एक्सप्लोरर

BLOG: कोर्ट ने भी माना- लड़की की मर्जी सबसे ऊपर

पति से अलग हो चुकी एक महिला के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि किसी भी बालिग महिला को बच्चे को जन्म देने और गर्भपात कराने का फैसला लेने का अधिकार है. इसके लिए पति की हांमी का इंतजार करने की जरूरत नहीं. यहां तक कि मानसिक तौर पर बीमार पत्नी को भी गर्भपात कराने के लिए पति की इजाजत की जरूरत नहीं.

शुक्र है, सारे शहर का मौसम एक सा नहीं है. यहां असहमति की छायाएं भी दिखाई देती हैं. सुप्रीम कोर्ट के दो फैसले अपने आप में तसल्ली देने वाले हैं. दो दिन पहले कोर्ट ने कहा है कि गर्भपात के लिए पति की सहमति जरूरी नहीं है. कल हादिया मामले में कहा है कि वह बालिग है और प्यार करने को आजाद. बाकी अदालत खुद उसकी रामकहानी सुनने को तैयार है. 27 नवंबर को वह अदालत पहुंच जाएगी.

महीनों से लोग सिर धून रहे हैं- औरत की सहमति की फरियाद लगा रहे हैं. कोर्ट में अर्जियां लगा रहे हैं- सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं. औरतें भी हाथ पैर मार रही हैं. पिछले दिनों पटना में एचआईवी पीड़ित महिला को उस स्थिति में भी गर्भपात नहीं करने दिया गया, जब उसके साथ बलात्कार हुआ. चूंकि पति से अलग होने के बाद पति की सहमति की गुंजाइश ही नहीं थी. इसका विरोध हुआ, महिलावादियों ने पीड़िता को मुआवजा देने की बात भी कही. लेकिन मुआवजा कोई हल नहीं है. सवाल औरत के अधिकार को स्वीकार करने का है. समाज इसके लिए तैयार नहीं होते- वह उसकी डोर को मनमुताबिक़ संभालता है. उड़ाता, काटता और लूटता है. इसीलिए कोर्ट के फैसले सहारा देते हैं. जब सुप्रीम कोर्ट कहता है कि गर्भपात के लिए पति की इजाजत लेने की जरूरत नहीं तो लगता है हमारी एंटिटी को स्वीकारा गया है.

पति से अलग हो चुकी एक महिला के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि किसी भी बालिग महिला को बच्चे को जन्म देने और गर्भपात कराने का फैसला लेने का अधिकार है. इसके लिए पति की हांमी का इंतजार करने की जरूरत नहीं. यहां तक कि मानसिक तौर पर बीमार पत्नी को भी गर्भपात कराने के लिए पति की इजाजत की जरूरत नहीं. इस मामले में पति ने याचिका दायर कहा था कि उसकी पूर्व पत्नी के माता-पिता, भाई और दो डॉक्टरों ने 'अवैध' गर्भपात कराया है. अदालत ने कहा कि मियां-बीवी के बीच तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए महिला का गर्भपात कराने का फैसला कानूनी तौर पर सही है.

दिलचस्प यह है कि इससे पहले पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने भी पति की याचिका को ठुकराया था. हाईकोर्ट ने कहा था कि इस मामले में बीवी अपने पति के प्रति अपने वैवाहिक कर्तव्यों को समझती थी और इस जानकारी के कारण उसके साथ उसके सेक्सुअल रिलेशन थे. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह बच्चे को जन्म लेने के लिए सहमत हो. सहमत होने वाली बात यहां काबिले गौर है. यह बात और है कि यहां ‘वैवाहिक कर्तव्य’ और सेक्सुअल रिलेशन को एक बराबर माना गया. चूंकि हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 19 और स्पेशल मैरिज एक्ट के सेक्शन 22 में वैवाहिक कर्तव्यों की ऐसी ही व्याख्या की गई है. इसी कर्तव्य को हथियार बनाकर अक्सर औरतों को लोग अदालतों में घसीट ले जाते हैं. फिर भी औरत की सहमति की बात करना कोई कम बड़ी बात नहीं है. इसका एक संकेत यह भी है कि सिर्फ शादीशुदा ही नहीं, बिना शादीशुदा औरतों का फैसला भी मान्य होना चाहिए.

