New India Co-operative Bank Scam: न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक स्कैम मामले में एक और गिरफ्तारी, डेवलपर ने खाए थे 70 करोड़
New India Co-operative Bank Scam: यह घोटाला 2020 से 2025 के बीच हुआ. बैंक के एक अधिकारी ने आर्थिक अपराध शाखा को जानकारी दी कि बैंक के बुक्स ऑफ अकाउंट और कैश टैली में गड़बड़ियां पाई गई हैं.

न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक स्कैम (New India Co-operative Bank Scam) मामले में एक और गिरफ्तारी हुई है. इस मामले में EOW ने डेवलपर को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार किए गए डेवलपर का नाम धर्मेश पौन बताया जा रहा है. धर्मेश पेशे से बिल्डर है और चारकोप में उसके प्रोजेक्ट चल रहे हैं. वहीं इस मामले में उनन्नाथन अरुणाचलम उर्फ अरुण भाई नाम के शख्स की तलाश पुलिस अब भी कर रही है. अरुण पेशे से इलेक्ट्रिक कॉन्ट्रेक्टर है.
122 करोड़ रुपये के न्यू इंडिया को-ओपेरेशन बैंक स्कैम मामले में EOW ने एक और आरोपी को गिरफ्तार किया है, गिरफ्तार किए गए आरोपी का नाम धर्मेश पौन बताया जा रहा है. धर्मेश पेशे से बिल्डर है और चारकोप में उसके प्रोजेक्ट चल रहे हैं. वहीं इस मामले में उनन्नाथन अरुणाचलम उर्फ अरुण भाई नाम के शख्स की तलाश पुलिस अब भी कर रही है. अरुण पेशे से इलेक्ट्रिक कॉन्ट्रेक्टर है.
धर्मेश पौन का रोल
EOW की जांच में पता चला कि धर्मेश ने इस मामले में हितेश मेहता द्वारा गबन किये गए 122 करोड़ रुपये में से 70 करोड़ रुपये लिए थे. जिसके इस्तेमाल उसने कथित तौर पर अपने व्यापार में किया था. EOW सूत्रों ने आगे यह भी बताया कि मुख्य आरोपी जनरल मैनेजर हितेश मेहता से आरोपी धर्मेश ने हाल फिलहाल में मई और दिसंबर 2024 में 1.75 करोड़ रुपये और जनवरी 2025 में 50 लाख रुपए लिए हैं.
धर्मेश से कैसे हुई दोस्ती?
हितेश ने पूछताछ के दौरान बताया कि हितेश फिलहाल दहिसर में रहता है उसके पहले उसने एक फ्लैट खरीदा था और यह फ्लैट उसने धर्मेश के पास से खरीदा था, जिसके बाद से दोनों में जान पहचान हो गई थी. हालांकि, धर्मेश से लिये इस फ्लैट को हितेश ने बाद में बेच दिया था.
अरुण का क्या रोल है?
इस मामले में कल पुलिस ने हितेश मेहता को लंबी पूछताछ की जिसमे उसने बताया कि उसने गबन किये गए पैसों में से 40 करोड़ रुपये अरुण को दिए थे. अरुण ने भी इन पैसों का इस्तेमाल कथित तौर पर अपने व्यापार में किया है.
अवैध लोन चला रहा था?
EOW सूत्रों ने बताया कि आरोपी हितेश न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक डिपोजिटर के पैसों का इस्तेमाल अवैध तरीके से लोन देने में कर रहा था. उसने अपने जान पहचान के लोगों को करोड़ो रुपये दिए थे. EOW ने बताया कि ऐसा करके उसे उनसे मुनाफा मिलता था, पर कितना मुनाफा मिला है यह जांच का विषय है.सूत्रों ने बताया कि आरोपी पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहा है.
क्या है हितेश का बैकग्राउंड
आपको बता दें कि हितेश कॉमर्स ग्रेजुएट है और उसने इस बैंक में नौकरी 1987 से शुरू की, हितेश इसी साल ऑक्टोबर में रिटायर होने वाला था. साल 2002 में वो जनरल मैनेजर और हेड अकाउंटेंट के पद पर नियुक्त हुए था. सूत्रों ने बताया कि हितेश ने जितने पैसों का गबन किया वो बैंक में जमा राशि का कुल 5 प्रतिशत है. आपको यह भी बता दें कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों के सामने आरोपी हितेश मेहता ने अपना कबूलनामा दिया है, जिसमे हितेश ने कहा कि उसने 122 करोड़ रुपये अपनी पहचान के लोगों को दी.
हितेश ने यह भी कबूला की उसने यह रकम कोविड काल से निकालना शुरू किया था. हितेश अकाउंट हेड होने की वजह से उसके पास बैंक का कैश संभालने की जिम्मेदारी है, इसके अलावा उसके पास GST और TDS देखने का और पूरा अकाउंट देखने की जिम्मेदारी थी. सूत्रों ने बताया कि प्रभादेवी कार्यालय की तिजोरी से 112 करोड़ रुपये गायब हुए तो वहीं गोरेगांव कार्यालय की तिजोरी से 10 करोड़ रुपये गायब हुए हैं.
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Source: IOCL






















