Jane Street पर बड़े एक्शन के बाद अब SEBI का हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग पर फोकस, कड़े नियमों की तैयारी
SEBI On High Trading Frequency: भले ही जेन स्ट्रीट के मामले में बड़े नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया, लेकिन हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग जैसे आईएमसी ट्रेडिंग, ऑप्टिवर, सिटाडेल सिक्योरिटीज भारत में तेजी से अपने कारोबार का फैलाव कर रहा है.

SEBI Tightens Surveillance: अमेरिकी ट्रेडिंग कंपनी जेन स्ट्रीट पर मार्केट रेगुलेटर सेबी के एक्शन के बाद अब इसने अपना फोकस हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग पर कर दिया है. सेबी ने अपनी जांच की स्ट्रैटजी को और व्यापक करते हुए इसका दायरा बढ़ा दिया है. पिछले हफ्ते जेन स्ट्रीट पर आरोप लगा था कि उसने हेराफेरी कर भारतीय बाजार से अवैध तरीके से पैसे बनाए है. जिसके बाद सेबी ने डोमेस्टिक मार्केट में उसके कारोबार को बैन करते हुए अवैध तरीके से उसकी तरफ से की गई कमाई को वापस करने के निर्देश दिए. ये कई महीने की जमीनी स्तर पर गहन जांच के बाद मामला उजागर हो पाया है.
सेबी ने बढ़ाया ट्रेडिंग रणनीति का दायरा
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट्स के मुताबिक, भले ही जेन स्ट्रीट के मामले में बड़े नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया हो, लेकिन हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग जैसे आईएमसी ट्रेडिंग, ऑप्टिवर, सिटाडेल सिक्योरिटीज भारत में तेजी से अपने कारोबार का फैलाव कर रहा है. इसके साथ ही, क्वांट फर्में बढ़ रही है. ऐसी स्थिति में जब भारत ट्रेड अनुबंधों के हिसाब से सबसे बड़ा दुनिया का बाजार है, सेबी का उद्देश्य अब अलर्ट रखना है.
मार्केट रेगुलेटर की तरफ से हेराफेरी जैसी चीजों को रोकने के लिए डेरिवेटिव के ट्रेडिंग नियमों में कड़ाई की गई है. इनमें निपटान रिस्क को कम करने के लिए एक दिन में चार बार इंट्राडे मार्केट वाइड पॉजिशन लिमिट की निगरानी, रिवाइज्ड मार्केट वाइड पॉजिशन लिमिट और ओपन इंटरेस्ट के लिए नया डेल्टा कैलकुलेशन शामिल है.
मॉनिटरिंग तंत्र की मजबूती की तैयारी
बाजार के जानकारों की मानें तो मार्केट रेगुलेटर की तरफ से मार्केट में हेराफेरी करने वाले ट्रेडिंग पैटर्न और कीमतें जिनसे प्रभावित होती है, उन फैक्टर के बारे में पता लगाने के लिए अपने मॉनिटरिंग तंत्र को मजबूत किया जा रहा है. इससे अगर ये स्टॉक एक्सचेंज को जानकारी नहीं भी देंगे तब भी इनके बारे में बेहतर ढंग से पता लगाया जा सकेगा.
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