क्या फिर मैदान में दिखेंगे बेख़ौफ़ धोनी के हेलीकॉप्टर शॉट्स ?

महेंद्र सिंह धोनी के फैसले ने एक बारगी तो सभी तो हैरत में जाला लेकिन अब उनके फैसले के मायने समझ आने लगे हैं. दरअसल धोनी ऐसे कप्तान हैं जो अपनी "इन्सिटक्ट" पर फ़ैसला लेते हैं. याद कीजिए साल 2007 के टी20 वर्ल्ड कप फाइनल का आखिरी ओवर, धोनी की कप्तानी में वो पहला बडा टूर्नामेंट था. बड़े बड़े गेंदबाज़ टीम में थे लेकिन धोनी ने गेंद थमाई जोंगिदर शर्मा को. ये सही वक्त पर लिया गया एक ऐसा सही फैसला था जिस पर किसी को भी कामयाबी का यकीन नहीं था.
वनडे और टी20 से कप्तानी छोड़ने का धोनी का फैसला भी ऐसा ही है. इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज़ शुरू होने से ठीक पहले अचानक धोनी ने टीम इंडिया की कप्तानी छोड़ दी. धोनी को जो सही लगा, उन्होंने वही किया. वो एक ऐसे खिलाड़ी थे जो कभी माइलस्टोन्स के पीछे नहीं भागे. उन्होंने 199 वनडे मैचों में भारत की कप्तानी की. वो बतौर कप्तान एक और वनडे खेल सकते थे. 200 वनडे मैचों में कप्तानी कर सकते थे. लेकिन धोनी को लगा कि यही सही फैसला है और उन्होंने वही फैसला किया.
बतौर कप्तान धोनी की साख
धोनी भारत के सबसे कामयाब कप्तान हैं. धोनी को पहली बार टी20 टीम की कमान सौंपी गई 2007 टी20 वर्ल्ड कप में इसके बाद धोनी को वनडे टीम की कमान भी सौंप दी गई. साल 2008 में धोनी भारत की टेस्ट टीम के भी कप्तान बन गए. धोनी भारत के इकलौते ऐसे कप्तान हैं जिन्होंने वनडे फॉर्मेट के तीनों बड़े टूर्नामेंट जीते हैं. 2007 में धोनी की कप्तानी में भारत ने टी20 वर्ल्ड कप जीता. 2011 में धोनी ने टीम इंडिया को वनडे क्रिकेट का वर्ल्ड चैम्पियन बना दिया और 2013 में धोनी का कप्तानी में ही भारत ने आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी भी जीती. साल 2010 में टेस्ट क्रिकेट में भी धोनी ने टीम इंडिया को टेस्ट की नंबर एक टीम बना दिया.
विराट के लिए तैयार किया रास्ता
साल 2007 में जब धोनी जब वनडे टीम के कप्तान बने थे तो उनके पास अगले वर्ल्ड कप से पहले पूरे चार साल का वक्त था. इस बीच धोनी ने अपनी टीम के साथ कई प्रयोग किए. कई खिलाड़ियों को आज़माया. बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी में कई कॉम्बिनेशन आज़माए और जब 2011 का वर्ल्ड कप आया तो धोनी के पास अपनी पसंद की एक टीम थी. इस टीम की बदौलत ही धोनी ने भारत को वर्ल्ड कप का खिताब जिताया.
धोनी अब यही मौका विराट कोहली को देना चाहते हैं. विराट अगर वनडे टीम के कप्तान बनते हैं तो अगले वर्ल्ड कप से पहले उनके पास पूरे तीन साल का वक्त है. इस बीच विराट अपनी पसंद की टीमय खिलाड़ियों और कॉम्बिनेश्न के साथ खेल सकते हैं और अगले वर्ल्ड कप तक उनके पास भी उनकी पसंद की एक सेट टीम होगी. विराट के लिए फायदे की बात ये होगी कि इस पूरे वक्त तक एक मेंटर के तौर पर महेन्द्र सिंह धोनी उनके साथ रहेंगे और हो सकता है कि धोनी अगले वर्ल्ड कप में भी टीम इंडिया का हिस्सा रहें...
कप्तानी के दबाव से मिला छुटकारा
कप्तानी का दबाव कम नहीं होता खासकर तब जब आप टीम इंडिया के कप्तान हों. इतना दबाव शायद किसी और कप्तान पर नहीं होता जितना टीम इंडिया के कप्तान पर होता है. हर हार के बाद कप्तानी से इस्तीफा देने की मांग शायद किसी और देश में नहीं होती. धोनी की तेज़ी से सफेद होती दाढ़ी कई बार सुर्खियों में भी रही लेकिन उनकी फिटनेस पर कभी कोई सवाल नहीं उठा. तो क्या ऐसा हो सकता है कि धोनी ने कप्तानी इसलिए छोड़ी ताकि उन पर से दबाव कम हो सके हो भी सकता है.
उन्हें दुनिया की सबसे बेहतरीन फिनिशर माना जाता है लेकिन पिछले कुछ मौकों पर ऐसा हा कि धोनी आसान मैच भी फिनिश नहीं कर पाए. ऐसा भी हुआ कि बैंटिंग औसत 2016 में आधा हो गया. अब धोनी कप्तानी के दबाव से उबर कर एक बार फिर से बल्लेबाज़ी पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हों. वो चाहते हों कि जब वो वनडे और टी20 क्रिकेट से रिटायर हों तो उन्हें दुनिया सबसे बेहतरीन फिनिशर के तौर पर याद करें. एक बार फिर वो मैदान में हेलीकॉप्टर शॉट्स लगा सकें.
क्या बोर्ड पर बढ़ते दबाव का भी फ़ैसले से है कोई रिश्ता ?
धोनी के रिटायरमेंट की वजहों पर कुछ सवाल भी हैं. क्या धोनी ने इसलिए कप्तानी छोड़ी कि अब बीसीसीआई में उन्हें सपोर्ट करने वाला कोई नहीं है? बोर्ड के पूर्व प्रेसीडेंट एन श्रीनिवासन के धोनी फेवरेट हुआ करते थे.आईपीएल में तमाम सवालों के बीच धोनी श्रीनिवासन की टीम चेन्नई सुपरकिगंस के कप्तान थे. उस टीम पर काफी विवाद हुआ उसे आईपीएल से बैन तक कर दिया गया लेकिन श्रीनिवासन और धोनी की नज़दीकियाँ बनी रहीं. लेकिन इसी बीच धोनी की साख पर भी सवाल उठे. बाद में तो खैर श्रीनिवासन को बोर्ड प्रेसीडेंडट के पद से हटना पड़ा.
अब सुप्रीम कोर्ट ने सीधा बीसीसीआई के मामलों में दखल देना शुरू कर दिया है. धोनी को शायद लगने लगा हो कि बीसीसीआई में अब उनके पास ज्यादा सपोर्ट नहीं है. लिहाज़ा उन्हें एक कप्तान के तौर पर नहीं बल्कि एक खिलाड़ी के तौर पर खेलना चाहिए. जिससे वो बिना किसी तनाव के कुछ और साल खेल सकें.
फिलहाल तो सम्मान करिए भारत के महानतम कप्तान के फैसले का और उम्मीद करिए कि कप्तानी के दबाव से बाहर निकलकर जब महेन्द्र सिंह धोनी मैदान में बल्लेबाज़ी के लिए उतरेंगे तो आपको वही धोनी देखने को मिलें जिसे पूरी दुनिया बेहतरीन फिनिशर के तौर पर जानी है.




























