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इमरजेंसी के ठीक बाद कर्नाटक ने इंदिरा गांधी को दी थी 'संजीवनी', क्या दादी की तरह जलवा दिखा पाएंगीं प्रियंका?

Priyanka Gandhi Karnataka: कांग्रेस पिछले कुछ सालों से लगातार पिछड़ती जा रही है और अपना अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रही है. ऐसे में आने वाले तमाम विधानसभा चुनाव पार्टी के लिए बेहद खास हैं. जिनके लिए पार्टी ने तैयारियां भी शुरू कर दी हैं. कर्नाटक में भी इस साल विधानसभा चुनाव (Karnataka Election 2023 ) हैं, जिसके लिए तमाम दलों ने कमर कस ली है. गांधी परिवार भी मिशन कर्नाटक में जुट गया है, प्रियंका गांधी ने कर्नाटक से अपनी पार्टी के चुनाव प्रचार की शुरुआत की है. उन्होंने वादा किया है कि अगर उनकी सरकार बनती है तो घरेलू महिलाओं को हर महीने 2 हजार रुपये देने का काम किया जाएगा. खास बात ये है कि गांधी परिवार का कर्नाटक से काफी पुराना नाता रहा है और संकट के वक्त ये राज्य उसके काम आया है, ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि क्या कर्नाटक एक बार फिर कांग्रेस के लिए संकट मोचक बनेगा या फिर नहीं. 

कर्नाटक चुनाव से पहले कांग्रेस का दांव
पहले ये जान लीजिए कि कर्नाटक में चुनावी रणनीति के तहत प्रियंका गांधी ने क्या दांव चला है और आगे कांग्रेस किस राह पर चल रही है. प्रियंका गांधी ने कर्नाटक में चुनावी प्रचार का बिगुल बजाते हुए एलान कर दिया कि ‘गृहलक्ष्मी योजना’ के तहत हर साल गृहणी के खाते में सीधे 24,000 रुपये ट्रांसफर किए जाएंगे. इसके पीछे तर्क देते हुए कांग्रेस की तरफ से कहा गया कि ‘गृहलक्ष्मी योजना’ का लक्ष्य घरेलू गैस सिलेंडर की बढ़ती कीमतों और महंगाई की बोझ से दब रही गृहणियों की कुछ मदद करना है. इससे कुछ ही दिन पहले पार्टी ने राज्य में प्रत्येक परिवार को 200 यूनिट प्रतिमाह मुफ्त बिजली देने का भी वादा किया था.

यानी कांग्रेस सीधे महंगाई के मुद्दे पर बीजेपी सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस लोगों को ये समझाने की कोशिश में है कि वो अगर सत्ता में आती है तो महंगाई का बोझ कम करने के लिए वो परिवारों को आर्थिक मदद देने का काम करेगी. सोशल सिक्योरिटी के मुद्दे को देखते हुए इसे कांग्रेस का बड़ा दांव माना जा रहा है. जिसकी चर्चा हाल ही में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने की थी और सोशल सिक्योरिटी पर कानून बनाने की बात कही थी.  

गांधी परिवार का कर्नाटक से पुराना नाता
कर्नाटक से कांग्रेस परिवार के नाते की बात करें तो ये वही राज्य है, जिसने इंदिरा गांधी को भरपूर प्यार दिया. आज भी यहां कई जगहों पर इंदिरा गांधी ने नाम से ही कांग्रेस पार्टी को जाना जाता है. इमरजेंसी के तत्काल बाद जब पूरे देशभर में कांग्रेस और खासतौर पर इंदिरा गांधी के खिलाफ माहौल बन रहा था और वो रायबरेली से लोकसभा चुनाव हार गईं थीं, तब कर्नाटक की चिकमंगलुरु सीट पर कुछ ऐसा हुआ जिसने सभी को चौंका दिया. यहां से 1978 में इंदिरा गांधी ने लोकसभा उपचुनाव चुनाव लड़ा और जीत भी गईं. इस जीत को इंदिरा को राजनीति में नए जीवनदान की तरह माना गया. 

हालांकि कांग्रेस के खिलाफ भारी गुस्से के बीच इंदिरा के लिए पार्टी को ऐसी सीट की तलाश थी जो सबसे सेफ हो, जिसके बाद चिकमंगलुरु को चुना गया, जिस पर पहले से कांग्रेस का कब्जा था. इस दौरान जनता पार्टी ने इंदिरा को हराने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. चुनाव के वक्त कांग्रेस की तरफ से नारा दिया गया कि "एक शेरनी सौ लंगूर चिकमंगलूर-चिकमंगलूर"... वोटिंग तक ये नारा सभी की जुबान पर था और इसका सीधा फायदा इंदिरा गांधी को मिला. नतीजा ये हुआ कि इंदिरा गांधी ने जनता दल के वीरेंद्र पाटिल को हराकर 70 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की. 

