डेडलाइन्स की आपाधापी और कॉरपोरेट तनाव के बीच जीना सिखाते हैं महादेव, नए युग के 'कूल' आयकन हैं 'शिवा'

कॉरपोरेट्स की नौकरी में व्याप्त तनाव और डेडलाइन्स की आपाधापी के बीच देवों के देव महादेव काफी तेजी से युवाओं के बीच लोकप्रिय होते जा रहे हैं. वह कभी कूलेस्ट हो जाते हैं, तो कभी हॉट बन जाते हैं. हॉट अपनी अदाओं से, उनके बारे में व्याप्त कहानियों से तो कूल अपने एटीट्यूड से, अपनी जीवनचर्या से, अपनी शर्तों पर जीवन जीने के लिए. शिव का लाइफस्टाइल भला किस कॉरपोरेट हॉञ्चो को पसंद नहीं आएगा? अभी देखिए, महाकुंभ में टूटी-फूटी राइमिंग और भाषा के साथ, अपनी अतरंगी मुस्कान से आइआइटी बाबा कैसे वायरल हो गए, उनके पास भी केवल शिव ही तो थे. शिव सॉरी शिवा के इतना कूल होने का कारण है कि इनका कोई फॉर्मेट नहीं है. जो चढ़ाना है, चढ़ा दो, जब पूजा करनी है, जैसे करनी है, कर लो. फिर, शिवा के बहाने 'ग्रीन' हो जाने का सुनहरा मौका तो है ही!
शिव की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता
जिस परिवार में मैंने जन्म लिया है, जिस इलाके से मैं हूं, वहां घरों में भगवती या फिर महादेव की पूजा होनी ही है. पूरा मिथिलांचल आम तौर पर शाक्त मतावलंबी या फिर शैव है. मेरे घर में शुरू से ही बहुत जोरों-शोरो से महाशिवरात्रि मनायी जाती है. जैसे कि शिव की बारात सज रही है, शादियों में दुल्हे को महादेव का रूप बोला जाता है और दुल्हन को माता गौरी कहा जाता है. महाशिवरात्रि और शिव जी से प्रेम मुझे तब से है जब से मुझे अपना अस्तित्व याद है इस जनम में, और कॉर्पोरेट में आने के बाद मुझे लगता है की यह बढ़ गया है. इसलिए बढ़ गया है क्योंकि जब हम बहुत सारे कामों में उलझे रहते हैं, तब शिवा हमको जो पहली चीज सीखते हैं वह उनके अस्तित्व का ही एक अंग है. हम जो सीखते हैं वह है focus. शिव का एक बहुत कॉमन रूप है जैसा कि हम कहीं भी देखते हैं, तो वह मेडिटेशन में ही दिखते हैं. चाहे वह गंगा किनारे हों, राक्षसों के बीच हो, या हिमालय पर हों. उनका ध्यान सिर्फ मेडिटेशन में रहता हैं. तो वह हमको फ़ोकस सिखाते हैं. यह पहली चीज है जिसको हम कॉरपोरेट लाइफ में रिलेट करते हैं.
दूसरी चीज उनकी सीखने लायक है, जिसको हम कॉरपोरेट में बोलते हैं leading from the front. वह शिवा बहुत अच्छे से सिखाते हैं, क्योंकि जो उनके नीलकंठ होने का किस्सा है, जो अमृतमंथन वाली बात है, तो सबसे पहले तो हलाहल निकला था न, अमृत तो बाद मेंं... तो, सवाल उठा कि हलाहल कौन पिए? सब लोग परेशान थे, लेकिन सबको सिर्फ अमृत चाहिए था. देवों और राक्षसों को भी और उसमें से निकल गया हलाहल. जब परिस्थिति पलट गई, तब महादेव ही काम आते हैं. वह हलाहल महादेव ने ही पान किया और अपने गले में रोक कर रखा, उसी समय से नीलकंठ बने. जहां सब लोग अमृत के लिए लड़ रहे थे उन्होंने हलाहल का पान कर लिया.
युवाओं की आध्यात्म में बढ़ती रुचि
लोगो की घर वापसी हो रही है फिर से. मेंटली भी क्योंकि लोग अपने roots की ओर आ रहे हैं. एक समय पर लग रहा था कि हर चीज को साइंटफिक और सिर्फ उन्हीं नजरों से देखा जाएगा, जो प्रगतिशील कही जाएं, वैज्ञानिक कहा जाए. आज के समय में महाकुंभ में क्या नज़ारा है, पॉजिटिव वाइब्रेशंस और लोगों में उत्साह है महाकुंभ के प्रति. युवाओं की भाषा में वाइब्स.. शिवा से जुड़ी जगहों में बहुत अच्छे से रहती है. पिछले 8 - 9 सालों से हम लोग सतगरु के आश्रम में ईशा फाउंडेशन में आते है हर साल महाशिवरात्रि में. शिव जी की ऐसी कृपा है कि कितने भी व्यस्त जीवन में एक दो दिन का समय निकाल कर आ ही जाते है. और जो एनर्जी रहती है रात के 12 बजे के बाद जब लाखों लोग एक साथ नीलगिरी पर्वत के ऊपर बैठ कर ॐ नमः शिवाय का जाप करते हैं. सतगुरु के साथ महा मंत्र का जप है वो. तभी जो एनर्जी होती हैं आदियोगी के सामने बैठ कर उसका शब्दों में वर्णन करना बहुत मुश्किल है. इतनी अच्छी और एक्ट्रीम एनर्जी होती हैं ग्रेटर vibes आते हैं. वही शायद युवाओं को खींच रहा है. अपने खालीपन से, अपने शून्य से शायद वह ऐसे ही निबट रहे हैं.
शिव सबके हैं
शिव को मानने के, उनकी पूजा करने का कोई एक-सूत्री नियम नहीं हैं. शिव सबके हैं देव, राक्षस, इंसान, जानवर, पशु पक्षी और पशुपतिनाथ. जो मानो तो देव नहीं तो पत्थर. बस वैसा ही है. जैसे भी पूजा करना है, वैसे कीजिए. हम सब ने यह कहानी सुनी होगी अपने बचपन में कि. एक चोर था. वो एक बार शिव मंदिर गया चोरी करने के लिए तो वो घंटों शिव लिंग के ऊपर खड़ा हुआ, क्योंकि उसका कद छोटा था, वह चोरी करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उसका हाथ घंटे तक नहीं पहुंच रहा था. अंततः उसने शिवलिंग के ऊपर पैर रख कर घंटी चोरी किया. तब पार्वती शिव जी से पूछती हैं कि महादेव आप देख रहे हैं की वह आपके ऊपर पैर रख कर चोर घंटी चोरी कर रहा है. और आप कुछ नहीं कर रहे और कोई सजा भी नहीं दे रहे. तब शिव जी बोलते है वह चोर है चोरी करना उसका कर्म है, लेकिन उसको देखो तो सही पार्वती . उसको घंटी चोरी करनी है पर उससे पहले उसने मुझे प्रणाम किया और उसने खुद को मुझे समर्पित कर दिया है. देखा नहीं, मेरे ऊपर चढ़ा है. महादेव को इस लिए भोले बाबा कहा जाता है. उनको सिर्फ मन से अपना बना सकते है अगर तरकीबें लगाई तो उनको नहीं अपना बनाया जा सकता.
[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]
