RBI Bulletin: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अपने नवंबर बुलेटिन में कहा है कि राजकोषीय, मौद्रिक और नियामकीय उपायों के चलते भारत में निजी निवेश में बढ़ोतरी के लिए अनुकूल माहौल तैयार हो रहा है, जिससे आने वाले वर्षों में आर्थिक वृद्धि को गति मिलेगी. ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ शीर्षक वाले लेख में बताया गया है कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार मजबूती के संकेत दे रही है.
इंडियन इकोनॉमी में मजबूती
अक्टूबर माह के उच्च-आवृत्ति संकेतक—जैसे पीएमआई, जीएसटी संग्रह, बिजली की खपत और ई-वे बिल—विनिर्माण और सेवा क्षेत्र दोनों में मजबूती की ओर इशारा करते हैं, जिसमें त्योहारी मांग और जीएसटी सुधारों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. रिपोर्ट के अनुसार मुद्रास्फीति ऐतिहासिक रूप से निम्न स्तर पर है और लक्ष्य से काफी नीचे बनी हुई है, जबकि वित्तीय स्थितियाँ भी अनुकूल हैं तथा संसाधनों का प्रवाह स्थिर है.
वैश्विक व्यापार नीतियों में अनिश्चितताओं और बाहरी चुनौतियों के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था समय के साथ अधिक मजबूत होती जा रही है, जिसका श्रेय मजबूत सेवाओं के निर्यात, बढ़ते धन प्रेषण, सस्ते कच्चे तेल और नवीकरणीय ऊर्जा की बढ़ती हिस्सेदारी को जाता है.
प्राइवेट इन्वेस्टमेंट को मिलेगा बढ़ावा
चालू खाते का घाटा भी वित्त वर्ष 2025–26 की पहली तिमाही में जीडीपी के अनुपात में सीमित रहा. बुलेटिन में कहा गया है कि बेहतर वृहद आर्थिक ढांचे ने वित्तीय संस्थानों की क्षमता बढ़ाई है और आरबीआई को वित्तीय मध्यस्थता तथा ऋण प्रवाह को और सुचारु बनाने में मदद की है.
लेख में यह भी उल्लेख है कि इस वर्ष किए गए नीति-सम्बंधी कदम निजी निवेश और उत्पादकता में बढ़ोतरी के माध्यम से दीर्घकालिक आर्थिक मजबूती लाएंगे. हालांकि, वैश्विक शेयर बाजारों में तेज उत्साह के टिकाऊ होने और इसके वित्तीय स्थिरता पर प्रभाव को लेकर चिंताएं बरकरार हैं. आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि बुलेटिन में प्रकाशित विचार लेखकों के निजी हैं और उन्हें बैंक के आधिकारिक विचारों से नहीं जोड़ना चाहिए.























