Sawan Somwar 2025: सावन के पहले सोमवारी पर गौरी-शंकर मंदिर में उमड़ी भोले के भक्तों की भीड़
Sawan Somwar 2025: सावन का पहला सोमवार आस्था का पर्व है. रुद्राभिषेक से शिव की कृपा बरसती है और जीवन के दुःख-दर्द शांत होने लगते हैं. मन को मिलती है गहराई से शांति.

Sawan 2025: हिंदू धर्म में श्रावण मास को भगवान शिव की उपासना के लिए सबसे पवित्र माना गया है. खासकर सोमवार का दिन, जब शिवभक्त पूरी आस्था और भक्ति के साथ भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं. आज सावन का पहला सोमवार है, और इसी विशेष अवसर पर देश भर के शिव मंदिरों में सुबह 5 बजे से ही भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा है.
श्रद्धालुओं का विश्वास है कि सावन सोमवार पर भगवान शिव का जलाभिषेक और दर्शन करने से न सिर्फ पुण्य प्राप्त होता है, बल्कि जीवन के कष्टों से भी मुक्ति मिलती है. मंदिरों में भक्ति से सराबोर वातावरण के बीच लगातार “हर-हर महादेव” और “बम-बम भोले” के जयकारे गूंज रहे हैं.
मंदिर में लगी भक्तों की भीड़, गूंजे महादेव के जयकारे
दिल्ली के चांदनी चौक स्थित ऐतिहासिक श्री गौरी शंकर मंदिर, पश्चिमी दिल्ली के प्राचीन शिव मंदिर और अन्य शिवालयों में आज सुबह से ही लंबी कतारें देखी जा रही हैं. भक्तगण–पुरुष, महिलाएं, बुज़ुर्ग और बच्चे – सभी भोलेनाथ की एक झलक पाने को आतुर हैं. मंदिरों में भक्ति और आस्था का ऐसा अद्भुत संगम है कि हर कोई शिवमय हो गया है. श्रद्धालु घंटों कतार में खड़े होकर अपनी बारी की प्रतीक्षा करते हुए “जय शिव शंकर” के जयघोष करते देखे जा रहे हैं.
सोमवार का व्रत और पूजन का विशेष महत्व
मंदिरों के पुजारियों के अनुसार, सावन के सोमवार को शिवजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है. भक्तगण इस दिन व्रत रखते हैं और भगवान शिव का अभिषेक करते हैं. दूध, दही, बेलपत्र, भांग, धतूरा जैसे पूजन सामग्री से शिवलिंग का रुद्राभिषेक कर सुख-समृद्धि और मनोकामना पूर्ति की कामना की जाती है. कहा जाता है कि सावन सोमवार की पूजा से कालसर्प दोष, ग्रहदोष, और अन्य नकारात्मक प्रभाव भी समाप्त हो जाते हैं. महिलाएं-युवतियां इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव की कथा का पाठ भी करती हैं.
800 साल पुराना है गौरी-शंकर मंदिर, पूरी होती हैं मन्नतें
पुरानी दिल्ली के ऐतिहासिक श्री गौरी शंकर मंदिर का इतिहास लगभग 800 वर्ष पुराना बताया जाता है. यह मंदिर भगवान शिव के अर्धनारीश्वर रूप को समर्पित है, जहां भोलेनाथ के दर्शन का अपना ही दिव्य अनुभव है. यहां स्थापित भूरे रंग के शिवलिंग को चांदी के नाग से घेरा गया है, जो इस मंदिर की विशेषता में चार चांद लगाता है.
माना जाता है कि यहां मांगी गई हर मन्नत जरूर पूरी होती है. मंदिर परिसर में भगवान शिव के साथ माता पार्वती, श्रीगणेश और कार्तिकेय की प्रतिमाएं भी सुशोभित हैं, जिन्हें स्वर्ण आभूषणों से सजाया गया है. जनश्रुति के अनुसार, पांडवों ने भी यहां पूजा-अर्चना की थी. मंदिर परिसर में स्थित पाँच पीपल के वृक्षों के बीच विराजमान शिवलिंग को विशेष रूप से चमत्कारी माना जाता है.
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