कर्नाटक ने सोनिया गांधी को भी नहीं किया निराश
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया गांधी को सत्ता में आना पड़ा और धीरे-धीरे उन्होंने राजनीति के गुर सीखे. साल 1999 में सोनिया गांधी ने कर्नाटक की बेल्लारी सीट को चुना और यहां से मैदान में उतर गईं. उनके खिलाफ बीजेपी की दिग्गज नेता सुषमा स्वराज को खड़ा किया गया. मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया था, लेकिन कर्नाटक ने एक बार फिर गांधी परिवार को निराश नहीं किया और सोनिया गांधी चुनाव जीत गईं. सोनिया की जीत में उनके भाषणों की भी अहम भूमिका मानी जाती है, जिसमें उन्होंने कन्नड़ भाषा में लोगों को संबोधित किया था. उन्होंने काफी कम वक्त में कन्नड़ सीखी और लोगों का दिल जीत लिया, जिसका नतीजा ये रहा कि सुषमा स्वराज को हराकर उन्होंने बेल्लारी लोकसभा सीट पर कब्जा कर लिया. 

राहुल गांधी ने भी किया था रिश्तों का जिक्र  
कांग्रेस नेता राहुल गांधी कर्नाटक में भारत जोड़ो यात्रा निकाल चुके हैं, कई दिनों तक राज्य में ये यात्रा रही. इस दौरान राहुल ने खुद गांधी परिवार के कर्नाटक से रिश्ते का जिक्र किया. उन्होंने अपने भाषण के दौरान कहा, मेरी दादी ने कर्नाटक के चिकमंगलुरु से चुनाव लड़ा था और वो जीती थीं. मैं इसे भूल नहीं सकता हूं. इसके अलावा राहुल ने बेल्लारी से मां सोनिया की जीत का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि "बेल्लारी से मेरे परिवार का पुराना रिश्ता है, क्योंकि यहां से मेरी मां ने चुनाव लड़ा था और लोगों ने दिल से उनका समर्थन किया था."

प्रियंका के मैदान में उतरने के मायने
कुल मिलाकर कर्नाटक से गांधी परिवार का पुराना जुड़ाव है और अब राहुल गांधी और प्रियंका गांधी इसे भुनाने की कोशिश में जुटे हैं. जहां एक तरफ राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा में कर्नाटक पर काफी फोकस किया और इस राज्य में लोगों से जुड़ने की कोशिश की, वहीं अब प्रियंका गांधी को उतारने के भी काफी अहम मायने निकाले जा रहे हैं. प्रियंका गांधी को करीब दो दशक पहले हुए लोकसभा चुनाव के दौरान बेल्लारी में प्रचार के लिए उतारा गया था, जब उनकी मां यहां से चुनाव लड़ी थीं. इस दौरान कहा गया कि कांग्रेस ने प्रियंका की इंदिरा गांधी की तरह दिखने वाली छवि का इस्तेमाल किया और इसका उसे कहीं न कहीं फायदा भी हुआ. अब एक बार फिर प्रियंका के कर्नाटक में उतरने के पीछे यही वजह बताई जा रही है. देखना ये होगा कि अब भी कर्नाटक के लोगों का इंदिरा और गांधी परिवार के साथ वही पुराना नाता है या फिर अब लोग वक्त के साथ आगे बढ़ चुके हैं. 

बता दें कि फिलहाल कर्नाटक में बीजेपी सत्ता में है. यहां पिछले चुनावों के बाद कांग्रेस और जेडीएस ने मिलकर सरकार बनाई थी, जिसमें जेडीएस के एचडी कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बनाया गया था. हालांकि गठबंधन के कई विधायकों की बगावत के बाद 2019 में सरकार गिर गई और बीजेपी ने सरकार बनाने का दावा पेश किया. जिसके बाद से ही राज्य की सत्ता बीजेपी के हाथों में है. सरकार बनते ही बीएस येदियुरप्पा को सीएम बनाया गया, लेकिन बाद में उन्हें हटाकर बसवराज बोम्मई को कुर्सी दी गई. फिलहाल आने वाले चुनाव में  मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है, लेकिन जेडीएस भी किंग मेकर की भूमिका निभा सकती है.

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