Grahan Impact: सितंबर 2025 में दो ग्रहण, चंद्रमा और सूरज की छाया से कॉर्पोरेट दुनिया क्यों कांप उठेगी?
Grahan Impact: 7 और 21 सितंबर 2025 को लगने वाले चंद्र और सूर्य ग्रहण कॉर्पोरेट सेक्टर के लिए बड़ी परीक्षा साबित होंगे. शेयर बाज़ार, बैंकिंग, रियल एस्टेट, IT और स्टार्टअप्स पर इसका क्या असर होगा, जानें शास्त्र और ज्योतिषीय दृष्टि से.

Grahan Impact 2025: 7 सितंबर यानि आज कुंभ राशि में लगने वाला चंद्र ग्रहण निवेश और साझेदारी से जुड़ा है. चंद्रमा जब शनि और राहु की छाया में आता है, तो बाजार की चाल बिगड़ जाती है.
वराहमिहिर की बृहत्संहिता साफ कहती है कि चंद्र ग्रहण वित्तीय हानि लाता है. यही कारण है कि इस बार निवेशकों का भरोसा कमजोर हो सकता है, विदेशी निवेश घट सकता है और टेक कंपनियों से लेकर Startups तक को झटका लग सकता है. और क्या हो सकता है? आइए ग्रहों का चाल से समझते हैं-
चंद्र ग्रहण के बाद सूर्य ग्रहण: टैक्स, ऑडिट और कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर सबसे बड़ा दबाव
आज के बाद 21 सितंबर 2025 को सूर्य और चंद्रमा कन्या राशि में ग्रहणग्रस्त होंगे. कन्या का सीधा संबंध लेखा-जोखा और अनुशासन से है. शास्त्र कहते हैं कि सूर्य ग्रहण सत्ता और वित्तीय ढांचे को हिला देता है.
ऐसे में Corporate Governance, Tax Rules और Audit Reports पर कड़ा दबाव आएगा. RBI और SEBI जैसे संस्थान नए नियम लागू कर सकते हैं और कई कंपनियों को Compliance Crisis का सामना करना पड़ सकता है.
रियल एस्टेट: अटकेंगे प्रोजेक्ट और बढ़ेगा Builders पर कर्ज का बोझ?
कुंभ राशि और शनि-राहु का मेल स्थावर संपत्ति यानी रियल एस्टेट के लिए कठिन समय का संकेत देता है. कालप्रकाशिका कहती है कि शनि-पीड़ित चंद्रमा संपत्ति में संकट लाता है.
इसका मतलब है प्रोजेक्ट डिले होंगे, Builders कर्ज के दबाव में आएंगे और Possession Cases बढ़ेंगे. Affordable Housing को सरकार की राहत मिल सकती है, पर Luxury Market कमजोर रहेगा.
बैंकिंग और फाइनेंस: NPA और Loan Defaults की आहट
सूर्य ग्रहण कन्या राशि में होने से बैंकिंग सिस्टम और फाइनेंस पर असर होगा. Corporate Loans का दबाव बढ़ेगा और कई कंपनियों के Default करने की आशंका रहेगी.
NBFCs और बैंकों को NPA की समस्या का सामना करना पड़ सकता है. यह समय Financial Institutions के लिए सबसे बड़ी परीक्षा की घड़ी होगी.
IT और Startups: Funding और Unicorns की रफ्तार का क्या होगा?
राहु का मीन राशि में होना Hidden Loss और Foreign Deals को प्रभावित करेगा. इसका असर IT सेक्टर और Startups पर साफ दिखेगा.
Venture Capitalists सतर्क रहेंगे, Funding Deals अटकेंगी और IPO Market कमजोर होगा. Unicorn बनने का सपना देखने वाली कंपनियों के लिए यह ग्रहण काल मुश्किल साबित हो सकता है.
फार्मा सेक्टर: ऑडिट और क्वालिटी रिपोर्ट से उठेगा बड़ा तूफान
कन्या राशि का ग्रहण दवा और हेल्थ सेक्टर के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है. Audit और Quality Reports से Pharma कंपनियों के छिपे घोटाले सामने आ सकते हैं.
शास्त्रों के अनुसार, सूर्य ग्रहण स्वास्थ्य और औषधियों में असंतुलन लाता है. इस दौरान Stocks में गिरावट होगी, लेकिन R&D और Genuine Innovation करने वाली कंपनियां मजबूत होकर निकलेंगी.
तेल और ऊर्जा: Crude Oil में उछाल और Renewable Energy को बढ़त
मीन राशि समुद्र और तेल का कारक है. राहु का यहां होना और ग्रहण का प्रभाव Crude Oil Prices में अस्थिरता लाएगा. Import-Export Deals भी प्रभावित होंगे. लेकिन शनि का संकेत यह है कि Renewable Energy और Green Projects को अप्रत्याशित बढ़ावा मिल सकता है.
लीडरशिप और गवर्नेंस: CEOs की कुर्सियां क्यों डगमगाएंगी?
सूर्य ग्रहण का असर सीधे नेतृत्व पर पड़ता है. बृहत्संहिता में कहा गया है कि सूर्य ग्रहण में राजा पीड़ित होता है. यानी कॉर्पोरेट भाषा में CEOs और Chairmans की कुर्सियां हिल सकती हैं. Whistleblowers के खुलासे और Governance Scams के उजागर होने से कई बड़ी कंपनियों की प्रतिष्ठा पर संकट आ सकता है.
विदेशी व्यापार और रुपये की चाल: डॉलर-रुपये की टक्कर और Multinationals पर असर
राहु मीन राशि और सूर्य ग्रहण कन्या राशि में यह मेल Forex Market में अस्थिरता लाएगा. Dollar के मुकाबले रुपया कमजोर हो सकता है, Export-Import Deals अटकेंगे और Multinational Companies के Quarterly Results कमजोर आ सकते हैं.
ग्रहण पखवाड़ा: 7–21 सितंबर के 14 दिन क्यों होंगे कॉर्पोरेट दुनिया के लिए Stress Test?
कालप्रकाशिका कहती है कि चंद्र-सूर्य ग्रहण के बीच वित्तीय व्यवस्था में उथल-पुथल होती है. यह पखवाड़ा Debt-driven कंपनियों के लिए सबसे कठिन समय साबित होगा. वहीं CSR और Sustainability पर चलने वाली कंपनियां इस समय को अवसर में बदल सकती हैं.
आपदा से अवसर की ओर
सितंबर 2025 के ग्रहण कॉर्पोरेट सेक्टर को हिला देंगे, लेकिन यह सिर्फ अंधकार नहीं, अवसर भी है. याज्ञवल्क्य स्मृति कहती है कि यदि शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो ग्रहण भी फलदायी बनता है. यानी जिन कंपनियों में पारदर्शिता, नवाचार (innovation) और अनुशासन है, वे इस कठिन समय से और मजबूत होकर निकलेंगी.
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