एक्सप्लोरर

झांसी की रानी वाला बुंदेलखंड क्या इस बार भी देगा योगी का साथ?

महज 30 बरस की उम्र में अंग्रेजों की सेना से लड़ते हुए इस देश की आज़ादी के लिए अपनी कुर्बानी देने वाली मणिकर्णिका यानी झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का इलाका बुंदेलखंड इस बार यूपी के चुनाव में कुछ खास बन चुका है. खास इसलिये कि कहने को तो यहां  विधानसभा की सिर्फ 19 सीटें ही हैं लेकिन करिश्मा कुछ ऐसा है कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर प्रियंका गांधी और अखिलेश यादव को अपनी पार्टी के प्रचार के लिए सूबे के सबसे उपेक्षित समझे जाने वाले इस हिस्से में खींचकर ले आया.

इतिहास की तारीख में 19 नवंबर का दिन बेहद खास समझा जाता है क्योंकि लोग अभी तक यही जानते थे कि उस दिन देश की दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जन्म हुआ था. लेकिन देश की आज़ादी के बाद ये पहली ऐसी घटना थी,जब पीएम मोदी ने झांसी जाकर देश को ये अहसास दिलाया कि उसी दिन आज से 193 साल पहले झांसी की रानी बनकर अंग्रेजों से लोहा लेने वाली लक्ष्मीबाई का भी जन्म हुआ था. लेकिन इसे संयोग ही कहा जायेगा कि जिस वाराणसी से मोदी लोकसभा के सदस्य चुने गए हैं,उसी बनारस  की धरती पर साल 1828 में मणिकर्णिका की पैदाइश हुई थी. बचपन से ही शास्त्रों के ज्ञान के साथ शस्त्र चलाने की बारीकियां सीखने वाली इस मनु की शादी जब झाँसी के मराठा शासित राजा गंगाधर राव नेवालकर के साथ हुई,तो वे झाँसी की रानी बन गईं. लेकिन अब वही झांसी तमाम राजनीतिक दलों का केंद्र बिंदु बन गई है क्योंकि उन्हें लगता है कि इसके जरिये ही बुंदेलखंड की 19 सीटों पर फतह पाई जा सकती है.

हालांकि साल 2017 के चुनाव में बीजेपी ने अपना परचम लहराते हुए यहां की सारी सीटें जीती थीं. लिहाज़ा,उसके लिए तो सबसे बड़ी चिंता ये है कि उन सीटों को बरकरार रखा जाए. लेकिन अखिलेश यादव और प्रियंका गांधी को लगता है कि सारी सीटें मिलने के बावजूद योगी सरकार ने इस उपेक्षित इलाके का पिछले पांच साल में कोई उद्धार नहीं किया,सो उनके लिए कुछ सीटें पाने की गुंजाइश बन सकती है. इसलिये पहले प्रियंका ने बुंदेलखंड पहुंचकर कांग्रेस की जमीन  मजबूत करने के लिए हर तरह के इम्मोशन्स का इस्तेमाल किया तो कल सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी झांसी की अपनी सभा में जुटी भीड़ दिखाते हुए ये संदेश देने की कोशिश करी कि इस बार बुंदेलखंड में बदलाव की बयार है.

लेकिन आल्हा-ऊदल की सरजमीं और अपने करारे देशावरी पान के लिए मशहूर कहलाने वाले बुंदेलखंड की एक और भी कड़वी हक़ीक़त है. इस इलाके की बदहाली दूर करना यूपी की किसी भी सरकार की प्राथमिकता में कभी नहीं रहा. शायद इसलिये कि यूपी के सात और मध्यप्रदेश के छह जिलों को मिलाकर बनने वाला बुंदेलखंड सियासी गणित के लिहाज से हर सत्ताधारी दल के लिए सबसे आखिरी पायदान पर इसीलिये रहता आया है क्योंकि बाकी हिस्सों के मुकाबले यहां सबसे कम सीटें हैं.

वैसे बुंदेलखंड देश का एक ऐसा इलाका है, जिसका ज़िक्र आते ही सूखा, किसान आत्महत्या, पलायन, बदहाली, बेरोज़गारी की तस्वीर आंखों के सामने उभर आती है. पिछले चुनावों से पहले तक ये बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का गढ़ हुआ करता था लेकिन 2017 में बीजेपी की झोली में सारी सीटों की सौगात करने के बावजूद इसकी तस्वीर में कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिलता.

पिछले चुनावों में बीजेपी को बुंदेलखंड में मिली ऐतिहासिक जीत के नारे में इस इलाके के वरिष्ठ पत्रकार बंशीधर मिश्र कहते हैं कि उन्हें याद नहीं आता कि कभी किसी राजनीतिक दल ने इस तरह से जीत दर्ज की हो क्योंकि उस समय इस इलाके के लोग बड़ा बदलाव चाहते थे. वे सपा, बसपा का शासन देख चुके थे और तब उन्हें इन दलों से कोई उम्मीद नहीं थी.  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीयत पर बगैर कोई शक किये तब मतदाताओं ने बीजेपी का एकतरफा साथ दिया था. लेकिन अब अंदाज़ा लगाना मुश्किल है कि बीजेपी को वैसा ही समर्थन मिल पायेगा.

