'हर घर कुछ कहता है', 'मिले सुर मेरा तुम्हारा' जैसे पंचलाइन देनेवाले पीयूष पांडे का कुछ ऐसा रहा सफर
Piyush Pandey Demise: साल 1955 में जयपुर में जन्मे पीयूष पांडे नौ भाई-बहनों में से एक थे — सात बहनें और दो भाई. उनके पिता बैंक में कार्यरत थे. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन कॉलेज से इतिहास में एमए की डिग्री प्राप्त की.

Advertising Legend Piyush Pandey no more: भारतीय विज्ञापन जगत के दिग्गज और पद्मश्री से सम्मानित पीयूष पांडे का गुरुवार को मुंबई में निधन हो गया. वे 70 वर्ष के थे और लंबे समय से संक्रमण से जूझ रहे थे. पीयूष पांडे ने अपने यादगार विज्ञापन अभियानों और रचनात्मक सोच से भारतीय विज्ञापन उद्योग को नई पहचान दिलाई.
ओगिल्वी इंडिया (Ogilvy India) के पूर्व एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर नीलेश जैन ने एबीपी न्यूज़ डिजिटल से फ़ोन पर बात करते हुए पीयूष पांडे के साथ अपने निजी अनुभव साझा किए. उन्होंने कहा कि पांडे का निधन व्यक्तिगत रूप से उनके लिए एक बहुत बड़ी क्षति है, क्योंकि विज्ञापन की दुनिया में लाने वाले वही थे.
नीलेश जैन ने कहा, “पीयूष पांडे का जाना ऐसा है जैसे मेरी पूरी दुनिया ही चली गई हो.”
उन्होंने बताया कि एक बार उन्होंने पीयूष पांडे के लिए लिखा था —
“दुनिया को दिखती होंगी उनकी ऊंचाइयां मगर, मुझे तो बुनियाद सा दिखता है.”
जैन ने कहा कि पांडे कंपनी की बुनियाद थे — उस भावना की बुनियाद, जिसने भारतीय विज्ञापन जगत को नई दिशा और पहचान दी.
ओगिल्वी से करियर की शुरुआत
साल 1955 में जयपुर में जन्मे पीयूष पांडे नौ भाई-बहनों में से एक थे — सात बहनें और दो भाई. उनके पिता बैंक में कार्यरत थे. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन कॉलेज से इतिहास में एमए की डिग्री प्राप्त की.
सिर्फ 27 साल की उम्र में उन्होंने विज्ञापन की दुनिया में कदम रखा. शुरुआत में उन्होंने और उनके भाई प्रसून पांडे ने रेडियो जिंगल्स में अपनी आवाज़ दी. वर्ष 1982 में वे ओगिल्वी एंड मेदर (Ogilvy & Mather) से जुड़े और धीरे-धीरे भारत के सबसे चर्चित क्रिएटिव डायरेक्टर बन गए. वर्ष 2016 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया.
‘फेविकॉल’ से लेकर ‘अबकी बार मोदी सरकार’ तक के चर्चित अभियान
पीयूष पांडे को ‘एडगुरु’ कहा जाता था. उनके बनाए कई विज्ञापन और टैगलाइन भारतीय दर्शकों के ज़ेहन में अमिट छाप छोड़ गए. उनके प्रसिद्ध अभियानों में — फेविकॉल का ट्रक वाला विज्ञापन, पल्स पोलियो का नारा “दो बूंदें ज़िंदगी की” बीजेपी का 2014 चुनाव अभियान “अबकी बार, मोदी सरकार” हच का आइकॉनिक टैगलाइन “व्हेयर यू गो, हच इज विद यू”, कैडबरी डेयरी मिल्क का “कुछ खास है ज़िंदगी में”, एशियन पेंट्स का “हर खुशी में रंग लाए” और फेविकॉल का “जुड़ जाए” कैंपेन विशेष रूप से लोकप्रिय रहे. उनकी रचनात्मकता विज्ञापनों तक सीमित नहीं रही — उन्होंने प्रतिष्ठित गीत “मिले सुर मेरा तुम्हारा” भी लिखा, जो भारतीय एकता का प्रतीक बन गया.
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