![metaverse](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-top.png)
BLOG: पाकिस्तानी सीमा के नजदीक अपनी ताकत दिखाने का आखिर क्या है राज?
![BLOG: पाकिस्तानी सीमा के नजदीक अपनी ताकत दिखाने का आखिर क्या है राज? BLOG: India's first airstrip built in Barmer, Rajasthan near Pakistani border BLOG: पाकिस्तानी सीमा के नजदीक अपनी ताकत दिखाने का आखिर क्या है राज?](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/09/09/740a4ebc900cdc9a07b5f247d9d38339_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
जो लोग ये सोच रहे हैं कि पाकिस्तान के खतरनाक मंसूबों के साथ अफगानिस्तान में बन रही तालिबानी सरकार के लिए भारत क्या रूख अपनाएगा तो उन्हें कल गुरुवार की वे तस्वीरें इसलिए भी जरुर देखनी चाहिए थीं कि भारत ने बिना कुछ बोले दुनिया को अपनी ताकत का अहसास करा दिया है. अन्तराष्ट्रीय कूटनीति की भाषा में इसे उस देश की सैन्य तैयारियों व उसकी ताकत के एक 'ट्रेलर' के रुप में देखा जाता है, जो कल भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान से लगती सीमा के बाड़मेर में अपने लड़ाकू विमानों को एक नेशनल हाईवे पर उतारकर और उड़ाकर दिखाया है. ये संदेश था,उन दोनों मुल्कों के लिए जो आतंक फैलाकर कश्मीर की वादियों पर कब्ज़ा करने का ख्वाब पाले बैठे हैं.देश में ऐसे कई नेशनल हाईवे पर इस तरह की हवाई पट्टी तैयार हो रही हैं,जिन्हें अब इमेरजेंसी वाली स्थिति में उड़ान भरने या उतरने के लिए किसी वायु सेना स्टेशन की दरकार नहीं होगी.
बाड़मेर में बनी पहली एयरस्ट्रिप
दरअसल, ये स्ट्रेटेजिक रणनीति का सबसे अहम पहलू है, जहां अपनी ताकत का प्रदर्शन करने के साथ ही दुश्मन को मनोवैज्ञानिक तरीके से भी ये अहसास कराना होता है कि हमारे मुकाबले तुम कहां खड़े हो. सरकार से जुड़े सूत्र बताते हैं कि राजस्थान के बाड़मेर में नेशनल हाईवे के साथ तीन किलोमीटर लंबी ये हवाई पट्टी बनाने का काम तो काफी पहले ही पूरा हो गया था लेकिन इसके औपचारिक उदघाटन की रस्मी-प्रक्रिया को रायसीना हिल्स से हरी झंडी मिलने का इंतज़ार था. शायद ये देखने के लिए कि अफगानिस्तान में हुए तख्ता पलट का अंजाम क्या होता है और उसमें पाकिस्तान की भूमिका किस हद तक एक विलेन वाली होती है. सारी तस्वीर साफ होने के बाद मोदी सरकार ने नापतौल कर देखा कि यही वो सही वक्त है, जब गरम हुए लोहे पर हथौड़ा चलाते हुए इन दोनों मुल्कों के साथ ही चीन और रुस को भी ये बता दिया जाये कि भारत आज किस मुकाम तक पहुंच चुका है.
'पाकिस्तान ने देखी ताकत'
जाहिर है कि न्यूज़ चैंनलों पर जगुआर और सुखोई जैसे फाइटर प्लेन की तस्वीरें देखकर पाकिस्तान के साथ ही तालिबान भी बौखलाया होगा. हो सकता है कि कल से पाकिस्तान दुनिया के आगे ये भी रोना-गाना शुरु कर दे कि भारत इस क्षेत्र में जंग छेड़ने की तैयारी कर रहा है और बाड़मेर में कल जो कुछ देखा गया,वो उसके युद्धाभ्यास की ही एक झलक थी.ये रोना रोते हुए वो चीन व रूस के सामने जहां खुद को 'बेचारा' बतायेगा तो वहीं इन दोनों देशों से फरियाद भी करेगा कि वे अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए भारत पर दबाव डालें. दोनों मुल्क किस हद तक उसके बहकावे में आएंगे भी या नहीं,ये तो कोई नहीं जानता. लेकिन भारत, अमेरिका व रूस समेत कई यूरोपीय देश चीन की कुटिल चालों की बारीकियां बेहद नजदीक से देख-समझ चुके हैं और अब वे उस पर आंख मूंदकर भरोसा तो बिल्कुल ही नही करेंगे.
