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सेना में भर्ती का ये तरीका कहीं सरकार के लिए ही 'अग्निपथ' न बन जाये?

Army Recruitment Plan: देश के युवाओं को चार साल के लिए सेना में भर्ती (Army Recruitment) करने के लिए मोदी सरकार ने 'अग्निपथ स्कीम (Agnipath Scheme)' की शुरुआत की है. सरकार बेशक इसे ऐतिहासिक फैसला बताते हुए दावा कर रही है कि इस योजना से तीनों सशस्त्र सेनाओं में बड़ा बदलाव आयेगा. लेकिन रक्षा विशेषज्ञों की राय इसके उलट है और वे इसे सेना में भर्ती का सही विकल्प नहीं मानते. उनके मुताबिक एक सैनिक को पूरी तरह से तैयार होने में सात-आठ साल का वक़्त लग जाता है. ऐसे में, इस स्कीम के जरिये सेना में भर्ती करने वाले इन युवाओं को महज छह महीने की ट्रेनिंग देकर सरकार अगर ये उम्मीद कर रही है कि वे बेहतर जवान साबित हो सकते हैं, तो ये एक बड़ी ग़लतफ़हमी है. चार साल के लिये जो युवा सेना में आयेगा, वह एक तरह से मेहमान सैनिक ही कहलायेगा और दुनिया में कहीं भी कोई जंग मेहमान सैनिकों के भरोसे नहीं जीती जाती.

हालांकि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने मीडिया को अग्निपथ योजना के बारे में बताते हुए कहा कि भारतीय सेना को विश्व की बेहतरीन सेना बनाने की दिशा में ही सरकार ने ये ऐतिहासिक निर्णय लिया है. उन्होंने ‘अग्निपथ’ योजना को एक ट्रांसफॉर्मेटिव योजना बताया जो सशस्त्र सेनाओं यानि थलसेना, वायुसेना और नौसेना में बड़े बदलाव लेकर आएगी, जिसके चलते सेनाएं पूरी तरह आधुनिक और बेहद ही सुसज्जित बन जाएंगी.

लेकिन हमारे रक्षा विशेषज्ञ इससे इत्तिफाक नहीं रखते और मानते हैं कि इससे आने वाले समय में देश की सुरक्षा को खतरा भी हो सकता है. रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल शंकर प्रसाद कहते हैं कि सरकार को भले ही इसमें कुछ फायदा दिख रहा हो. हो सकता है कि सरकार को इसमें पैसे का फायदा दिख रहा है कि वेतन भी कम देना पड़ेगा और पेंशन भी नहीं देनी होगी. लेकिन ये भी याद रखना होगा कि हम युद्ध के लिए फौज तैयार करते हैं जिससे युद्ध जीत सके. युद्ध में हम रनर अप नहीं बन सकते हमें विनर बनना पड़ेगा, तभी हम देश की सुरक्षा कर सकते हैं.

इसे अग्निपथ योजना की बड़ी खामी माना जा रहा है कि इसके तहत सेना में भर्ती मात्र चार साल के लिए होगी. इन चार साल के दौरान उन्हें अग्निवीर के नाम से जाना जाएगा. चार साल बाद सैनिकों की सेवाओं की समीक्षा की जाएगी. समीक्षा के बाद 25 प्रतिशत अग्नि वीरों की सेवाएं आगे बढ़ाई जाएंगी. बाकी 75 प्रतिशत को रिटायर कर दिया जाएगा.

रक्षा विशेषज्ञ पीके सहगल कहते हैं कि जब कोई आर्मी या दूसरी फोर्सेस से रिटायर होता है और आम जीवन जीने आता है, तो उन्हें सिवा गार्ड के कोई और बेहतर नौकरी नहीं मिलती. तब ऐसे अग्निवीरों को आसानी से रेडीक्लाइज़ किया जा सकता है. यानी आसानी से इन्हें किसी दूसरे कामों में लगाया जा सकता है. ऐसी सूरत में ये देश के लिए चुनौती साबित हो सकते हैं. दूसरी बात ये कि इन जवानों को बाद में महसूस होगा कि चार साल तक इनका इस्तेमाल किया गया और फिर एक सर्टिफिकेट हाथ में थमाकर हाशिये पर फेंक दिया गया. तब वे कुंठा व निराश का शिकार होंगे और कोई भी गलत कदम उठाने के लिए आसानी से तैयार हो जाएंगे.

अधिकांश रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि देश में बढ़ती हुई बेरोजगारी से निपटने और विपक्षी दलों के आरोप का जवाब देने के लिए सरकार ये स्कीम (Agnipath Scheme) तो ले आई लेकिन खतरा इस बात का है कि कहीं ये सरकार के लिये ही ‘अग्निपथ' न साबित हो जाए?

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

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