एक्सप्लोरर

निरर्थक है धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग की रिपोर्ट, भारत को भरोसा है अपनी समावेशी संस्कृति पर

धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग की 2025 की रिपोर्ट पक्षपातपूर्ण और राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है. भारत की बहुलतावादी धार्मिक-सामाजिक संरचना को समझे बिना रिपोर्ट जारी करने की प्रवृत्ति अमेरिकी सत्ता प्रतिष्ठान की संकीर्ण मानसिकता को दर्शाती है. भारत ने न केवल इस रिपोर्ट को खारिज किया है बल्कि अमेरिकी आयोग को ही चिंता का विषय करार दिया है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस रिपोर्ट की आलोचना करते हुए कहा है कि लोकतंत्र और सह-सहिष्णुता के प्रतीक के रूप में भारत की स्थिति को कमजोर करने के ऐसे प्रयास सफल नहीं होंगे. देश की सर्वधर्म समभाव वाली विरासत को नकारते हुए रिपोर्ट में अलग-अलग घटनाओं को गलत तरीके से प्रस्तुत करने की कोशिश की गयी है. इससे स्पष्ट होता है कि इस रिपोर्ट में धार्मिक स्वतंत्रता के लिए वास्तविक चिंता नहीं व्यक्त की गयी है बल्कि भारत के जीवंत बहु-सांस्कृतिक समाज पर संदेह करने की सोच को प्रोत्साहित किया गया है.

अल्पसंख्यकों के साथ भारत में भेदभाव नहीं

जिस मुल्क में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य सर्वोच्च संवैधानिक पद को सुशोभित कर चुके हैं वहां अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव की बातें करना व्यावहारिक रवैया नहीं माना जा सकता. रिपोर्ट का एक अन्य विशेष पहलू यह है कि इसमें भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) की भी चर्चा है. इस प्रतिष्ठित खुफिया एजेंसी पर आरोप लगाया गया है कि यह अमेरिका व कनाडा में सिख अलगाववादी नेताओं की हत्या की साजिश में शामिल है. इस मनगढ़ंत आरोप के सहारे रॉ पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गयी है.

जस्टिन ट्रूडो के प्रधानमंत्रित्वकाल में कनाडा सिख अलगाववादियों का सबसे बड़ा केंद्र बन गया. ट्रूडो के विरोधी भी मानते हैं कि उन्होंने जान-बूझ कर सिख अलगाववाद को प्रश्रय दिया ताकि उन्हें इस समुदाय का वोट मिल सके. हालांकि हकीकत यह है कि वहां बसे ज्यादातर सिखों को खालिस्तानी विचारधारा से कोई मतलब नहीं है. अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद कनाडा की ट्रूडो सरकार ने भारत सरकार पर आरोप लगाया था जिसके परिणामस्वरूप भारत-कनाडा के रिश्तों में तल्ख़ी आ गयी है.

सत्ता परिवर्तन के बाद कनाडा में निज्जर केस के मामले में कोई हलचल नहीं हो रही है. नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी  की पहली प्राथमिकता घरेलू समस्याओं को सुलझाना है. 2025 में दोनों देशों - कनाडा और अमेरिका - में सत्ता परिवर्तन ही नहीं बल्कि नीतिगत बदलाव भी हुआ है. डोनाल्ड ट्रंप अब कनाडा को अपना 51 वां राज्य बनाना चाहते हैं. इस मसले पर तो तय है कि कनाडा में बेचैनी होगी ही. लेकिन भारत विरोधी एजेंडे पर अगर दोनों उत्तर अमेरिकी देश एकमत होंगे तो आश्चर्यचकित होने की जरूरत नहीं है. अमेरिकी धार्मिक स्वतंत्रता आयोग की रिपोर्ट को प्रभावी नहीं माना जा सकता है क्योंकि खुद संयुक्त राज्य अमेरिका की हुकूमत अपनी सुविधा के अनुसार धर्म आधारित शासन प्रणाली का समर्थन करती रही है.