'देखना होगा रूस का रुख'
अब सवाल उठता है कि ऐसी सूरत में रुस क्या करेगा क्योंकि दुनिया के तमाम मीडिया में ये ढिंढोरा पीटा जा रहा है कि वो तालिबान के प्रति बेहद नरम रुख अपनाए हुए है. लेकिन रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार को ये साफ कर दिया है कि वो कभी नहीं चाहेंगे कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंक फैलाने या नशे की तस्करी के लिये हो. उन्होंने ये बयान देकर एक तरह से भारत के ही रूख को और मजबूत किया है. लेकिन पाकिस्तान के अलावा तालिबान की अंतरिम सरकार को भला ये कैसे रास आएगा क्योंकि वे तो अमेरिका के खिलाफ इस लड़ाई में रुस से हर तरह की मदद मिलने का ख्वाब पाले बैठे हैं.
क्या भारत का साथ देगा रूस?
लेकिन कूटनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि तालिबान के मसले पर रुस यही चाहेगा कि वो इसमें भारत का साथ दिखाई देता नज़र आये क्योंकि उसे पता है कि चीन आखिर क्यों तालिबानी सरकार की मदद के लिए इतना उतावला हो रहा है और उसके मंसूबे क्या हैं.उस लिहाज़ से अगर देखें, तो रूस के इस रुख को भारत की कूटनीतिक जीत माना जा सकता है. हालांकि कुछ विश्लेषक मानते हैं कि फिलहाल ये कहना भी अभी जल्दबाज़ी इसलिये होगी क्योंकि रुस भी पहले अपने हितों को ही तवज़्ज़ो देगा. वे कहते हैं कि अन्तराष्ट्रीय मंच पर आकर किसी राष्ट्र प्रमुख का बोलना अलग बात है लेकिन जमीनी हकीकत में वो उस पर कितना अमल करता है,ये देखना जरुरी है जिसके लिए हमें इंतज़ार करना होगा.
सिर्फ 19 महीनों में बनी एयरस्ट्रिप
वैसे बाड़मेर की इस कामयाबी से दुश्मन देशों को भारत के प्रति मिर्ची लगना इसलिये भी स्वाभाविक है कि कोरोना महामारी के बावजूद इस इमरजेंसी हवाई पट्टी को महज 19 महीनों में अंजाम दे दिया गया. इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का ये कहना भी बेहद मायने रखता है कि,"रक्षा और विकास एक दूसरे के पूरक हैं. मौजूदा मोदी सरकार ने उस पुरानी धारणा को बदल दिया है जिसमें ये माना जाता था कि अगर रक्षा पर खर्च करेंगे तो उससे देश का विकास रूक जाएगा."पाकिस्तानी सीमा के करीब नेशनल हाईवे पर बनाई गई ये देश की पहली इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड यानी ईएफएल है,जो किसी भी कठिन हालात में दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने के मकसद से ही तैयार की गई है.
'हवाई पट्टी के तौर पर इस्तेमाल हो सकेंगे हाईवे'
दरअसल, युद्ध के हालात में दुश्मन देश की वायुसेना सबसे पहले एयर-बेस और हवाई पट्टियों को ही अपना निशाना बनाती है.भविष्य में होने वाले ऐसे खतरों से निपटने के लिए ही मोदी सरकार ने नेशनल हाईवे और एक्सप्रेस-वे पर वायुसेना के ऑपरेशन्स यानि लैंडिंग और टेक-ऑफ करने के लिए ही ये ईएफएल बनाई है. परिवहन मंत्रालय देश में अब ऐसे ही राष्ट्रीय राजमार्म और एक्सप्रेस-वे तैयार कर रहा है जिन्हें एयर-स्ट्रीप यानि हवाई पट्टी के तौर पर इस्तेमाल किया जा सके. देश के सीमावर्ती राज्यों के ऐसे कई हाईवे पर इन्हें बनाने का काम चल रहा है,जिन पर जरूरत पड़ने पर वायुसेना के ऑपरेशन्स को अंजाम दिया जा सके.युद्ध के समय यही हाईवे हमारी वायुसेना के लिए सबसे बड़ी ताकत बनेंगे.
नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![metaverse](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![डॉ. सब्य साचिन, वाइस प्रिंसिपल, जीएसबीवी स्कूल](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/045c7972b440a03d7c79d2ddf1e63ba1.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)