तो एक लड़की की रजामंदी के भी मायने हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को भी पुख्ता किया है. हादिया मामले में कहा है कि हादिया क्या चाहती है- उसे भी सुना जाना चाहिए. केरल की हादिया कभी अखिला थी. लेकिन इस्लाम धर्म कबूल करने के बाद उसने एक मुसलमान लड़के से शादी की और हादिया बन गई. पिता को इसमें धार्मिक षडयंत्र की बू आई और वह अदालत पहुंच गए. अदालत ने पिता की तरफ से फैसला सुनाया. मामला बढ़ता गया और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया. अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लड़की की मर्जी सबसे महत्वपूर्ण है. खास बात यह है कि कोर्ट ने यहां तक कह डाला कि लड़की जिससे चाहे प्यार करे- चाहे वह अपराधी हो या कोई और. हमें इससे क्या!

आप किसी उधेड़बुन में मत रहें. सुप्रीम कोर्ट नन्ही बच्चियों की सहमति पर भी मुहर लगा चुका है. कोर्ट कह चुका है कि 15 से 18 साल की नाबालिग बीवी से जबरन संबंध नहीं बनाए जा सकते. बच्ची चाहे तो आपको रेप की दफा में जेल की हवा खिलवा सकती है. इसीलिए हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार हमें जीवन का अधिकार देते हैं- जीवन का अधिकार देह के अधिकार से ही शुरू होता है. उसके लिए किसी वैधता की जरूरत ही कहां हैं.

दरअसल कानून कुछ भी कहें, हमारे समाज का कानून अपना है. हमारे समाज में हर जगह पति की ही मर्जी मानी जाती है. पति से पहले पिता और भाई की. पति ने कहा- खाना यह बनेगा- तो वही बनेगा. पति ने कहा- आज हम बाहर खाएंगे तो बाहर खाने चले गए. फैसला आपका होगा, लेकिन पति की मर्जी के बिना पत्ता भी नही हिलेगा. मोबाइल खरीदना है, कैमरा खरीदना है, ऑनलाइन शॉपिंग करनी हैं- पति की मर्जी का इंतजार रहेगा. हम कौन हैं यह तय करने वाले. फिर कहा जाएगा कि बातचीत को करनी ही चाहिए कोई भी फैसले से पहले. लेकिन पति के फैसले में बीवी की कितनी मंजूरी होगी, इसके कोई मायने नहीं.

हमारे यहां औरत इसलिए आजाद नहीं है, जैसा कि रवायती तौर पर समझा जाता है, क्योंकि हम उसके विवेक पर भरोसा नहीं करते. उसकी सोचने समझने की ताकत पर यकीन नहीं करते. हम उसे कमजोर दिमाग की समझते हैं. इसीलिए उससे खफा हो जाते हैं क्योंकि उसने अपना फैसला अपने आप ले लिया. जो औरतें अपना सेंटर खोजना शुरू होती हैं- प्रताड़ित की जाती हैं. उस सेंटर में आदमी विराजमान हैं. वे चाहते हैं, औरतें उनके इर्द-गिर्द डोलती रहें. जब कोई औरत उनके सख्त हाथों से छूटकर निकल जाती है तो उस बेजान कर देने की कोशिश शुरू हो जाती है. चूंकि उसने सोचने और अपना फैसला खुद लेने की हिमाकत की है. मर्दों की इस कोशिश को सुप्रीम कोर्ट के फैसलों से धक्का लगा है. उम्मीद की जा सकती है कि यह विजय चक्र धीमे-धीमे ही सही आगे बढ़ेगा.

