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कई मोर्चों पर नाकामयाब पाकिस्तान की खस्ता आर्थिक हालत में पड़ोसियों से बिगड़े संबंध, फेल्ड स्टेट घोषित होने में नहीं देर

पाकिस्तान में आम चुनाव फरवरी में होंंगे, ऐसी घोषणा की गयी है. वहां के सबसे लोकप्रिय नेता इमरान खान को हालांकि बाहर रखा जा रहा है. वहां इमरान खान पर जो मुकदमा चल रहा है, वह भी बंद दरवाजों के भीतर ही हो रहा है. वहां मीडिया को अनुमति नहीं है, इमरान के वकीलों को भी अधिक मिलने नहीं दिया जा रहा है. कोर्ट से हालांकि अभी तक इमरान खान कन्विक्ट नहीं हुए हैं. वहां की दूसरी बड़ी पार्टी के नेता नवाज शरीफ पर भी मुकदमा चल रहा है और कुल मिलाकर यह कहा जा रहा है कि वहां सब कुछ सेना अपने मन से कर रही है और प्रजातंत्र का उसने मखौल बना दिया है. आर्थिक मोर्चे की बदहाली से अंतरराष्ट्रीय बदनामी तक, पाकिस्तान का कल बहुत उजला नहीं नजर आ रहा है. 

इमरान का भविष्य उज्ज्वल नहीं

जैसा कि हमें पता है, इमरान खान अभी जेल में हैं और वहीं उनके खिलाफ प्रोसीडिंग चल रही है. बंद दरवाजों के भीतर चल रही यै प्रक्रिया हालांकि आपत्तिजनक है. यह तो इमरान खान के मूल अधिकारों का भी हनन है. वहां की जो कार्यवाहक सरकार और सेना, बल्कि सच कहें तो सेना ही, की कोशिश यही है कि बंद दरवाजों के भीतर ही मुकदमा चले भी और उसका फैसला भी हो जाए. आने वाले चुनाव में उनकी पार्टी ढंग से हिस्सा न ले सके, जीत न सके इसके लिए काफी समय से साजिश चल रही है. इमरान खान की लोकप्रियता अभी भी निस्संदेह सबसे अधिक है. इसीलिए, सेना का यह प्रयास है कि उनको जेल में ही रखा जाए. उनकी पार्टी थोड़ी मुश्किल में है, क्योंकि सेनापति के बिना युद्ध लड़ना तो मुश्किल होगा ही. हालांकि, वे पार्टी को रोक नहीं पाएंगे क्योंकि नवाज शरीफ की पार्टी की भी वापसी हुई थी, उनको भी योजनाबद्ध तरीके से वापस बुलाया गया, ताकि उनकी पार्टी चुनाव में जीत कर आ सकें. उनके भाई जो प्रधानमंत्री थे, वे भी यही चाहते हैं. हालांकि, चुनाव में तो इमरान की पार्टी लड़ेगी, लेकिन उसका प्रदर्शन इमरान पर निर्भर करेगा और उनके नहीं रहने पर बहुत अच्छा प्रदर्शन तो पार्टी नहीं कर पाएगी, इतना तय है. 

