एक्सप्लोरर

BLOG : पीछा करना यहां गुनाह नहीं, इसे तो स्टाइलिश समझा जाता है!

लड़कियां ही सारे फसाद की जड़ हैं. उन्हें हंसना नहीं चाहिए- लड़के फांस सकते हैं. उन्हें बोलना नहीं चाहिए- लड़के गालियां उगल सकते हैं. उन्हें बाहर अकेले घूमना नहीं चाहिए- लड़के रेप कर सकते हैं. उन्हें घर पर अकेले नहीं रहना चाहिए- रिश्तेदार रेप कर सकते हैं.

लड़कों डरो क्योंकि ये लड़कियां कभी भी तुम्हें जेल की हवा खिला सकती हैं. तुमने प्यार से पुचकारा नहीं, एकाध बार उनके इर्द-गिर्द चक्कर लगाए नहीं- वो तुम्हें बदनाम कर देंगी. इन दिनों हरियाणा का एक छोरा बदनाम किया जा रहा है. प्यार जाहिर करने की सजा पा रहा है. काश, फिल्मी हीरो होता तो कोई वर्णिका उससे नाराज नहीं होती. नाराज होती तो भी मान जाती. दर्शक मुस्कुराकर कहते- किसी को बहुत शिद्दत से चाहो, तो हर जर्रा तुम्हें उससे मिलाने की साजिश करता है. पीछा करने में क्या है- बिहार के एक माननीय सांसद कह भी चुके हैं, ‘हममें से ऐसा कौन है जिसने कभी किसी का पीछा ना किया हो.‘

पीछा करना हमारे यहां गुनाह नहीं है. कानूनी धाराएं जो कुछ भी कहें पर पीछा करने को हम कभी सीरियसली नहीं लेते. चंडीगढ़ का मामला कौन सा अनोखा है. देश भर में स्टॉकिंग यानी पीछा करने की वारदातें हजारों होती हैं. कितनी घटनाओं की तो पुलिस में रिपोर्ट तक नहीं की जाती. लड़कियां दिलफेंक आशिकों को सह लेती हैं क्योंकि उनकी आदी हो चुकी होती हैं. वर्णिका कुंडू जैसी लड़कियां कम ही होती हैं जो उनका पुरजोर विरोध करती हैं. पीछा किया तो क्या है, कोई कुछ कर तो नहीं रहा. क्योंकि हम हमेशा क्राइम होने का इंतजार करते रहते हैं.

क्राइम होने पर अक्सर विक्टिम को अपराधी बता देते हैं- जींस पहनती है, रात को देर तक घूमती है, शराब पीती है, लड़कों से दोस्ती करती है. इसलिए विक्टिम को कहा जाता है कि तुम संभल कर रहो. देर रात तक बाहर मत रहो. लड़कों से बातचीत मत करो. तंग कपड़े मत पहनो. वरना, हारमोनल विस्फोट का शिकार हो जाओगी.

लड़कियां ही सारे फसाद की जड़ हैं. उन्हें हंसना नहीं चाहिए- लड़के फांस सकते हैं. उन्हें बोलना नहीं चाहिए- लड़के गालियां उगल सकते हैं. उन्हें बाहर अकेले घूमना नहीं चाहिए- लड़के रेप कर सकते हैं. उन्हें घर पर अकेले नहीं रहना चाहिए- रिश्तेदार रेप कर सकते हैं. लड़कियों को कुछ भी नहीं करना चाहिए क्योंकि लड़के इतना कुछ कर सकते हैं. पर लड़के इसीलिए तो बहुत कुछ कर सकते हैं क्योंकि लड़कियों को हम कुछ भी न करने की सीख देते हैं.

हां, उस कानून को सख्त करने की सीख किसी से नहीं लेते, जो स्टॉकिंग को बेलेबल यानी जमानती अपराध बनाए हुए है. स्टॉकिंग आईपीसी के सेक्शन 353 डी के तहत अपराध है. पर इसके लिए सजा कितनी है... दोषी साबित होने पर एक से तीन साल तक की जेल हो सकती है. हां, कोई चाहे तो जमानत पर रिहा हो सकता है. यह पहली बार पीछा करने पर है. जमानत लेने के लिए उसे अदालत जाने की जरूरत भी नहीं. वह पुलिस स्टेशन से सीधा जमानत लेकर छूट सकता है. अगर वही शख्स दूसरी बार पीछा करता हुआ पाया जाता है तो उसे जमानत नहीं मिल सकती लेकिन कोर्ट चाहे तो उसे अपने विवेकाधिकार पर जमानत दे सकता है. मतलब स्टॉकिंग जमानती क्राइम भी है, गैर जमानती भी.