दरअसल,बुंदेलखंड का चुनावी इतिहास देखें,तो 2017 का चुनाव बीजेपी के लिए किसी वरदान से कम नहीं था क्योंकि तब पिछड़े वर्ग ने एकमुश्त बीजेपी का साथ दिया था. मायावती के वोट बैंक का बहुत बड़ा हिस्सा उनके पाले से छिटककर बीजेपी की ओर चला गया था क्योंकि सपा के शासन काल में उनके स्थानीय नेताओं की कारगुज़ारियों को लेकर लोगों में बड़ी खीझ थी,लिहाज़ा सपा का वोट भी बीजेपी की तरफ शिफ्ट हो गया था.

यही वजह है कि अखिलेश यादव सपा के उस पारंपरिक वोट को दोबारा अपने पाले में लाने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं. लेकिन देखना ये है कि बुंदेलखंड की जनता इस बार मोदी-योगी की बातों पर उतना ही भरोसा करती है या फिर अखिलेश की साइकिल की सवारी करने का मूड बनाती है.

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

India-Pakistan Relations: कारगिल युद्ध के 25 साल बाद पाकिस्तान का कबूलनामा, अटल बिहारी वाजपेयी को याद कर नवाज शरीफ ने मानी ये गलती
कारगिल युद्ध के 25 साल बाद पाकिस्तान का कबूलनामा, अटल बिहारी वाजपेयी को याद कर नवाज शरीफ ने मानी ये गलती
Lok Sabha Election 2024: अखिलेश यादव समेत तीन लोगों के खिलाफ FIR दर्ज, जानें क्या है पूरा मामला?
अखिलेश यादव समेत तीन लोगों के खिलाफ FIR दर्ज, जानें क्या है पूरा मामला?
Delhi Chief Secretary: दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को दूसरी बार मिला सेवा विस्तार, 6 महीने पहले सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे चुकी है AAP
दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को दूसरी बार मिला सेवा विस्तार, 6 महीने पहले सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे चुकी है AAP
Hardik Pandya Divorce: हार्दिक-नताशा तलाक की खबरों ने लिया नया मोड़, करीबी दोस्त का हैरतअंगेज़ खुलासा
हार्दिक-नताशा तलाक की खबरों ने लिया नया मोड़, करीबी दोस्त का हैरतअंगेज़ खुलासा
metaverse

वीडियोज

PM Modi On ABP: स्वार्थी लोगों ने ब्रह्मोस का एक्सपोर्ट रोका-पीएम मोदी का बड़ा बयान | Loksabha PollsLoksabha Election 2024: मोदी की आध्यात्म यात्रा..'हैट्रिक' का सार छिपा ? | ABP NewsPM Modi On ABP: 2024 चुनाव के नतीजों से पहले पीएम मोदी का फाइनल इंटरव्यू | Loksabha ElectionPM Modi On ABP: पीएम मोदी से पहली बार जानिए- किस विपक्षी नेता के वे पैर छूते थे | Loksabha Election

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
India-Pakistan Relations: कारगिल युद्ध के 25 साल बाद पाकिस्तान का कबूलनामा, अटल बिहारी वाजपेयी को याद कर नवाज शरीफ ने मानी ये गलती
कारगिल युद्ध के 25 साल बाद पाकिस्तान का कबूलनामा, अटल बिहारी वाजपेयी को याद कर नवाज शरीफ ने मानी ये गलती
Lok Sabha Election 2024: अखिलेश यादव समेत तीन लोगों के खिलाफ FIR दर्ज, जानें क्या है पूरा मामला?
अखिलेश यादव समेत तीन लोगों के खिलाफ FIR दर्ज, जानें क्या है पूरा मामला?
Delhi Chief Secretary: दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को दूसरी बार मिला सेवा विस्तार, 6 महीने पहले सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे चुकी है AAP
दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को दूसरी बार मिला सेवा विस्तार, 6 महीने पहले सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे चुकी है AAP
Hardik Pandya Divorce: हार्दिक-नताशा तलाक की खबरों ने लिया नया मोड़, करीबी दोस्त का हैरतअंगेज़ खुलासा
हार्दिक-नताशा तलाक की खबरों ने लिया नया मोड़, करीबी दोस्त का हैरतअंगेज़ खुलासा
'जवान', 'पठान' या 'एनिमल' नहीं, इस फिल्म को 2023 में हुआ सबसे ज्यादा मुनाफा! यहां देखें टॉप 5 की लिस्ट
'जवान', 'पठान' या 'एनिमल' नहीं, इस फिल्म को 2023 में हुआ खूब मुनाफा!
वैक्सीन बनाने वालों को कम से कम कितनी सैलरी देता है सीरम इंस्टिट्यूट? रकम सुनकर उड़ जाएंगे होश
वैक्सीन बनाने वालों को कम से कम कितनी सैलरी देता है सीरम इंस्टिट्यूट? रकम सुनकर उड़ जाएंगे होश
शरीर में है B12 की कमी तो कुछ ऐसे दिखते हैं लक्षण, जानें एक सेहतमंद व्यक्ति में कितना होना चाहिए लेवल?
शरीर में है B12 की कमी तो कुछ ऐसे दिखते हैं लक्षण, जानें एक सेहतमंद व्यक्ति में कितना होना चाहिए लेवल?
टूरिज्म में आया उछाल, 119 देशों की सूची में 39वें स्थान पर आया भारत, क्या हैं इसके संकेत
टूरिज्म में आया उछाल, 119 देशों की सूची में 39वें स्थान पर आया भारत, क्या हैं इसके संकेत
Embed widget