एक्सप्लोरर

अटल जी के बहाने: अस्थि भरा लोटा हुआ देश हमारा आज

हाल में ही 93 वर्ष की अवस्था में दिवंगत हुए भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रशंसकों की संख्या लाखों में नहीं करोड़ों में है. वैचारिक मतभेद अपनी जगह पुख्ता और दुरुस्त हैं लेकिन उनके अजातशत्रु किस्म के व्यक्तित्व और कार्यशैली ने विदेशों में भी अनगिनत चाहने वाले पैदा किए. उनकी वक्तृत्व क्षमता और बीच-बीच में हाथ नचाकर सर झटकने की अदा के श्रोता दीवाने हुआ करते थे. विरोधी दलों के नेताओं के साथ उनका व्यवहार और सबको सम्मान देने की कला उन्हें सर्वप्रिय बनाती थी. समय-समय पर वह अपने दल भाजपा के नेताओं को भी सन्मार्ग दिखाने से नहीं चूकते थे. दंगों के दौरान गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘राजधर्म’ निभाने की सलाह देना उनके न्यायप्रिय होने का परिचायक है. अटल जी का कवि-मन उन्हें राजनीति सिर्फ राजनीति के लिए करने के मार्ग पर चलने से रोकता था. उनके निधन के बाद सहज ही और आवश्यक भी, देश भर में उन्हें सभी पक्षों की ओर से श्रद्धांजलि देने का तांता लगा हुआ है. लेकिन खुद अटल जी ने पक्ष-विपक्ष की दीवारें गिराकर पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन पर जो ऐतिहासिक और मार्मिक श्रद्धांजलि दी थी, वह मिसाल है.

अटल जी के शब्द थे- “मृत्यु निश्चित है, शरीर नश्वर है. वह सुनहरा शरीर जिसे कल हमने चिता के हवाले किया उसे तो खत्म होना ही था...आज भारत माता दुखी हैं, उन्होंने अपने सबसे कीमती सपूत खो दिया... मुख्य किरदार ने दुनिया के रंगमंच से अपनी आखिरी विदाई ले ली है...नेता चला गया है, लेकिन उसे मानने वाले अभी भी हैं...यह परीक्षा का समय है, अगर हम सब खुद को उनके विचारों पर आगे लेकर चले तो समृद्ध भारत के सपने सच कर सकते हैं, विश्व में शांति ला सकते हैं, यह सच में पंडित नेहरू को सच्ची श्रद्धांजलि होगी... यह दुर्भाग्य है कि उनकी सहजता को कमजोरी समझा गया, लेकिन कुछ लोगों को पता था कि वह कितने दृढ़ थे. मुझे याद है मैंने उन्हें एक दिन काफी नाराज होते हुए देखा था, जबकि उनके दोस्त चीन ने सीमा पर तनाव को बढ़ा दिया था...संसद के लिए यह अपूरणीय क्षति है, ऐसा निवासी दोबारा तीन मूर्ति मार्ग पर नहीं आएगा...विचारों के मतभेद के बाद भी उनके विचारों के लिए मेरे अंदर भारी सम्मान है.” क्या हम अटल जी से इतना भी नहीं सीख सकते कि असहमति, विरोधियों और विरोधी विचारों को उचित सम्मान कैसे दिया जाता है? उल्टे हो यह रहा है कि विपक्षी नेताओं की छवि पर कालिख मलने के लिए जनता के अरबों रुपए खर्च किए जा रहे हैं!

