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भारतीय दवा कंपनियों को लिए राहत, चीन से नॉर्मल हुई बल्क ड्रग्स की सप्लाई
भारत दवा बनाने में इस्तेमाल होने वाला 70 फीसदी एक्टिव फार्मास्यूटिकल्स इनग्रिडिएंट्स यानी API चीन से ही आयात करता है.

भारतीय दवा कंपनियों की मुश्किलें अब आसान होती दिख रही हैं. चीन से बल्क ड्रग्स की सप्लाई अब सामान्य होने लगी है. इससे भारतीय बाजार मे दवाओं की सप्लाई में कमी और कच्चे माल के दाम बढ़ने की दिक्कतें दूर हो जाएंगीं. सीमा पर भारत-चीन के सैनिकों को बीच टकराव के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव से चीन से बल्क ड्रग्स की सप्लाई पर असर पड़ा था. इससे भारतीय बाजार में दवाओं की सप्लाई में दिक्कत आ रही थी. लेकिन चीन बल्क ड्रग्स की सप्लाई पटरी पर आ जाने से दवाओं की कीमतें बढ़ने और फार्मा संकट के लिए कच्चे माल की कमी का संकट खत्म होता दिख रहा है. 70 फीसदी API की सप्लाई चीन से भारत दुनिया का तीसरा बड़ा दवा निर्माता है. यह दवा बनाने में इस्तेमाल होने वाला 70 फीसदी एक्टिव फार्मास्यूटिकल्स इनग्रिडिएंट्स यानी API चीन से ही आयात करता है. कुछ API, खास कर एंटी बायोटिक के निर्माण लिए 90 फीसदी आयात चीन से ही होता है.फार्मा इंडस्ट्री के मुताबिक एपीआई के दाम अब 20 फीसदी तक कम हो गया है. मई-जून की कीमतों की तुलना में अब इसके दाम काफी गिर चुके हैं. इससे भारतीय फार्मा उद्योग के सामने अपनी दवाओं की लागत बढ़ने की आशंका खत्म हो गई है. कोरोना संक्रमण की वजह से बंद था चीन में उत्पादन फार्मास्यूटिकल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के चेयरमैन दिनेश दुआ के मुताबिक कोरोनावायरस संक्रमण की वजह से चीन के गुआंगदोंग, जियांगसु, झेजियांग, शान्दोंग और फुजियान जैसे प्रमुख बल्क ड्रग्स प्रांतों में उत्पादन बंद था. इस वजह मई और जून में भारतीय फार्मा मार्केट के बल्क ड्रग्स की कीमतें बढ़ गई थीं. कई एपीआई के दाम 27 फीसदी तक बढ़ गए थे. चीन में अब कोरोना के नियंत्रण से सप्लाई चेन के बहाल हो जाने से एपीआई के दाम में गिरावट आ गई है.लुपिन, सन फार्मा, ग्लेनमार्क, मैनकाइंड, डॉ. रेड्डी और टोरेंट जैसी कंपनियां अपने एपीआई सप्लाई के लिए चीन पर ही निर्भर हैं.
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