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

'ऐसा एक्शन होगा, जो भविष्य के लिए नज़ीर बनेगा', इंडिगो संकट पर संसद में नागर विमानन मंत्री राम मोहन नायडू की दो टूक
'ऐसा एक्शन होगा, जो भविष्य के लिए नज़ीर बनेगा', इंडिगो संकट पर संसद में राम मोहन नायडू की दो टूक
आदित्य ठाकरे के दावे ने बढ़ाई शिंदे गुट की टेंशन! कहा- '22 विधायक CM फडणवीस के...'
आदित्य ठाकरे के दावे ने बढ़ाई शिंदे गुट की टेंशन, 22 विधायकों को लेकर कही ये बड़ी बात
भारतीय रुपये के मुकाबले किस देश की करेंसी है सबसे कमजोर, किस नंबर पर आता है पाकिस्तानी रुपया?
भारतीय रुपये के मुकाबले किस देश की करेंसी है सबसे कमजोर, किस नंबर पर आता है पाकिस्तानी रुपया?
पलाश के साथ शादी टूटने के बाद पहली बार दिखीं स्मृति मंधाना, क्रिकेटर की फोटो हुई वायरल
पलाश के साथ शादी टूटने के बाद पहली बार दिखीं स्मृति मंधाना, क्रिकेटर की फोटो हुई वायरल
ABP Premium

वीडियोज

Khabar Filmy Hain: Dharmendra को याद कर क्यो रोए सलमान
Saas Bahu Aur Saazish: मंगल- कुसुम जा रहें है जोर्जिया
IT Refund Delay का असली कारण! हजारों Taxpayers के Refund क्यों रुके हैं? |Paisa Live
Amritsar पहुंचीं Cm Rekha Gupta,  दरबार साहिब जाकर टेका  माथा | Breaking | ABP News
Kiyosaki का बड़ा दावा: BRICS ने बनाई Gold Currency! असली सच्चाई क्या है ? Paisa Live

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
'ऐसा एक्शन होगा, जो भविष्य के लिए नज़ीर बनेगा', इंडिगो संकट पर संसद में नागर विमानन मंत्री राम मोहन नायडू की दो टूक
'ऐसा एक्शन होगा, जो भविष्य के लिए नज़ीर बनेगा', इंडिगो संकट पर संसद में राम मोहन नायडू की दो टूक
आदित्य ठाकरे के दावे ने बढ़ाई शिंदे गुट की टेंशन! कहा- '22 विधायक CM फडणवीस के...'
आदित्य ठाकरे के दावे ने बढ़ाई शिंदे गुट की टेंशन, 22 विधायकों को लेकर कही ये बड़ी बात
भारतीय रुपये के मुकाबले किस देश की करेंसी है सबसे कमजोर, किस नंबर पर आता है पाकिस्तानी रुपया?
भारतीय रुपये के मुकाबले किस देश की करेंसी है सबसे कमजोर, किस नंबर पर आता है पाकिस्तानी रुपया?
पलाश के साथ शादी टूटने के बाद पहली बार दिखीं स्मृति मंधाना, क्रिकेटर की फोटो हुई वायरल
पलाश के साथ शादी टूटने के बाद पहली बार दिखीं स्मृति मंधाना, क्रिकेटर की फोटो हुई वायरल
भोजपुरी स्टार पवन सिंह को मिली जान से मारने की धमकी,पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई शिकायत
पवन सिंह को मिली जान से मारने की धमकी,पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई शिकायत
Silent Killer Diseases: साइलेंट किलर होती हैं ये 5 बीमारियां, बिना कोई वॉर्निंग दिए बना लेती हैं अपना शिकार
साइलेंट किलर होती हैं ये 5 बीमारियां, बिना कोई वॉर्निंग दिए बना लेती हैं अपना शिकार
हर साल 1 लाख बच्चे पास, NIOS बना छात्रों का सहारा; जानें कैसा है बोर्ड
हर साल 1 लाख बच्चे पास, NIOS बना छात्रों का सहारा; जानें कैसा है बोर्ड
31 दिसंबर तक जरूर निपटा लें ये जरूरी काम, सरकार बार-बार नहीं देगी मौका
31 दिसंबर तक जरूर निपटा लें ये जरूरी काम, सरकार बार-बार नहीं देगी मौका
Embed widget