अटल जी के प्रति इस देश के हर गली-कूचे में अथक सम्मान की भावना देखी जा सकती है. शायद इसी को भुनाने के लिए बीजेपी ने तय कर लिया कि अपने छोटे-बड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में उनकी अस्थियों को देश की नदियों में प्रवाहित किया जाएगा. दिल्ली में पुराने पार्टी मुख्यालय से पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अपने सभी प्रदेश अध्यक्षों को अटल जी का अस्थि कलश सौंपकर देश भर में यात्रा के लिए रवाना किया था. योगी सरकार उनकी अस्थियों को यूपी के 75 जिलों की लगभग हर छोटी-बड़ी नदी में विसर्जित करने का एलान कर चुकी है. इसके अलावा दिल्ली समेत कई राज्यों में अटल स्मारक बनाने का भी ऐलान किया गया है. बीजेपी शासित राज्यों की राजधानियों में भव्य श्रद्धांजलि सभाएं हो रही हैं. खराब मौसम के बावजूद उनकी अस्थि कलश यात्रा में लोगों का सैलाब उमड़ रहा है. जरूरी नहीं है कि सारे लोग बीजेपी समर्थक ही हों.

भारत के कई समुदायों में मृतक की अंतिम यात्रा गाजे-बाजे के साथ निकालने की परंपरा मौजूद है. लेकिन किसी की मृत्यु को इतना व्यापक तमाशा बनाते कभी देखा-सुना नहीं गया. सपा नेता आजम खान ने तो यहां तक तंज कस दिया कि अगर मरने के बाद खूब सम्मान मिले तो वह आज ही मरना पसंद करेंगे! अपने बड़े-बुजुर्गों को मृत्यु पश्चात उचित सम्मान देने में कोई बुराई नहीं है लेकिन उनके नाम पर थोथे आयोजन देख कर गांव-जवार में लोग कहा करते हैं- ‘जियत न पूछै मही, मरे खवावै दही.’ यानी जब पिता जिंदा था तब पुत्र ने छाछ (मट्ठा) के लिए भी नहीं पूछा और मरने पर पिता के श्राद्ध में लोगों को दही (छप्पन भोग) खिला रहा है. अटल जी की मृत्यु के पहले दस-ग्यारह वर्षों से उनकी कोई खबर नहीं आती थी. वह लगभग वेजीटेबल स्टेट में ही बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल में बने रहे लेकिन उन्होंने क्या मार्गदर्शन दिया और उस पर क्या अमल हुआ, कोई नहीं जान सका. अब जब प्रमुख बड़े राज्यों के विधानसभा चुनाव और उसके आगे आम चुनाव की चुनौती सर पर आन पड़ी है तो बीजेपी को अटल जी की मृत्यु में भी जीत का हथियार नजर आ रहा है. पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू से बराबरी करवाना भी शायद इस आयोजन का उद्देश्य हो क्योंकि नेहरू जी की चिता की भस्म भी आसमान से मातृभूमि पर बिखेरी गई थीं. यहां ध्यान रखना चाहिए कि नेहरू जी ने इस आशय की वसीयत की थी. अटल जी की अंतिम इच्छा कोई नहीं जानता. प्रश्न यह है कि क्या खुद अटल जी अपनी मृत्यु का ऐसा इक्स्ट्रावैंगेजा पसंद करते? उनकी विचारसरणी के अनुसार ऐसा तो कतई नहीं लगता.

अस्थि कलश यात्रा को बूथ लेबल तक पहुंचाने की कोशिश स्पष्ट करती है कि इसे चुनाव प्रचार का बहाना बनाया जा रहा है. पार्टी नेताओं के शोकमग्न होने का पैमाना उसी समय दिख गया था जब छत्तीसगढ़ में दो मंत्री अजय चंद्रकर और वृजमोहन अग्रवाल श्रद्धांजलि कार्यक्रम के दौरान हंसी-ठिठोली करते हुए कैमरे में कैद हो गए. भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान श्रद्धांजलि सभा में कई महिलाओं के साथ ठहाका लगाते देखे गए! अटल जी के परिवारजनों की भी उपेक्षा की जा रही है. ग्वालियर में अटल जी की भतीजी कांति मिश्रा को आयोजन स्थल पर एक टैक्सी तक मुहैया नहीं कराई गई. उन्हें अपने पति ओपी मिश्रा और बेटी कविता तिवारी के साथ ऑटो रिक्शा में घर लौटना पड़ा. बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल हुई दूसरी भतीजी करुणा शुक्ला भी अस्थि कलश यात्राओं के तरीके से बेहद खफा हैं. उनका आरोप है कि पिछले दस वर्षों के दौरान देश में जो चुनाव हुए उनके बैनर-पोस्टर पर अटल जी की तस्वीर तक को जगह नहीं दी गई और अब मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अपनी डूबती नैया देख कर बीजेपी वाजपेयी जी के नाम का सहारा ले रही है! करुणा शुक्ला ने यहां तक कड़वाहट जाहिर की है कि अटल जी ने अपने पूरे जीवन में ये नहीं सोचा था कि चंद स्वार्थी और मौकापरस्त लोगों की राजनीतिक दिव्यांगता उनकी मौत और अस्थियों का भी तमाशा बनाएगी!

