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अपने हक के लिए 'कुश्ती' क्यों नहीं लड़ पाते हैं पहलवान, लड़कियों के सामने क्या होती है मजबूरी?

Wrestler Protest: देश को कई मेडल दिलाने के बाद नाम रौशन करने वाले बड़े पहलवान आज सड़कों पर उतर आए हैं. सरकार और खेल मंत्रालय को इनकी जरूर सुननी चाहिए. जो आरोप भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण पर लगाए गए हैं उनकी जांच होनी चाहिए. कुश्ती में देश का नाम बढ़ाने वाले इन लोगों की मांगों को अगर नहीं माना गया तो ये काफी ज्यादा दुखद होगा. 

कुश्ती की अगर बात करूं तो हरियाणा में तमाम युवा इसके लिए जी तोड़कर मेहनत करते हैं. किसी तरह अगर कोई अपने दम पर आगे बढ़ जाता है तो उसे हर जगह सम्मान दिया जाता है. किसी के लिए भी नेशनल और इंटरनेशनल लेवल तक पहुंचना इतना आसान नहीं होता है. कई ऐसे प्रतिभावान युवा भई होते हैं, जो किसी न किसी वजह से ऊपर तक नहीं पहुंच पाते हैं. इसके लिए जमीनी स्तर पर उस तरह की व्यवस्था नहीं है. 

परिवार और गुरु ही करते हैं मदद
जब भी हम देखते हैं कि कोई युवा कुश्ती में अच्छा कर रहा है या फिर मेडल जीतकर ला रहा है तो उसमें सबसे बड़ा योगदान उसके परिवार का ही होता है. गरीब परिवार से आने वाले युवा अपने घर पर ही दूध और घी खाकर सेहत बनाते हैं और अखाड़े में पसीना बहाते हैं. ऐसे तो देश में कुश्ती के कई बड़े गुरु हैं, लेकिन सबसे बड़ा योगदान उस गुरु का होता है जो अखाड़े में किसी को भी पहलवान बनाता है. सबसे बड़ा सपोर्ट उसी का होता है. जिसके बाद आगे बाकी चीजें सीखनी होती हैं. 

इसलिए नहीं उठा पाते हैं आवाज
कुश्ती को मैंने काफी करीब से समझा है और जाना है, इस पर मैंने किताबें भी लिखी हैं. इसीलिए मैं ये कह सकता हूं कि कई बार पहलवान अपनी समस्या को नहीं बता पाते हैं. निचले स्तर पर तो बात सामने भी नहीं आ पाती है. गरीब परिवार से आने के चलते पहलवानों को कई तरह का डर होता है. वहीं एक कारण ये भी है कि ज्यादातर पहलवान कम पढ़े लिखे होते हैं, ऐसे में उन्हें ज्यादा विकल्प नहीं दिखते. पहलवानों को अपना करियर शुरू होने से पहले ही खत्म होने का डर रहता है. जिसके चलते ऐसे विवाद सामने नहीं आते. 

महिला पहलवानों के आरोपों की हो जांच
जहां तक बात महिला पहलवानों के यौन शोषण की है तो इस तरह के मामले तो नए नहीं हैं. पिछले कई सालों से ऐसे आरोप लगते आए हैं. अगर आरोप लगते हैं तो इनकी जांच होनी चाहिए और दोषी को सजा भी मिलनी चाहिए. कोच के साथ रिश्ता एक गुरु का होता है, अगर गुरु ऐसा करेगा तो ये काफी ज्यादा गलत है. कई बार लड़कियां डर के चलते बोल भी नहीं पाती हैं. इस बार अगर ये बात उठी है तो सरकार को इसकी पूरी जांच करनी चाहिए और तमाम पहलवानों को ये भरोसा दिलाना चाहिए कि उनके साथ कुछ गलत नहीं होगा. 

पिछले काफी वक्त से हम लोग ये सवाल भी उठा रहे हैं कि जब दिल्ली और हरियाणा से महिला पहलवानों की संख्या ज्यादा होती है तो लखनऊ में कुश्ती के कैंप क्यों लगाए जाते हैं. लड़कियों को हरियाणा से लखनऊ जाना होता है और वहां उन्हें कई तरह की परेशानियां होती हैं. ऐसे में कोई ऐसी जगह देखनी होगी जहां लड़कियों को तमाम तरह की सुविधाएं मिलें और हरियाणा के नजदीक हो. क्योंकि ये किसी से भी छिपा नहीं है कि 90 फीसदी से ज्यादा पहलवान हरियाणा से आते हैं और हर साल विदेशों में भारत का नाम रौशन करते हैं.  

पिछले कई सालों से कुश्ती को करीबी से देखने के बावजूद मैंने इस तरह का प्रदर्शन पहले नहीं देखा. ये पहली बार है जब इंटरनेशनल लेवल के पहलवान अपने साथी पहलवानों के हकों को लेकर लड़ाई लड़ रहे हैं. हमेशा ऐसा ही होना चाहिए. कितना भी ताकतवर शख्स क्यों न हो उससे डरना नहीं चाहिए. आगे भी अगर कुश्ती में ऐसा होता है तो सभी को एकजुट होकर विरोध करना चाहिए. फिलहाल सरकार के रुख का इंतजार सभी को है, लेकिन हम यही कहते हैं कि जांच होनी चाहिए और सच सबके सामने आना चाहिए. 

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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