अमेरिका अपनी कूटनीति में व्यस्त

फिलहाल बांग्लादेश का घटनाक्रम यह सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है कि चुनी हुई सरकार को धर्मांध आंदोलनकारियों के द्वारा हटाये जाने की प्रक्रिया में अमेरिका किस तरह से कूटनीतिक रुख अख्तियार कर रहा है. शेख हसीना को अपना मुल्क छोड़ना पड़ा लेकिन किसी यूरोपीय देश ने उन्हें अपने यहां शरण नहीं दी. नोबेल पुरस्कार विजेता मो यूनुस कट्टरपंथियों के हाथों का खिलौना बन चुके हैं. हिंदूओं पर हमलों का सिलसिला अभी रुका नहीं है. पश्चिम एशियाई मुल्कों में लोकतांत्रिक मूल्यों के हिमायती हुक्मरानों को ढूंढना एक जोखिमभरा काम हो सकता है. इस रेगिस्तान में लोकतांत्रिक विचार नहीं मिलेंगे. लेकिन अमेरिकी हस्तक्षेप हरेक जगह देखने को मिलेगा. जिन तानाशाहों ने अमेरिकी प्रभुत्व को स्वीकार कर लिया उनकी बादशाहत कायम रही और जिन्होंने आँखें तरेरी वे मिटा दिये गये.

भारतीय जनमानस शांतिपूर्ण सहअस्तित्व का पक्षधर है, इसलिए उपमहाद्वीप के विभाजन व आजादी के पश्चात् यहां धर्मनिरपेक्षता की बयार से माहौल खुशनुमा होता गया. इसके ठीक विपरीत मोहम्मद अली जिन्ना जिस विचारधारा के प्रतिनिधि थे उसके अनुयायी आज भी अपने वजूद की रक्षा के लिए आठवीं शताब्दी के आक्रमणकारी मोहम्मद बिन कासिम की सिंध विजय की दास्तानों पर निर्भर हैं. पाकिस्तान में नस्ली सफाई के कारण ही वहां अल्पसंख्यक समुदायों की आबादी घट गयी है. सरहद के उस पार सियासत को नई दिशा देने वाला कोई नहीं है. जिन्ना के "डायरेक्ट एक्शन डे" जैसे कार्यक्रम के बाद एक खुशहाल समाज वाले पाकिस्तान की कल्पना करना आत्मछल ही होगा.

अमेरिका अब पाकिस्तान का सरपरस्त नहीं

पाकिस्तान में अमेरिका संरक्षक की भूमिका में रहा है. जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी के फंदे पर पहुंचाने वाला सैन्य तानाशाह जिया उल हक अमेरिका का भरोसेमंद साथी था. अफ़ग़ानिस्तान में अपने दुश्मनों को सबक सिखाने के लिए अमेरिका ने पाकिस्तान की सरजमीं का बखूबी इस्तेमाल किया. इसलिए वह पाकिस्तानी हुक्मरानों द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों पर किए गए अत्याचारों की अनदेखी करता रहा. लैटिन अमेरिकी देशों में अमेरिकी दखल का इतिहास प्रेरणादायी नहीं डरावना है.

भारत में नागरिकों के मौलिक अधिकार सुरक्षित हैं. न्यायपालिका सशक्त है. संविधान के अनुच्छेद 32 के अंतर्गत नागरिक अपने अधिकारों की रक्षा हेतु सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालयों की शरण ले सकता है. यहां न्यायपालिका इतनी शक्तिशाली है कि यह व्यवस्थापिका या कार्यपालिका के ऐसे सभी कानूनों और कार्यों को अवैधानिक घोषित कर सकती है जो मौलिक अधिकारों को अनुचित रूप से प्रतिबंधित करते हों. अनुच्छेद 14, 15 एवं 16 में कानून के समानता व विधि के समान संरक्षण का आश्वासन दिया गया है और किसी व्यक्ति के धर्म, जाति, मूलवंश आदि के आधार पर भेदभाव करना वर्जित ठहराया गया है. इसके अतिरिक्त अनुच्छेद 25, 26, 27, 28, 29 एवं 30 के माध्यम से भारत के अल्पसंख्यक समुदायों की विशिष्ट स्थिति को स्वीकार किया गया है. बहुधर्मी भारत में हिंदू ही नहीं बल्कि मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी एवं अन्य कई समुदायों के लोग भी ससम्मान रहते हैं. पाकिस्तान एवं बांग्लादेश के विपरीत भारत में अल्पसंख्यक समुदायों की जनसंख्या में वृद्धि हुई है.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.] 