इतना ही नहीं, कहीं अस्थि कलश यात्रा शुरू करने के स्थल को लेकर विवाद हो रहा है, तो कहीं नाव पलट जाने से हादसे हो रहे हैं. हरिद्वार में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के जूते ही चोरी हो गए! कई लोगों के मोबाइल फोन और पर्स गायब हो गए! भीषण गर्मी के चलते कई लोगों का स्वास्थ्य बिगड़ गया, एक पत्रकार को तो अस्पताल में भर्ती करना पड़ा. लेकिन अव्यवस्था के बीच भी यात्रा पूरे जोशखरोश के साथ जारी है. अटल जी के जीवन-मूल्यों पर कोई विचार-विमर्श नहीं. उनकी दिखाई राजनीतिक राह पर चलने का कोई उपक्रम नहीं. विपक्ष को दुश्मन न समझ कर उचित आदर देने की सीख लेने का लेशमात्र प्रयास नहीं. अटल जी के नाम पर व्याख्यानमाला चलाकर राजनीतिक शुचिता, गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार पर कोई बहस नहीं. साम्प्रदायिक तनाव पैदा करने में अपनी तरफ से कहीं कोई शिथिलता नहीं. मौजूदा परिवेश पर कवि मित्र बोधिसत्व ने आज ही एक प्रतीकात्मक कविता लिखी है-

अस्थि भरा लोटा हुआ देश हमारा आज. केशरिया से मुंह बंधा, चहुं दिस रावन राज.. डरा हुआ मकबूल है, सहमा है उसमान. वस्त्रहीन मां भारती, तार-तार अभिमान.. गांव-गली सब दग्ध है घर-घर हाहाकार. शासक सौदागर हुए, राजनीति व्यापार.. रातें उज्जवल हो गईं दिन छाया अंधियार जिधर देखिए ठग,हत्यारे भरते हैं हुंकार.. उठते हुए गुबार में काले-दुबले हाथ. बुला-बुला कर कह रहे, आओ मेरे साथ..

लेखक से ट्विटर पर जुड़ने के लिए क्लिक करें-  https://twitter.com/VijayshankarC

और फेसबुक पर जुड़ने के लिए क्लिक करें-  https://www.facebook.com/vijayshankar.chaturvedi

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

ओमान में पीएम मोदी का वेलकम देखकर हिल गया मुस्लिम वर्ल्ड? पाक एक्सपर्ट चिढ़कर बोले- भारत को इतनी तवज्जो और पाकिस्तान...
ओमान में पीएम मोदी का वेलकम देखकर हिल गया मुस्लिम वर्ल्ड? पाक एक्सपर्ट चिढ़कर बोले- भारत को इतनी तवज्जो और पाकिस्तान...
'कहीं नहीं लिखा कि काले कपड़े पहनकर...', नीतीश के सम्मान में BJP मैदान में, हिजाब पर लगेगा बैन? 
'कहीं नहीं लिखा कि काले कपड़े पहनकर...', नीतीश के सम्मान में BJP मैदान में, हिजाब पर लगेगा बैन? 
Osman Hadi Death: 'भारत से बात कर तुरंत...' शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में उबाल, इंकलाब मंच ने दी बड़ी चेतावनी
'भारत से बात कर तुरंत...' शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में उबाल, इंकलाब मंच ने दी बड़ी चेतावनी
8.6 करोड़ रुपये मिलते ही बदला मन? IPL 2026 के लिए यू-टर्न मार सकते हैं जोश इंग्लिश!
8.6 करोड़ रुपये मिलते ही बदला मन? IPL 2026 के लिए यू-टर्न मार सकते हैं जोश इंग्लिश!
ABP Premium