घरेलू मोर्चे पर पाकिस्तान परेशान

बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है और वहां सरकार ने विकास के नाम पर कुछ किया ही नहीं है. वहां का पंजाब प्रांत ही सबसे धनी है और वही राजनीतिक रूप से सबसे सक्रिय और शक्तिशाली भी है. एक तरह से कहा जाए तो बलूचिस्तान के लोग खुद को उपेक्षित महसूस करते हैं. वहां पिछड़ापन है, गरीबी है, अशिक्षा है और वहां इसकी प्रतिक्रिया में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के नेतृत्व में लोग लामबंद हो रहे हैं. हालांकि, इसका जिम्मेदार तो खुद पाकिस्तान ही है. अभी अगर हाल में देखें तो जो चीन के साथ सीपेक प्रोग्राम है पाकिस्तान का, उसमें भी पाकिस्तान में जो बलूचिस्तान के सीमाई इलाकों से होकर वह गुजर रहा है, तो वहां भी विरोध हो रहा है. वहां चूंकि स्थानीय लोगों को कुछ नहीं मिला है, न रोजगार न और कोई फायदा, तो वहां के लोगों ने बहुत कड़ा विरोध किया है. उसी तरह सीमाई इलाकों में देखें तो भी पाकिस्तान मुश्किल में है. अभी हाल ही में ईरान के जो सिस्तान प्रांत में बम-विस्फोट हुआ है, तो वहां के गृहमंत्री जो अहमद वहीदी हैं, उन्होंने पाकिस्तान को बहुत फटकार लगायी है और उन्होंने तो साफ तौर पर कहा है कि वे आतंकवादी पाकिस्तान की तरफ से ही आए थे. उन्होंने तो यह भी कहा है कि पूरी दुनिया में पाकिस्तान को अब एक्सपोज होना चाहिए, जो आतंक के मुद्दे पर दोहरा रवैया अपनाता है. वहां की जो फॉरेन पॉृलिसी के एक सदस्य फिदा हुसैन मालिकी ने भी यही बात कही है कि यह काम पाकिस्तान का है और वे उसको अपराधी के तौर पर देखते हैं. उन्होंने तो कहा है कि वह अपराधी के तौर पर पाकिस्तान को देखते हैं, मतलब इसमें एक छुपी हुई धमकी है. पाकिस्तान हालांकि लंबे समय से दोहरा रवैया अपनाता रहा है. उसने कहने के लिए इस हमले की निंदा भी की है औऱ यह भी कहा है कि वह हर तरह के आतंकवाद के खिलाफ है, लेकिन लोग जानते हैं कि हाथी के दांत खाने के कुछ और हैं. 

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेनकाब पाकिस्तान

पाकिस्तान में तो टेरर कैंप हैं ही और उनके दूसरे आतंकी समूहों से उनके संबंध भी हैं, चाहे वह अल-कायदा हो या आइसिस हो. अब अगर एक मुस्लिम देश ही पाकिस्तान को इस तरह से धमकी दे रहा है, तो यह भारत के लिए सकारात्मक बात है. पाकिस्तान के चाहे आर्थिक हालात देखें, या घरेलू मोर्चा, विदेशनीति देखें या उनके देश के अंदर की स्थिति, पाकिस्तान की हालत खराब है. अभी वहां कार्यवाहक सरकार है जो कोई कड़े फैसले न तो लेना चाहती है, न ही ले सकती है. जहां तक अफगानिस्तान की बात है, तो बहुत दिनों से अफगान रिफ्यूजी वहां रहते थे. उनकी संख्या लगभग 10 लाख थी और उनको हटाने के लिए जब पाकिस्तान ने कार्रवाई की है, तो उसका प्रभाव तो होना ही है. जो तहरीके-तालिबान (पाकिस्तान) है, उसने पाकिस्तान पर हमले भी किए हैं. वहां जो पश्तून बॉर्डर है, वहां ये काफी संख्या में रहते हैं. ये सबसे रेडिकल समूहों में एक है. पाकिस्तान में होनेवाली कार्रवाइयों में भी इसका हाथ रहता है. अफगानिस्तान उस जगह को अपनी मानता है और उस पर कब्जा भी करना चाहता है. तो, संक्षेप में पाकिस्तान कुल मिलाकर फेल्ड स्टेट होने की तरफ बढ़ रहा है. पाकिस्तान में कोई निवेश भी नहीं करना चाहता. वह आर्थिक मोर्चे के साथ राजनीतिक मोर्चे पर भी बेहाल है और बहुत जल्द वह विफल राष्ट्र घोषित हो सकता है. 

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]

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