सूर्य का मिथुन में गोचर, 2025 में राजनीति, मौसम और दुनिया पर क्या होगा असर?
Surya Gochar 2025: सूर्य का गोचर ज्योतिष में विशेष महत्व रखता है, 15 जून को सूर्य ने मिथुन राशि में प्रवेश किया है. वर्तमान समय में ग्रहों की चाल विशेष है ऐसे में सूर्य का राशि परिवर्तन क्या प्रभाव डालेगा, जानते हैं.

Surya Gochar 2025: 15 जून से 22 जुलाई 2025 के बीच सूर्य का मिथुन राशि में गोचर भारतीय राजनीति, मौसम और वैश्विक कूटनीति में बड़ी हलचल ला सकता है. यह समय शासकों के लिए परीक्षा की घड़ी है और जनता के लिए राहत और असंतोष दोनों का संकेत.
सूर्य देव मिथुन राशि में प्रवेश कर चुके हैं, जिससे देश, राजनीति और मौसम तीनों पर गहरा असर देखने को मिलेगा. सूर्य को ज्योतिषशास्त्र में नवग्रहों का राजा कहा गया है और उनका हर राशि परिवर्तन, जिसे संक्रांति कहा जाता है, एक बड़ा खगोलीय और ज्योतिषीय संकेत होता है.
सूर्य गोचर का ज्योतिषीय महत्व पर ज्योतिष ग्रंथ बृहज्जातक में स्पष्ट लिखा है-'सूर्य आत्मा जगतस्तस्थुषश्च'
अर्थात् सूर्य समस्त चराचर जगत की आत्मा हैं. जन्मकुंडली में सूर्य का बलवान होना व्यक्ति को प्रभावशाली, सम्मानित और नेतृत्वशाली बनाता है. वहीं यदि सूर्य नीच या अस्त हों, तो आत्मबल, निर्णय क्षमता और समाज में प्रतिष्ठा को क्षति होती है.
सूर्य का मिथुन राशि में गोचर: त्रिग्रही योग और राजनीति
गोचर तिथियां
- 15 जून 2025: सूर्य वृषभ से मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे
- 22 जून 2025: सूर्य आद्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे (राहु स्वामी)
प्रमुख ग्रह स्थिति
- मिथुन राशि में: गुरु + बुध + सूर्य = त्रिग्रही योग
- सिंह राशि में: मंगल + केतु = अंगारक योग
- मिथुन में गुरु अस्त: राहु-प्रधान नक्षत्र में होने से नीति-व्यवस्था में उलटफेर
राजनीतिक संकेत
- विपक्षी दल सत्ताधारी दलों का समर्थन कर सकते हैं, गठबंधन की नई पटकथा लिखी जा सकती है
- कुछ राज्यों में छोटी पार्टियों का विलय संभव है
- सत्ता पक्ष को जनता से नाराजगी झेलनी पड़ सकती है, प्रदर्शन, असंतोष और नीति विरोध के योग
- सूर्य-बुध युति राजनीति में शब्द-युद्ध को बढ़ाती है, लेकिन गुरु के अस्त होने से बुद्धि पर ग्रहण लग सकता है.
सूर्य गोचर और मौसम पर असर
सूर्य का गोचर और आद्रा नक्षत्र में प्रवेश मौसम में बड़ा बदलाव लाता है. आद्रा नक्षत्र को 'वर्षा का द्वार' कहा गया है.
संभावित प्रभाव
- 22 जून के बाद मानसून सक्रिय होगा, कई क्षेत्रों में भारी वर्षा
- कुछ राज्यों में तेज गर्मी और लू चलने की संभावना
- भूकंप, भूस्खलन और प्राकृतिक आपदा के योग, खासकर पहाड़ी इलाकों में
- जलवायु परिवर्तन के लिए यह समय निर्णायक हो सकता है, वायुमंडल में अस्थिरता बढ़ेगी
बृहत्संहिता में बताया गया है कि 'रवौ वर्षासु वृष्टिर्भवति' अर्थात जब सूर्य आद्रा में जाते हैं तो वर्षा के योग बनते हैं.
वैश्विक और कूटनीतिक संकेत
- मंगल-केतु की दृष्टि राहु पर पड़ने से विदेश नीति में उथल-पुथल संभव
- डिप्लोमैटिक रिलेशन सुधरेंगे, लेकिन आंतरिक असंतोष और विरोध प्रदर्शन भी संभव
- सौर उर्जा, पर्यावरण और तकनीकी नीतियों में नया बदलाव देखने को मिल सकता है
Disclaimer: यह विश्लेषण वैदिक ज्योतिष पर आधारित है, इसका उद्देश्य पाठकों को ग्रहों की संभावित प्रभाव की जानकारी देना है. निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की राय अवश्य लें.
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Source: IOCL



















