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भारतीय अर्थव्यवस्था की धुरी एमएसएमई और चीन, SBI की रिपोर्ट से जानिए कहां है चुनौतियां

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के मुताबिक सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई)  की संख्या जो 2020-21 में 4.2 करोड़ थी 2021-22 में घटकर 2.6 करोड़ रह गई है.

SBI ने सोमवार को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (MSME) पर एक रिपोर्ट जारी की है. इसमें कहा गया है कि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) के खातों में 40 फीसदी की कमी आई है. 

रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि घबराने की बात नहीं है क्योंकि आर्थिक गतिविधियों में इजाफे के साथ ही सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) की ये इकाइयां अब लघु उद्योग की श्रेणी में आ रही हैं. 

रिपोर्ट के मुताबिक सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई)  की संख्या जो 2020-21 में 4.2 करोड़ थी 2021-22 में घटकर 2.6 करोड़ रह गई है. जबकि इन उद्योग धंधो द्वारा लिये जा रहे कर्ज में 20 फीसदी का इजाफा हुआ है और इसका क्रेडिट जाता है सरकार द्वारा शुरू की गई आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना को जाता है जिसे खास तौर पर इन उद्योग-धंधो की मदद के लिए शुरू किया गया था. 

एसबीआई की रिपोर्ट की मानें तो 4.6 लाख एमएसएमई कंपनियां डूबने या एनपीए होने से बच गई औ 1.65 करोड़ परिवार बेरोजगार होने से बच गए. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस योजना से कुल 4 सदस्यों वाले 6.6 करोड़ लोगों की आजीविका बच गई. 

इसी के चलते एसबीआई ने तत्काल इस योजना में और सुधार करने की सिफारिश की है ताकि इस योजना का लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे. ऐसे में जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर ये योजना क्या है. 

क्या है आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना 
कोविड-19 संकट के दौरान वर्ष 2020 में केंद्र सरकार के आत्मनिर्भर पैकेज के हिस्से के रूप में शुरू किया गया था. दरअसल कोरोना के दौरान लगाए गए लॉकडाउन के कारण एमएसएमई सेक्टर बुरी तरह से प्रभावित हुआ था.

इस सेक्टर से जुड़े उद्यमियों की मदद के लिए आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना के तहत 25 करोड़ रुपए तक के बकाया और 100 करोड़ रुपए के टर्नओवर वाले एमएसएमई  लोन पाने के हकदार थे लेकिन नवंबर 2020 में संशोधन के बाद टर्नओवर सीमा को हटा दिया गया था. 

इस रिपोर्ट के बारे में आर्थिक मामलों के जानकार मनीष गुप्त ने कहा कि एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक एमएसएमई की ग्रोथ बढ़ी है और ढेर सारी कंपनियां एमएसएमई की ढाई सौ करोड़ की लिमिट से ऊपर चली गई हैं जिसकी वजह से वह छोटे कॉरपोरेट बन गए हैं. 

लेकिन रिपोर्ट में इस बात का बिल्कुल भी उल्लेख नहीं है कि इन कंपनियों का रेवेन्यू महंगाई की वजह से बढ़ा है. वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होने से बड़ा है यानि उनकी वस्तुओं की बिक्री में गुणात्मक वृद्धि हुई है या नहीं.‌

एक उदाहरण से समझते हैं- कोई कंपनी एक उत्पाद 100 रुपये का बेचती है और उसका कुल टर्नओवर 100 करोड़ों पर है अर्थात 1 वर्ष में वह कंपनी कुल 1 करोड़ उत्पाद बेचती है.
 
महंगाई बढ़ने से वस्तुओं के दाम में वृद्धि होती है और अब वह उत्पाद 120 रुपये बेचा जा रहा है इसका अर्थ यह हुआ कि अब उस कंपनी का सालाना टर्नओवर उतनी ही यूनिट बेचने पर 120 करोड़ हो जाता है. 

आंकड़े इस बात की गवाही देंगे कि कंपनी का टर्नओवर 20 परसेंट बढ़ गया है जबकि सच्चाई यह है कंपनी का टर्नओवर उत्पादों की बिक्री के मामले में एक भी यूनिट से ज्यादा नहीं बढ़ा है.
 
अगर यही कंपनी मूल्य वृद्धि के साथ संख्या वृद्धि भी कर पाती तो उसका टर्नओवर 144 करोड़ हो जाता इसका अर्थ यह है एमएसएमई सेक्टर को वास्तव में वह ग्रोथ अभी नहीं मिल सकी है जिसका वह हकदार है.

इसके साथ ही मनीष गुप्ता इस बात को माना कि आज भी मुश्किल पेपरवर्क के कारण ये योजना छोटे उद्यमियों से दूर है. सूचनाओं के अभाव में ये योजना उतनी लोकप्रिय नहीं हो पाई जितनी इसे होना चाहिए. 

इसीलिए सरकार को इस स्कीम में थोड़ा बदलाव करके इस को और अधिक आसान बनाने की जरूरत है और साथ ही सरकारी कर्मचारियों के ऊपर और अधिक जिम्मेदारी डालनी होगी जिसमें वह व्यक्ति का निजी तौर पर वेरिफिकेशन करें और उसके बारे में अपनी क्लियर रिपोर्ट दें. 
 
एसबीआई ने भी अपनी रिपोर्ट में भी पेपरवर्क को आसान बनाने की बात कही है. इसके साथ ही मनीष का मानना है कि इस योजना के तहत दिये जाने वाले लोन की डिलीवरी की प्रक्रिया को और आसान और सुविधाजनक बनाने की जरूरत है जिसकी वजह से अधिक से अधिक लोग इस सुविधा का लाभ उठाएं और देश में मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाएं और तेजी से आगे बढ़ें. 

बता दें कि हमारे देश में इस समय लगभग 6 करोड़ एमएसएमई हैं. वही चीन में ये संख्या लगभग 14 करोड़ है जो चीन की आर्थिक प्रगति की धुरी हैं. इस स्कीम को और बेहतर बनाने के लिए क्या कर सकते हैं.
 
एसबीआई रिपोर्ट सुझाव

  1. सभी स्लैब में सालाना गारंटी शुल्क को क्रमबद्ध तरीके से घटाकर लोन का 0.50% किया जाए. दो करोड़ रुपये तक के कारोबार वाले एमएसएमई को सीजीटीएमएसई में जरूर शामिल किया जाए. 
  2. अलग-अलग बैंकों से लिए जा रहे टियर रिस्क प्रीमियम को समाप्त किया जाए.
  3. क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज (सीजीटीएमएसई) के तहत अधिकतम कर्ज राशि को विनिर्माण, सेवा और व्यापार क्षेत्र की गतिविधियों के लिए 2 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 5 करोड़ रुपये किया जाए.
  4. महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए महिला द्वारा चलाए जा रहे उद्योग धंधो की गारंटी कवरेज को 100% तक बढ़ाया जाए.
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