Ganesh Chaturthi 2022: स्वर्ग से धरती पर आया है पारिजात का पुष्प, जानें गणपति को क्यों है प्रिय?
Ganesh Festival: पुराणों के अनुसार पारिजात का पुष्प स्वर्ग से धरती पर आया है. इस फूल का प्रयोग भगवान हरि के श्रृंगार और पूजन में किया जाता है लेकिन गणपति को भी यह पुष्प बेहद प्रिय है.
Ganesh Chaturthi Puja: देवी-देवताओं की पूजा में पु्ष्प का विशेष महत्व होता है. पुष्प पवित्र और शुद्धता के प्रतीक माने जाते हैं इसलिए पूजा में इसे देवताओं को अर्पित किया जाता है. हर भगवान को कोई एक खास फूल जरूर चढ़ाया जाता है. सारे फूलों की अपनी खास विशेषता होती है लेकिन इनमें सबसे खास है पारिजात का फूल. इसका फूल देखने में अलौकिक लगता है. कहा जाता है कि पारिजात के वृक्ष की एक खासियत है कि जो भी इसे एक बार छू लेता है उसकी थकान चंद मिनटों में गायब हो जाती है. पुराणों के अनुसार पारिजात का पुष्प स्वर्ग से धरती पर आया है.
गणपति को प्रिय है परिजात का फूल
पारिजात ही एक ऐसा फूल है जिसे जमीन पर गिरने पर भी पूजा के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. इस सुगंधित पुष्प को हरसिंगार के नाम से भी जाना जाता है. पारिजात का पेड़ बहुत खूबसूरत होता है. वैसे तो इस फूल का प्रयोग भगवान हरि के श्रृंगार और पूजन में किया जाता है लेकिन गणपति को भी यह पुष्प बेहद प्रिय है. गणेश चतुर्थी के दिन बप्पा को दूर्वा के साथ परिजात का फूल भी चढ़ाना चाहिए. इससे गणपति जल्द प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.
विशेषताओं से भरा है पारिजात पुष्प
हरिवंश पुराण में पारिजात को कल्पवृक्ष कहा गया है. पुराणों के अनुसार सागर मंथन से ही पारिजात वृक्ष की उत्पत्ति हुई थी. स्वर्गलोक में भी इस वृक्ष को स्पर्श करने का अधिकार सिर्फ उर्वशी अप्सरा को था. इस वृक्ष को स्पर्श करके ही वो अपनी थकान मिटाती है. माना जाता है कि आज भी इसकी छाया में बैठने से ही सारी थकावट दूर हो जाती है.
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