सीमांचल तय करेगा कौन बनेगा बिहार का मुख्यमंत्री
उधर तीसरे चरण से पहले दो चीजें हुई है जो बताती हैं कि गठबंधन चुनाव को करीब का मानने लगा है. नीतीश कुमार कहते हैं कि अंत भला तो सब भला. यह कह कर वो एलान करते हैं कि यह उनका आखिरी चुनाव होगा

बिहार विधानसभा चुनाव का अंतिम चरण शुक्रवार को पूरा हो जाएगा. कयास लग रहे हैं कि पहले दो चरण किस के खाते में जा रहे हैं. जानकारों का कहना है कि पहला चरण महागठबंधन के पक्ष में जा सकता है या यूं कहा जाए कि महागठबंधन को हल्की बढ़त हासिल है. लेकिन दूसरे चरण में बीजेपी ने वापसी की है. कुछ जानकारों का मानना है कि दूसरा चरण बराबरी पर छूटना तय है. यानि 94 सीटों में से दोनों गठबंधन के खाते में 45 से 47 सीटे आ सकती हैं. अगर वास्तव में ऐसा ही है तो तीसरा चरण निर्णायक रहने वाला है. तीसरा चरण सीमांचल का इलाका है यहां किशनगंज, अररिया, कटिहार जैसे इलाके आते हैं. यहां मुस्लिम आबादी बड़ी संख्या में है. चालीस फीसद से लेकर 70 फीसद तक. यही वजह है कि बीजेपी ने यहां हिंदू मुस्लिम करने की कोशिश की है. वैसे यहां से औवेसी की पार्टी भी चुनाव लड़ रही है जिसने पहले से ही यहां हिंदू मुस्लिम कर रखा है. पिछले चुनाव में भी औवेसी ने उम्मीदवार खड़े किए थे लेकिन एक प्रतिशत वोट भी नहीं मिला था और न ही कोई सीट लेकिन किशनगंज उपचुनाव में उनका खाता खुला. इसके बाद लोकसभा चुनावों में किशनगंज में उनकी पार्टी दूसरे नंबर पर रही. दो विधानसभा में तो पहले नंबर पर रही. बड़ा सवाल उठता है कि क्या तीसरे चरण में हिंदू मुस्लिम होने से क्या ध्रुवीकरण होगा. अगर हुआ तो किसके पक्ष में होगा.
बीजेपी ने यहां योगीआदित्यनाथ को खासतौर से भेजा. उन्होंने सीएए और एनआरसी की राग छेड़ा. बांग्लादेशियों को बाहर खदेड़ने की बात की है. घुसपैठियों को बाहर भेजने की बात कही है. हालांकि नीतीश कुमार को यह पसंद नहीं आया और उन्होंने इसे बकवास करार दिया लेकिन बीजेपी अपनी तरफ से माहौल बनाने में लगी है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी तीसरे चरण में ही भारत माता की जय की बात कही. साथ ही कहा कि कुछ लोग जय श्रीराम का नारा तक लगाने से रोकते हैं. उधर जानकारों का कहना है कि इन इलाकों में नीतीश कुमार ने जरुर ठीक ठाक काम किया है. मदरसों की हालत सुधारी है. वहां शिक्षक रखे हैं जिन्हें तनख्वाह भी दी जाती है. इसकी याद नीतीश कुमार दिला भी रहे हैं. उधर जमीन पर काम कर रहे रिपोर्टरों से बात हुई तो उनका कहना है कि मुस्लिम टैक्टीकल वोटिंग करने वाला है और जो जीत सकता है उसे वोट देने वाला है. यहां के लोगों को लगता है कि ओवेसी जीत भी गये तो क्या होगा. जरुरत पड़ने पर वोट तेजस्वी के ही काम आएगा लेकिन तेजस्वी समझ रहे हैं कि वोट का बंटवारा उनके लिए खतरनाक साबित हो सकता है.
उधर तीसरे चरण से पहले दो चीजें हुई है जो बताती हैं कि गठबंधन चुनाव को करीब का मानने लगा है. नीतीश कुमार कहते हैं कि अंत भला तो सब भला. यह कह कर वो एलान करते हैं कि यह उनका आखिरी चुनाव होगा. इसके बाद अपने 15 साल के शासन के काम गिनाते हैं. अब इसे क्या कहा जाए. यही कि नीतीश कुमार बैकफुट पर हैं और सहानुभूति का वोट पाने के फेर में है. मोदी को बिहार की जनता के नाम खत लिखना पड़ा है कि विकास के काम तो नीतीश कुमार का अगुवाई वाली सरकार में ही हो सकते हैं. यानि एक , वो नीतीश कुमार के पाले में गेंद डाल रहे हैं. दो , वो नीतीश कुमार से मतभेद होने की खबरों का खंडन कर रहे हैं. लेकिन सवाल उठता है कि क्या यह खत जारी करने में मोदी ने देर तो नहीं कर दी. क्योंकि चिराग पासवान खुद को एनडीए का हिस्सा बताते रहे हैं और नीतीश कुमार की आलोचना करते रहे हैं. उधर बीजेपी के नेता चिराग पासवान के प्रति बहुत कठोर नहीं दिखे हैं. इससे जनता में भी भ्रम की हालत बनी और गठबंधन के कार्यकर्ताओं में भी कन्फयूजन बना हुआ है. जानकारों का कहना है कि जरुरी नहीं है कि दोनों दलों के बीच वोट ट्रांसफर आसानी से हो. अगर ऐसा हुआ तो गठबंधन मुसीबत में पड़ सकता हैं.
लेकिन तेजस्वी यादव भी समतल जमीन पर नहीं है. जंगलराज का नारा चल निकला तो खाट खड़ी हो सकती है लालटेन की रोशनी कमजोर पड़ सकती है. डबल इंजन बनाम जंगलराज के डबल युवराज का मोदी का नारा भी असर कहीं न कहीं दिखा रहा है. खासतौर से बुजुर्गों में और महिलाओं में. कुल मिलाकर बिहार का चुनाव दिलचस्प हो गया है और मध्यप्रदेश जैसा कुछ नतीजा निकल सकता है.
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)




























