गधों के भरोसे चल रहा था चीन का ये उद्योग, 58000 करोड़ के इस कारोबार पर अब आया भारी संकट
गधे का भारत समेत कई देशों ने अपने यहां से एक्सपोर्ट या फिर इसके मारने पर कड़ाई कर दी है. लिहाजा चीन अब गधे को एशिया-अफ्रीका समेत दूसरे देशों से आयात कर रहा है.

China Ejiao Industry: ये खबर तो आपने जरूर सुनी होगी कि पाकिस्तानी गधे की बड़ी संख्या में चीन अपने यहां पर आयात करता है. इसके लिए उसे मोटी रकम भी चुकाता है. लेकिन विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन के सामने आज एक अजीबोगरीब संकट पैदा हो गया है. इसकी वजह से वह अचानक से मीडिया की सुर्खियों में आ गया है. चीन में गधों से जुड़ा करीब 58000 करोड़ (करीब 6.8 अरब डॉलर) का कारोबार है.
लेकिन, आज इस उद्योग पर भारी संकट के बादल मंडरा रहे हैं. इसकी वजह है चीन में गधों की संख्या में करीब 75 प्रतिशत से ज्यादा की कमी आ चुकी है. यहां पर गधों की खास से जुड़ा बड़ा कारोबार चलता है. इसकी खाल से वहां की ट्रेडिशनल मेडिसिन इजियाओ तैयार होती है.
चीन में गधों का संकट
इस दवा इजियाओ के बारे में कहा जाता है कि इससे एंटी एजिंग, ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाने और औषधि महिलाओं के प्रजन्न क्षमता को बढ़ाने में काफी कारगर साबित होती है. पिछले कुछ सालों के दौरान इस दवा की मांग में काफी तेजी आने की वजह से इसकी तस्करी भी काफी बढ़ चुकी है. ऐसी स्थिति में वैश्विक पशु कारोबारियों और इससे जुड़े संगठन इससे काफी चिंतित हो गए हैं.
गधे का भारत समेत दुनियाभर कई देशों से चीन अपने यहां पर आयात करता है, लेकिन उन देशों में इसके मारने पर कड़ाई कर दी है. लिहाजा चीन अब गधे को एशिया-अफ्रीका समेत दूसरे देशों से आयात कर रहा है.
क्यों हो रहा विरोध?
इसके विरोध में उतरे पशु अधिकार संगठनों का तर्क है कि इस तरह गधे की हत्या किए जाने से जानवरों के जीवन के अधिकार का उल्लंघन होने के साथ ही ग्रामीण इकोनॉमी भी प्रभावित हो रही है, क्योंकि काफी हद तक गांव में गधों पर कुछ चीजों के लिए निर्भरता है. ऐसी स्थिति में जहां एक तरफ एक्सपर्ट्स इसको लेकर चिंता जता रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ इजियाओं के लिए विकल्प तलाशने की भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इसको लेकर भी अपील की जा रही है.
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