडिया अब एमकैप के लिहाज से एप्पल को पीछे छोड़कर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी बन चुकी है.
सिर्फ 3 कंपनियों की वैल्यू 3 ट्रिलियन से ज्यादा
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार को एनविडिया का शेयर 5.2 फीसदी उछलकर 1,224.40 डॉलर के नए रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया. इसके साथ ही एनविडिया की वैल्यू अब 3 ट्रिलियन डॉलर के पार निकल गई है. ऐसा पहली बार हुआ है जब एनविडिया का एमकैप 3 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा हुआ है. अभी 3 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा एमकैप रखने वाली कंपनियां दुनिया में सिर्फ 3 हैं.
दुनिया की 3 सबसे बड़ी कंपनियां
कंपनीज मार्केट कैप डॉट कॉम के अनुसार, अभी माइक्रोसॉफ्ट 3.15 ट्रिलियन डॉलर की वैल्यू के साथ दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है. वहीं एनविडिया 3.01 ट्रिलियन डॉलर की वैल्यू के साथ दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी बन गई है. एप्पल अब 3.003 ट्रिलियन डॉलर के साथ तीसरे नंबर पर है. चौथा नंबर गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट का है.
मार्च में हासिल किया था तीसरा पायदान
सऊदी अरब की कंपनी सऊदी अरामको अभी फिसलकर छठे स्थान पर आ गई है. कुछ महीने पहले तक यह तीसरे नंबर की कंपनी थी. उसे एनविडिया ने इसी साल मार्च महीने में पीछे छोड़ा था और दुनिया की तीसरी सबसे मूल्यवान कंपनी का दर्जा हासिल किया था.
नंबर वन बनने से सिर्फ इतनी दूर
मार्च में जब एनविडिया ने सऊदी अरामको को पीछे छोड़ा था, तब उसकी वैल्यू बढ़कर 2.056 ट्रिलियन डॉलर हुई थी. यानी पिछले 3 महीने के दौरान एनविडिया की वैल्यू में 1 ट्रिलियन डॉलर का भारी-भरकम इजाफा हुआ है. उससे पहले फरवरी में एनविडिया अमेजन, गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट और फेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा जैसी दिग्गजों को पछाड़कर अमेरिकी बाजार की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी बनी थी. अगर इसी रफ्तार से एनविडिया की रैली जारी रही तो कुछ ही दिनों में वह माइक्रोसॉफ्ट को पछाड़कर दुनिया की सबसे मूल्यवान कंपनी होने का दर्जा भी हासिल कर सकती है.
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