Car Crash Test: कैसे होता है कार क्रैश टेस्ट, किस आधार पर तय होती है सेफ्टी रेटिंग? विस्तार से समझिये पूरा प्रोसेस
किसी भी वाहन के बारे में ये पता करने के लिए कि वो कितना सेफ है, क्रैश टेस्ट ही वो तरीका है जिससे इस बात का पता लगाया जाता है. फिर उसी जानकारी के आधार पर उस वाहन को सेफ्टी रेटिंग दी जाती है.

Car Safety Rating Process: कार सेफ्टी रेटिंग आज के समय में एक कॉमन शब्द हो गया है. इसका जिक्र कहीं न कहीं सुनने को मिल ही जाता है. खासकर तब, जब आप कार के शोरूम जाएं या किसी दुर्घटना आदि के समय. लेकिन बहुत कम लोगों को ही इस बात की जानकारी होती है, कि आखिर किसी भी वाहन की सेफ्टी रेटिंग किस आधार पर तय होती है. इसलिए आज हम आपको इस के बारे में विस्तार से जानकारी देने जा रहे हैं.
कार क्रैश टेस्ट
किसी भी वाहन के बारे में ये पता करने के लिए कि वो कितना सेफ है, क्रैश टेस्ट ही वो तरीका है जिससे इस बात का पता लगाया जाता है. फिर उसी जानकारी के आधार पर उस वाहन को सेफ्टी रेटिंग दी जाती है. क्रैश टेस्ट करने के लिए दुनियाभर में कई संस्थाएं हैं जो गाड़ियों कि क्रैश टेस्टिंग करती है और गाड़ियों को रेटिंग देती हैं. क्रैश टेस्ट में बच्चों और एडल्ट दोनों को अलग-अलग रेटिंग दी जाती है.
ये संस्थाएं करती हैं कार क्रैश टेस्ट
कार क्रैश टेस्ट करने वाली संस्थाएं दुनिया के कई देशों में मौजूद हैं. जैसे- ऑस्ट्रेलियन न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (ANCAP), ऑटो रिव्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (ARCAP), यूरोपीय न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (Euro NCAP), अलज़ाइमाइनर डॉयचर ऑटोमोबाइल-क्लब-जर्मनी (ADAC), जापान न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (JNCAP), लैटिन न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम-लैटिन अमेरिका(लैटिन NCAP), चीन न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (C-NCAP) लेकिन भारत में बिकने वाली कारें ज्यादातर ग्लोबल NCAP और यूरो NCAP रेटिंग वाली कारें ही होती हैं.
क्या है ग्लोबल न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (G-NCAP)
Global NCAP यानि न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम की शुरुआत 1978 में अमेरिका में की गयी थी. इसका उद्देश्य लोगों को कार क्रैश टेस्ट की जानकारी देना था. हालांकि अब G-NCAP यूके में रजिस्टरड एक स्वतंत्र संस्था है, जिसकी शुरुआत 2011 में हुई थी.
इसके अंतर्गत सबसे पहले कार के जरुरी हिस्से को जांचा जाता है, जिसमें फ्रंट और साइड का हिस्सा अहम होता है. भारत की गाड़ियों के लिए क्रैश टेस्ट की स्पीड 56 किमी/घंटे की होती है.
एडल्ट-चाइल्ड ऑक्युपेंट
एडल्ट ऑक्युपेंट क्रैश टेस्ट में सेफ्टी का मुख्य आधार हेड और नेक, चेस्ट-घुटना, फीमर और पेल्विस जैसे शरीर के हिस्से होते हैं.
वहीं बच्चों के लिए सेफ्टी टेस्ट में 18 महीने से 3 साल तक के बच्चे को मानक मानकर क्रैश टेस्ट किया जाता है. क्रैश टेस्ट के दौरान गाड़ी में चाइल्ड और एडल्ट दोनों की ही डमी का प्रयोग किया जाता है.
यह भी पढ़ें- 'डेड बॉडी' के जरिए होगा बच्चा! क्या है बच्चा पैदा करने का ये फॉर्मूला, जो पलटेगा कुदरत का कानून
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL





