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

Indigo CEO Summoned: DGCA के सामने पेशी से पहले IndiGo के CEO ने मांगी एक दिन की मोहलत, इन सवालों के देने होंगे जवाब
DGCA के सामने पेशी से पहले IndiGo के CEO ने मांगी एक दिन की मोहलत, इन सवालों के देने होंगे जवाब
राहुल गांधी के चुनाव आयोग पर कब्जा वाले बयान पर उपेंद्र कुशवाहा बोले, 'अगर कोई...'
RSS पर राहुल गांधी के बयान पर उपेंद्र कुशवाहा की प्रतिक्रिया, जानें क्या बोले?
SIR पर जोरदार बहस, वकील ने चुनाव आयोग के अधिकारों पर उठाए सवाल तो सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती से पूछा- तो क्या संदिग्ध लोगों को...
SIR पर जोरदार बहस, वकील ने चुनाव आयोग के अधिकारों पर उठाए सवाल तो सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती से पूछा- तो क्या संदिग्ध लोगों को...
कब और कहां खेला जाएगा भारत-दक्षिण अफ्रीका के बीच दूसरा टी20? जानें मैच टाइमिंग समेत लाइव स्ट्रीमिंग डिटेल्स
कब और कहां खेला जाएगा IND vs SA दूसरा टी20? जानें मैच टाइमिंग समेत लाइव स्ट्रीमिंग डिटेल्स
ABP Premium

वीडियोज

IndiGo Crisis:  इंडिगो पर सरकार का ताबड़तोड़ एक्शन, अब यात्रियों को नहीं होगी परेशानी! #indigoupdate
Aniruddhacharya Controversy:  ज्ञानी बाबा पर कोर्ट लगाएगी क्लास, अब तो माफी मांगनी पड़ेगी!
Goa Nightclub Fire:  लूथरा ब्रदर्स का थाईलैंड पार्टी पुलिस ने ऐसे किया EXPOSE
Aniruddhacharya Controversy: महिलाओं का अपमान करना कब बंद करेंगे बाबा?
UP News: यूपी BJP चीफ का नाम फाइनल, इस दिन होगी अनाउंसमेंट | UP BJP Chief

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Indigo CEO Summoned: DGCA के सामने पेशी से पहले IndiGo के CEO ने मांगी एक दिन की मोहलत, इन सवालों के देने होंगे जवाब
DGCA के सामने पेशी से पहले IndiGo के CEO ने मांगी एक दिन की मोहलत, इन सवालों के देने होंगे जवाब
राहुल गांधी के चुनाव आयोग पर कब्जा वाले बयान पर उपेंद्र कुशवाहा बोले, 'अगर कोई...'
RSS पर राहुल गांधी के बयान पर उपेंद्र कुशवाहा की प्रतिक्रिया, जानें क्या बोले?
SIR पर जोरदार बहस, वकील ने चुनाव आयोग के अधिकारों पर उठाए सवाल तो सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती से पूछा- तो क्या संदिग्ध लोगों को...
SIR पर जोरदार बहस, वकील ने चुनाव आयोग के अधिकारों पर उठाए सवाल तो सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती से पूछा- तो क्या संदिग्ध लोगों को...
कब और कहां खेला जाएगा भारत-दक्षिण अफ्रीका के बीच दूसरा टी20? जानें मैच टाइमिंग समेत लाइव स्ट्रीमिंग डिटेल्स
कब और कहां खेला जाएगा IND vs SA दूसरा टी20? जानें मैच टाइमिंग समेत लाइव स्ट्रीमिंग डिटेल्स
पॉपुलर एक्ट्रेस कृतिका कामरा ने कंफर्म किया रिलेशनशिप, क्रिकेट होस्ट को कर रहीं डेट
पॉपुलर एक्ट्रेस कृतिका कामरा ने कंफर्म किया रिलेशनशिप, क्रिकेट होस्ट को कर रहीं डेट
Kidney Damage Signs: आंखों में दिख रहे ये लक्षण तो समझ जाएं किडनी हो रही खराब, तुरंत कराएं अपना इलाज
आंखों में दिख रहे ये लक्षण तो समझ जाएं किडनी हो रही खराब, तुरंत कराएं अपना इलाज
छात्रों के लिए बड़ा मौका, RBI में पा सकते हैं इंटर्नशिप; ये है अप्लाई करने की आखिरी तारीख
छात्रों के लिए बड़ा मौका, RBI में पा सकते हैं इंटर्नशिप; ये है अप्लाई करने की आखिरी तारीख
मौत के बाद हिंदुओं में की जाती है तेरहवीं, मुस्लिमों में क्या है रिवाज?
मौत के बाद हिंदुओं में की जाती है तेरहवीं, मुस्लिमों में क्या है रिवाज?
Embed widget