Economic Survey: आर्थिक सर्वे में महंगाई पर जताई गई चिंता, सरकार को आयातित महंगाई से सतर्क रहने की नसीहत
Budget 2022: आर्थिक सर्वे में सरकार को आयातित महंगाई को लेकर सतर्क किया गया है. सरकार को कई सामानों पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाने के लिए कहा गया है जिससे महंगाई पर काबू पाया जा सके.

Economic Survey: लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए इकोनॉमिक सर्वे को पेश कर दिया है. इस सर्वे में आने वाले वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 8 से 8.5 फीसदी के दर से विकास करने का अनुमान जताया है. वहीं सर्वे में मौजूदा वित्त वर्ष 2021-22 में देश का जीडीपी 9.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. गौतरलब है कि बीते साल इकोनॉमिक सर्वे में 11 फीसदी जीडीपी रहने का अनुमान जताया गया था.
आयातित महंगाई पर चिंता
सर्वे में सरकार को आयातित महंगाई को लेकर सतर्क किया गया है. सरकार को कई सामानों पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाने के लिए कहा गया है जिससे महंगाई पर काबू पाया जा सके सर्वे के मुताबिक उन्नत और भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं दोनों में मुद्रास्फीति एक वैश्विक मुद्दे के रूप में फिर से प्रकट हुई है. भारत को आयातित मुद्रास्फीति से सावधान रहने की जरूरत है, खासतौर से विशेष रूप से उच्च वैश्विक ऊर्जा कीमतों से.
थोक मूल्य आधारित महंगाई दर में 'ईंधन और बिजली' समूह में मुद्रास्फीति 20 प्रतिशत से ऊपर थी जो बहुत ज्यादा अंतरराष्ट्रीय पेट्रोलियम कीमतों को दर्शाती हैं. हालांकि थोक महंगाई दर के ये आंकड़े बेस कारणों से भी है. सर्वे में कहा गया है कि वैश्विक ऊर्जा कीमतों में वृद्धि के चलते भारत को विशेष रूप से आयातित मुद्रास्फीति से सावधान रहने की आवश्यकता है.
सर्वेक्षण में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था चुनौती का सामना करने के लिए अच्छी स्थिति में है. सर्वेक्षण में बताया गया है कि वर्ष के अधिकांश समय में खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी के कारण, हेडलाइन मुद्रास्फीति नियंत्रण में रही. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति सीमाबद्ध रही क्योंकि सरकार द्वारा आपूर्ति प्रबंधन की प्रतिक्रिया के कारण खाद्य कीमतों में काफी कमी आई. खाद्य मुद्रास्फीति वर्ष के दौरान 2.9 प्रतिशत (अप्रैल-दिसंबर) पर रही, जबकि पिछली समान अवधि में यह 9.1 प्रतिशत थी.
चुनौतियों का सामना करने को तैयार
इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था 2022-23 की चुनौतियों का सामना करने के लिए अच्छी स्थिति में है. मैक्रो इकोनॉमी स्टेबलिटी इंडिकेटर्स बताते हैं कि अगले साल की चुनौतियों का सामना करने में भारत पूरी तरह सक्षम है. और भारतीय अर्थव्यवस्था के अच्छी स्थिति में होने का एक प्रमुख कारण तैयार की गई बेहतर रणनीति है. तीसरी लहर के बावजूद भारत में की खपत में अच्छी बढ़ोतरी जारी है. 2021-22 में 7.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसमें महत्वपूर्ण हिस्सा सरकारी खर्च से आ रही है.
आईपीओ बाजार में उत्साह
सर्वे में शेयर बाजार में बढ़ते निवेश पर संतोष जताया गया है. आपदा के बावजूद नवंबर, 2021 तक IPO के जरिये 89 हजार करोड़ रु से ज्यादा जुटाया गया है. चालू साल में पिछले साल के मुकाबले IPO के जरिये ज्यादा रकम जुटाया गया है. अप्रैल-नवंबर 2021, लगभग 221 लाख व्यक्तिगत डीमैट खाते जोड़े गए हैं.
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Source: IOCL






