मतलब पहली बार पीछा करने के बाद आप चाहें तो पीड़ित को मजा चखा सकते हैं. ऐसे कितने ही मामले हैं जिसमें लड़की को मजा चखाने के लिए उसका मर्डर कर दिया गया. क्योंकि कानून कहीं यह नहीं कहता कि शिकायत दर्ज करने के बाद पीछा करने वाला शख्स लड़की को अप्रोच नहीं कर सकता, जैसा अमेरिकी कानून में है. वहां स्टॉकर के खिलाफ रीस्ट्रेनिंग ऑर्डर लिया जा सकता है और कहा जा सकता है कि स्टॉकर लड़की के एक किलोमीटर तक के दायरे से बाहर रहेगा. हमारे यहां इन्जंक्शन यानी निषेधाज्ञा ली जा सकती है लेकिन वह रीस्ट्रेनिंग जैसी नहीं होती.

कानूनविद कहते हैं कि रीस्ट्रेनिंग हमारे संविधान के अनुच्छेद 21 के खिलाफ है जो सभी को व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार देता है. फिर प्रोहिबिटिव इन्जंक्शन लेने से हम सिर्फ यह कह सकते हैं कि आप किसी की व्यक्तिगत आजादी में दखल नहीं देंगे. इसके लिए सिविल कोर्ट में अर्जी देनी होती है. पर ऐसा ऑर्डर तभी मिलता है जब आरोपी के खिलाफ कोई क्रिमिनल केस पेंडिंग होता है. ऐसे इन्जंक्शन भी शायद ही कभी दिए जाते हैं. फिर सिविल प्रोसीडिंग्स इतनी थकाऊ होती हैं कि इसे लेकर कौन मगजमारी करे. अगर इन्जंक्शन के ऑर्डर मिल भी जाते हैं तो उन्हें लागू करना बहुत मुश्किल होता है. सो, ये सिर्फ कागज के टुकड़े भर रह जाते हैं. कुल मिलाकर, स्टॉकिंग के खिलाफ कानून बहुत नरम है.

इसे नरम किसने बनाया? हमारे अपने जन प्रतिनिधियों ने. दिल्ली गैंगरेप के बाद 2012 में जस्टिस वर्मा कमिटी ने साफ कहा था कि पीछा करने को नॉन बेलेबल ऑफेंस ही माना जाना चाहिए. इसे सरकार ने माना भी था, पार्लियामेंट की स्टैंडिंग कमिटी ने भी इस पर सहमति की मुहर लगाई थी लेकिन इस पर बिल को लाने से पहले ही होम मिनिस्टर साहब ने एक अध्यादेश लाकर इसे नॉन बेलेबल ऑफेंस ही बने रहने दिया.

समाजवादी पार्टी, आरजेडी, जेडीयू सभी ने शोर मचाया कहा कि अगर स्टॉकिंग नॉन बेलेबल ऑफेंस बना दिया जाएगा तो औरतें आदमियों के खिलाफ इसका मिसयूज करेंगी. फिर उस समय की यूपीए सरकार ने बिल लाकर स्टॉकिंग को बेलेबल और नॉन बेलेबल ऑफेंस, दोनों के बीच खड़ा कर दिया. यानी शोहदे फिर से खुश हो गए.

खुश हो गए तो लड़कियों की शामत आ गई. पिछले कुछ सालों में जमकर लड़कियों का पीछा किया. पुलिसिया आंकड़े कहते हैं कि हर 24 घंटे में कम से कम एक दर्जन लड़कियां स्टॉकिंग की शिकायत करती हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के 2015 के डेटा में बताया गया है कि आईपीसी के सेक्शन 354 डी के तहत अकेले दिल्ली में स्टॉकिंग के 1124 मामले सामने आए. पूरे देश में तो ऐसे 6266 केसेज दर्ज किए गए. यूं केस दर्ज करने से भी खास कुछ होने वाला नहीं. तभी तो 2016 में ही अदालतों में स्टॉकिंग के 84 परसेंट केसेज पेंडिंग थे, सिर्फ 26 परसेंट केसेज में दोष साबित हुआ था और 83 परसेंट में आरोपियों को बेल मिल गई थी.

स्टॉकिंग हमारे यहां स्टाइलिश समझा जाती है. हीरो ‘हंस मत पगली, प्यार हो जाएगा’ गाता है और मोबाइल से चुपचाप लड़की की फोटो लेता जाता है. थक-हारकर हीरोइन गले लग ही जाती है. रील लाइफ को सपना देखने वाले रियल लाइफ में हीरो क्यों नहीं बनना चाहेंगे. वैसे भी उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रेप को लड़कों की जरा सी मिस्टेक बता चुके हैं. फिर विकास बराला ने तो ऐसी मिस्टेक भी नहीं की, वह जेल क्यों जाना चाहेंगे.