वीडियोज

Nitish Kumar Hijab Controversy: नीतीश का 'हिजाब कांड', जारी है हंगामा | Bihar | Viral Video
SEBI का बड़ा फैसला , Physical Shares, IPO और Debt Market में राहत | Paisa Live
Nitish Kumar Hijab Controversy: हिजाब का सवाल, हिंदू-मुस्लिम वाला बवाल | Bihar | Viral Video
India–Oman FTA Final , Indian कारोबार के लिए Global दरवाज़ा | Paisa Live
IPO Alert: Global Ocean Logistics IPO में Invest करने से पहले जानें GMP, Price Band| Paisa Live

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
ओमान में पीएम मोदी का वेलकम देखकर हिल गया मुस्लिम वर्ल्ड? पाक एक्सपर्ट चिढ़कर बोले- भारत को इतनी तवज्जो और पाकिस्तान...
ओमान में पीएम मोदी का वेलकम देखकर हिल गया मुस्लिम वर्ल्ड? पाक एक्सपर्ट चिढ़कर बोले- भारत को इतनी तवज्जो और पाकिस्तान...
'कहीं नहीं लिखा कि काले कपड़े पहनकर...', नीतीश के सम्मान में BJP मैदान में, हिजाब पर लगेगा बैन? 
'कहीं नहीं लिखा कि काले कपड़े पहनकर...', नीतीश के सम्मान में BJP मैदान में, हिजाब पर लगेगा बैन? 
Osman Hadi Death: 'भारत से बात कर तुरंत...' शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में उबाल, इंकलाब मंच ने दी बड़ी चेतावनी
'भारत से बात कर तुरंत...' शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में उबाल, इंकलाब मंच ने दी बड़ी चेतावनी
8.6 करोड़ रुपये मिलते ही बदला मन? IPL 2026 के लिए यू-टर्न मार सकते हैं जोश इंग्लिश!
8.6 करोड़ रुपये मिलते ही बदला मन? IPL 2026 के लिए यू-टर्न मार सकते हैं जोश इंग्लिश!
Avatar : Fire and Ash Review: शानदार विजुअल्स, कमाल VFX लेकिन कमजोर कहानी और लंबाई ने कर दिया काम खराब
अवतार फायर एंड ऐश रिव्यू: शानदार विजुअल्स, कमाल वीएफएक्स लेकिन कमजोर कहानी
दही की प्लेट में निकला मरा हुआ चूहा, ग्राहक ने ढाबे पर ही बना लिया वीडियो; अब हो रहा वायरल
दही की प्लेट में निकला मरा हुआ चूहा, ग्राहक ने ढाबे पर ही बना लिया वीडियो; अब हो रहा वायरल
Pundrik Goswami Controversy: गार्ड ऑफ ऑनर देने का क्या है नियम, किसे दिया जाता है और किसे नहीं? कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी मामले के बीच जानें जवाब
गार्ड ऑफ ऑनर देने का क्या है नियम, किसे दिया जाता है और किसे नहीं? कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी मामले के बीच जानें जवाब
दिल्ली की खराब हवा में कितना सुरक्षित आपका घर, बैठे-बैठे ऐसे कर सकते हैं टेस्ट
दिल्ली की खराब हवा में कितना सुरक्षित आपका घर, बैठे-बैठे ऐसे कर सकते हैं टेस्ट
Embed widget