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार और आंकड़ें लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Chabahar Port: भारत और ईरान के इस फैसले से पाकिस्तान-चीन को लग जाएगी मिर्ची, जानें क्या है मामला
भारत और ईरान के इस फैसले से पाकिस्तान-चीन को लग जाएगी मिर्ची, जानें क्या है मामला
VIDEO: तेज प्रताप यादव को आया गुस्सा, मंच पर RJD कार्यकर्ता को दिया धक्का, सभी हो गए हैरान
तेज प्रताप को आया गुस्सा, मंच पर RJD कार्यकर्ता को दिया धक्का, सभी हैरान
Lok Sabha Election 2024 Voting Live: बंगाल में सबसे ज्यादा मतदान, कश्मीर में सबसे कम 35.75 फीसदी वोटिंग
बंगाल में सबसे ज्यादा मतदान, कश्मीर में सबसे कम 35.75 फीसदी वोटिंग
LSD नहीं ये थी 'श्रीकांत' एक्टर राजकुमार राव की पहली फिल्म, बस मिला था एक लाइन का डायलॉग
एलएसडी नहीं ये थी राजकुमार राव की पहली फिल्म, बस मिला था एक लाइन का डायलॉग
for smartphones
and tablets

वीडियोज

Sandeep Chaudhary: सरकार बनाने में पूर्वांचल कितना अहम? Loksabha Election 2024 | PM Modi | BreakingSandeep Chaudhary: पूर्वांचल की राजनीति में कौन कितना अहम? संदीप चौधरी को सुनिए | Loksabha ElectionUP में BJP को ज्यादा सीटें निकालना मुश्किल, फील्ड में मौजूद पत्रकारों का आकलन-वरिष्ठ पत्रकार का दावाSandeep Chaudhary का सवाल- रोडशो को इवेंट बनाया गया? वरिष्ठ पत्रकार Pradeep Singh ने दिया जवाब

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Chabahar Port: भारत और ईरान के इस फैसले से पाकिस्तान-चीन को लग जाएगी मिर्ची, जानें क्या है मामला
भारत और ईरान के इस फैसले से पाकिस्तान-चीन को लग जाएगी मिर्ची, जानें क्या है मामला
VIDEO: तेज प्रताप यादव को आया गुस्सा, मंच पर RJD कार्यकर्ता को दिया धक्का, सभी हो गए हैरान
तेज प्रताप को आया गुस्सा, मंच पर RJD कार्यकर्ता को दिया धक्का, सभी हैरान
Lok Sabha Election 2024 Voting Live: बंगाल में सबसे ज्यादा मतदान, कश्मीर में सबसे कम 35.75 फीसदी वोटिंग
बंगाल में सबसे ज्यादा मतदान, कश्मीर में सबसे कम 35.75 फीसदी वोटिंग
LSD नहीं ये थी 'श्रीकांत' एक्टर राजकुमार राव की पहली फिल्म, बस मिला था एक लाइन का डायलॉग
एलएसडी नहीं ये थी राजकुमार राव की पहली फिल्म, बस मिला था एक लाइन का डायलॉग
Baby Hiccups: छोटे बच्चों को आखिर क्यों आती है ज्यादा हिचकी, क्या है इसका कारण और उपाय, जानें क्या कहते हैं डॉक्टर
छोटे बच्चों को आखिर क्यों आती है ज्यादा हिचकी, क्या है इसका कारण?
अखिलेश यादव पर जूते-चप्पल नहीं फूल मालाएं बरसा रहे हैं वीडियो में लोग
अखिलेश यादव पर जूते-चप्पल नहीं फूल मालाएं बरसा रहे हैं वीडियो में लोग
Kidney Transplant: क्या ट्रांसप्लांट के वक्त पूरी तरह हटा देते हैं खराब किडनी, ट्रीटमेंट में कितने रुपये होते हैं खर्च? जानें पूरा प्रोसेस
क्या ट्रांसप्लांट के वक्त पूरी तरह हटा देते हैं खराब किडनी, ट्रीटमेंट में कितने रुपये होते हैं खर्च? जानें पूरा प्रोसेस
देखिए Mahindra XUV 3XO और Tata Nexon के बेस वेरिएंट का कंपेरिजन, जानिए किसे खरीदना होगी बेहतर डील?
देखिए Mahindra XUV 3XO और Tata Nexon के बेस वेरिएंट का कंपेरिजन, जानिए किसे खरीदना होगी बेहतर डील?
Embed widget